उत्तर प्रदेश के कानपुर में स्थित चांद छाप यूरिया फैक्ट्री बंद होने की वजह से दो हजार कर्मचारी बेरोजगार हो गये हैं। सबसे बड़ी फैक्ट्रियों में शुमार कानपुर फर्टिलाइजर एंड केमिकल्स लिमिटेड जो कि जेपी ग्रुप की है, में तालाबंदी की घोषणा के बाद पूर्ण रूप से बंदी का नोटिस भी लगा दिया गया है। इस फैसले के बाद 2 हजार मजदूर बेरोजगार हो गये हैं। सिर्फ मज़दूर ही बेरोजगार नहीं हुए बल्कि दो हजार के पीछे हजारों परिवारों की रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। बच्चों की पढाई-लिखाई, बूढ़े मां-बाप के खर्च आदि पर संकट आ जायेगा। सरकार की मजदूर-किसान विरोधी नीतियों के चलते मजदूर और किसान तबाह बर्बाद हो रहे हैं। किसानों के लिए अब यूरिया खाद मिलना मुश्किल होगी अगर मिलेगी भी तो महंगी मिलेगी। किसानों के ऊपर भी संकट आ गया।
2014 में चांद छाप यूरिया का उत्पादन शुरू किया गया था। इस फैक्ट्री में एक दिन में 2100 टन यूरिया तैयार की जाती है। यहां की यूरिया पर उत्तर प्रदेश, बिहार और दिल्ली के किसान निर्भर हैं।
कर्मचारियों का कहना है कि 2024 के अंत तक फैक्ट्री में उत्पादन खूब हुआ लेकिन सरकार की तरफ से जो सब्सिडी आनी थी, उसे रोक दिया गया है। सरकार का तर्क है कि जेपी ग्रुप ने देनदारी नहीं चुकाई है इसलिए सारी सुविधाएं रोक दी गई हैं। कर्मचारियों का कहना है कि सरकार व जेपी ग्रुप की मिली भगत से फैक्ट्री बंद करने की साजिश है।
सरकार एक तरफ रोजगार देने की फर्जी बातें करती रहती है, दूसरी ओर रोजगार छीनने और सरकारी व अर्द्ध सरकारी संस्थानों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों को बंद करने का काम धड़ल्ले से करती जा रही है।
कर्मचारियों ने फैक्ट्री बंदी की घोषणा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर हर हाल में फैक्ट्री चालू करने के लिए सरकार से मांग की है।