फिलिस्तीनी मुक्ति आंदोलन से जुड़े साहित्यकार की हत्या

राफेत अलारेर नामक फिलिस्तीन के शिक्षाविद और कवि की हत्या इजरायली हवाई हमले के जरिये 7 दिसम्बर को कर दी गयी। राफेत अलारेर गाजा के इस्लामिक विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य के प्रोफेसर थे। इसके अतिरिक्त वे फिलिस्तीन मुक्ति आंदोलन के कार्यकर्ता, लेखक और अनुवादक थे। उन्होंने गाजा के फिलिस्तीनी लेखकों की एक पीढ़ी को प्रेरित किया। 
    
उनके परिवार ने बताया कि गाजा शहर में उनके भाई के घर में उनके भाई, बहन और उनके चार बच्चों के साथ उनकी हत्या कर दी गयी। 
    
राफेत अलारेर के एक पूर्व छात्र जेहाद अबुसालिम ने बताया वे एक शिक्षक से कहीं बढ़कर थे। 
    
अबुसालिम ने एक्स (पहले ट्विटर) पर कहा, ‘‘उन्होंने मुझे पहला अंग्रेजी लेखन पाठ्यक्रम सिखाया।’’ वे एक मार्गदर्शक, एक मित्र थे और वे कक्षा से बाहर वास्तव में अपने छात्रों की परवाह करते थे।’’
    
‘‘उनका जुनून अंग्रेजी भाषा था, लेकिन उन्होंने इसे समाज से अलग होने के साधन के रूप में नहीं सिखाया, जैसा कि तीसरी दुनिया में कई अंग्रेजी बोलने वाले उच्च और मध्यम वर्गों के बीच आम है। राफेत के लिए अंग्रेजी मुक्ति का एक साधन थी, गाजा की लम्बे समय से चली आ रही घेरेबंदी से मुक्त होने का एक तरीका थी। यह एक टेलीपोर्टेशन उपकरण (काल्पनिक स्थानांतरण करने वाला उपकरण) थी जो इजरायल के अंधाधुंध हमले और गाजा की बौद्धिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक नाकाबंदी को चुनौती देती थी। 
    
राफेत अलारेर 2014 में प्रकाशित गाजा राइट्स बैक के सम्पादक थे, जो गाजा के युवा लेखकों की लघु कहानियों का संग्रह है। उन्होंने गाजा अनसाइलेन्स्ड (2015) का सह-सम्पादन किया था और 2022 में संग्रह लाइट इन गाजा : राइटिंग्स बॉर्न आफ फायर में योगदान दिया। 
    
वे ‘‘वी आर नॉट नम्बर्स’’ के संस्थापकों में से एक थे। यह एक ऐसा मंच है जो युवा फिलिस्तीनी लेखकों को ‘‘समाचारों में फिलिस्तीनियों की संख्या के पीछे की कहानियां बताने’’ के लिए सलाह देता है। 
    
इजरायल द्वारा 7 अक्टूबर से गाजा में बमबारी अभियान शुरू करने के बाद से राफेत अलारेर गाजा की सक्रिय आवाजों में एक थे। वे नियमित रूप से सोशल मीडिया में अपडेट लिख रहे थे, साक्षात्कार में दिखाई दे रहे थे और कविता प्रकाशित कर रहे थे।
    
युद्ध की शुरूआत में उनके घर पर बमबारी की गयी, जिससे उन्हें और उनके परिवार को कहीं और शरण लेनी पड़ी, लेकिन उन्होंने गाजा शहर छोड़ने से इंकार कर दिया। 
    
1 नवम्बर को प्रकाशित एक मार्मिक कविता में अलारेर ने उस भयावह भविष्य के बारे में बात की जिसे वे देख सकने में समर्थ थे। जिसका आना अपरिहार्य है। 
    
कविता की शुरूवात वे इस तरह करते हैं,‘‘अगर मुझे मरना है, तो तुम्हें जीना होगा, मेरी कहानी बताने के लिए, अपनी चीजें बेचने के लिए।’’ ‘‘अगर मुझे मरना ही है, तो इसे आशा लाने दो, इसे एक कहानी बनने दो’’।
    
कई फिलिस्तीनी लेखकों और अलारेर के पूर्व छात्रों ने अलारेर की मौत पर शोक व्यक्त करने और उनके जीवन का जश्न मनाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। 
    
अबुसालिम, जिन्हें उनकी पहली अंग्रेजी कक्षा अलारेर ने पढ़ाई थी, ने कहा कि प्रोफेसर हमेशा इस बात पर जोर देते थे कि उनके छात्र अन्य लेखकों के अलावा मैलकम एक्स का काम भी पढ़ें। 
    
अबुसालिम ने कहा,‘‘उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसी भाषा को सीखने के लिए उसकी संस्कृति को समझना और आलोचनात्मक रहना व सचेत रहना आवश्यक है क्योंकि भाषा शक्ति और प्रतिनिधित्व के सवालों से मुक्त नहीं है। 
    
गाजा के एक लेखक मुहम्मद शहादा ने कहा कि अलारेर ने हमेशा ‘‘एक संख्या में सिमट कर न रह जाने के लिए संघर्ष किया। 
    ‘‘वे ऊर्जा, जीवन और हास्य से भरपूर थे। उन्होंने लिखा,‘‘अलारेर को शिकागो पिज्जा, बिल्लियां, इतिहास, क्लासिक संगीत, थिएटर, कविता और हैरी पाटर बहुत पसंद थे।’’
    
