हिंदूवादी संगठनों की शिकायत पर प्रभारी प्रधानाचार्य का निलंबन

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हिंदू फासीवादियों द्वारा उत्तराखंड को हिंदुत्व की नई प्रयोगशाला बनाने के कुत्सित प्रयास लगातार जारी हैं। ताजा घटना नैनीताल जिले के रामनगर की है जहां एक राजकीय इंटर कालेज के प्रभारी प्रधानाचार्य तिलक जोशी को हिंदूवादी संगठनों के इस आरोप पर निलंबित कर दिया गया कि उन्होंने मुस्लिम छात्रों को जुमे की नमाज हेतु आधे दिन का अवकाश दिया था। जबकि प्रभारी प्रधानाचार्य एवं कालेज के अन्य शिक्षकों ने हिंदूवादी संगठनों के इस आरोप को सिरे से खारिज किया है, उलटे उन्होंने उप जिलाधिकारी को शिकायत देकर हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं पर कालेज में आकर उत्पात मचाने और शिक्षकों के साथ अभद्रता करने पर उनकी गिरफ्तारी की मांग की है।
    
रामनगर का पी एम श्री राजकीय इंटर कालेज मुस्लिम बहुल खताड़ी क्षेत्र में स्थित है और इसमें एक बड़ी संख्या मुस्लिम छात्रों की है। यहां कुछ मुस्लिम छात्र जुमे की नमाज के वक्त स्वतः ही अपनी कक्षा छोड़कर अथवा आधे दिन का अवकाश कर नमाज पढ़ने चले जाते हैं। बस, इसी बात को हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने मुद्दा बनाकर कालेज में उत्पात मचाया, शिक्षकों से अभद्रता की और प्रभारी प्रधानाचार्य पर यह झूठा आरोप मढ़ दिया कि उन्होंने 20 दिसम्बर को मुस्लिम छात्रों को जुमे की नमाज हेतु आधे दिन का अवकाश दिया था। 
    
और हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं की शिकायत को अपने लिये आदेश मानते हुये उच्च अधिकारियों द्वारा प्रभारी प्रधानाचार्य को बिना किसी जांच पड़ताल के तुरंत निलंबित भी कर दिया गया। जबकि प्रभारी प्रधानाचार्य और अन्य शिक्षकों की शिकायत पर हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं पर अभी तक भी कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
    
अधिकारियों का यह व्यवहार दिखा रहा है कि वे किसके निर्देश पर काम कर रहे हैं? एक समुदाय विशेष के विरुद्ध प्रशासनिक मशीनरी का यह इस्तेमाल पूरे देश की तरह उत्तराखंड में भी खुलकर हो रहा है। हिंदू फासीवादी ताकतें, जिनका असल में हिंदू धर्म से कोई सरोकार नहीं है, इस पहाड़ी राज्य की फिजाओं में जहर घोल रही हैं।
    
इस पूरे घटनाक्रम पर विभिन्न शिक्षक संगठनों ने तत्काल ही उप जिलाधिकारी कार्यालय पर जुलूस प्रदर्शन कर प्रभारी प्रधानाचार्य के निलंबन और हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं का प्रतिरोध कर जिस एकता का प्रदर्शन किया उसे अधिकाधिक व्यापक और मजबूत बनाकर ही हिंदू फासीवादी ताकतों के घृणित मंसूबों को धराशाई किया जा सकता है।
 

आलेख

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संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।

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