अलारेर के एक पूर्व छात्र ने उन्हें ‘‘युवाओं की आवाज’’ बताया। एक पूर्व छात्र ने कहा,‘‘प्रोफेसर राफेत ने 15 साल की उम्र में मेरे लेखन पर विश्वास किया और मेरी लघु कहानियों को एक पुस्तक में प्रकाशित करने में वे मेरी मदद करना चाहते थे। मैं उनका आदर करता था, वे मेरे लिए सच्ची प्रेरणा थे और मैं हमेशा यह सुनिश्चित करता था कि हर किसी के सामने उनका जिक्र करूं। मेरे दिल से अभी खून बह रहा है’’। 
    
‘‘वर्षों के दौरान वे गाजा और दुनिया के लेखकों के बीच की कड़ी बन गये। वे युवाओं की आवाज थे और उन्होंने ज्यादातर साहित्यिक क्षेत्रों में युवाओं के साथ काम किया।’’
    
राफेत अलारेर ने नियमित रूप से आनलाइन प्लेटफार्म इलेक्ट्रानिक इंतिफादा में योगदान दिया, जहां उन्होंने अपने छात्रों, अपने गुरूओं की हत्याओं के बारे में बात की और बताया कि कैसे इजरायली घेराबंदी जमीन पर लोगों को प्रभावित कर रही है। 
    
2014 में, इजरायली हवाई हमलों में उनके भाई मुहम्मद, उन्होंने जिनका उपनाम ‘‘हमादा’’ दिया था, और उनकी पत्नी के दादा, उनके भाई, उनकी बहन और उनकी बहन के तीन बच्चों की मौत हो गयी थी। उसी वर्ष उनका अपार्टमेण्ट भी नष्ट हो गया था। 
    
उन्होंने पहले कहा था कि उन्होंने और उनकी पत्नी नुसायबा ने इजरायली हमलों में 30 से अधिक रिश्तेदारों को खो दिया है। 
    
2021 में गाजा पर इजरायली हमलों के दौरान, उन्होंने न्यूयार्क टाइम्स में एक राय अतिथि निबंध प्रकाशित किया, जिसमें उन्होंने बमबारी के तहत जीवन का विवरण दिया। 
    
उन्होंने लिखा था,‘‘मिसाइलों, छर्रों और गिरते मलबे के बावजूद मैं परिवार को बाहर ले जाना चाहता हूं और घर पर रहना चाहता हूं, उसी तरह जैसे अमेरिकी निर्मित, इजरायली पायलट वाले विमानों के लिए बैठे बत्तख की तरह।’’
    
‘‘हम घर पर ही रहें। कम से कम हम एक साथ मरेंगे’’। ऐसा उन्होंने लिखा था। 
    
वर्तमान में चल रहे इजरायली हमले में जिसमें दो महीनों में 17,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गये हैं, अलारेर ने घर पर रहने की अपनी जिद दोहराई।

उन्होंने पूछा,‘‘कितना खून, कितने फिलिस्तीनियों की जान, संतुष्ट होने के लिए कितनी बार इजरायल का शिकार होना पड़ेगा। ‘‘हम भी नहीं जा रहे हैं क्योंकि हम दूसरा नकबा नहीं चाहते।’’        

इस फिलिस्तीनी मुक्ति आंदोलन के कलम के योद्धा को इजरायली हवाई हमले में मौत के घाट उतार दिया गया। लेकिन राफेत अलारेर का जीवन और उससे भी बढ़कर उनकी हत्या फिलिस्तीनी कार्यकर्ताओं, लेखकों और मुक्ति आंदोलन में लगे लड़ाकुओं को मुक्ति संग्राम को तेज करने की प्रेरणा देता रहेगा।

(इलेक्ट्रानिक इंतिफादा से साभार कुछ परिवर्तन के साथ)

 

राफेत अलारेर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कविता
 

अगर हमें जीना है 
   -गदा हानिया 8 दिसम्बर, 2023

यदि हमें जीवित रहना है,
तो हम उस कहानी को उजागर करेंगे, 
जहां आशा की गूंज व्याप्त है।
टुकड़े-टुकड़े करके, 
आशा के धागे बुनते हुए,
एक कहानी दोहराई गई।
हम एक ऐसी पतंग उड़ायेंगे
जो विशाल विस्तार में
लहराती, 
उड़ती, 
लयबद्ध नृत्य में उड़ती है।
एक दिव्य उपस्थिति की तरह,
एक मुस्कान उड़ान भरती है, 
जो हर गाजावासी की दुर्दशा पर
धीरे से उतरती है।
अनाथों की निगाहों से लेकर बड़ों की कृपा तक
आशा इस पवित्र स्थान को रौशन करेगी।
पीड़ित, उत्पीड़ित अपना आराम पायेंगे।
हम कहानी को उजागर करेंगे,
प्रतिध्वनियों को गूंजने देंगे,
बारिश की बूंदों की तरह
आशा को पुनर्जीवित करेंगे,
प्रत्येक भाग में शुष्क दिलों की
प्यास बुझायेंगे।
हम फिर से उठेंगे,
कोमलता से उम्मीदें रोपेंगे।
शुरू से हम चलेंगे,
पंछी की धुन की तरह,
जीवन की डोर में आशा रचेंगे।

 

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