केन्या में सरकार द्वारा करों में भारी वृद्धि के खिलाफ जनता सड़कों पर उतर रही है, पुलिस से टकरा रही है और किसी भी कीमत पर कर वृद्धि वापस लेने की मांग पर अड़ी हुई है। सरकार प्रदर्शनों का क्रूर दमन कर रही है। इन प्रदर्शनों में पुलिस 9 लोगों की जान ले चुकी है। पर क्रूर दमन भी जनता को बड़ी तादाद में सड़कों पर उतरने से नहीं रोक पा रहा है।
केन्या के राष्ट्रपति रूटो ने ईंधन पर कर को दो गुना करने और आवास मूल्य पर लेवी लगाने की घोषणा की थी। सरकार इन नये करों के जरिये 200 अरब केन्याई शिलिंग (1.42 अरब अमेरिकी डालर) की आय का अनुमान लगा रही है। इस अतिरिक्त आय के जरिये सरकार बढ़ते कर्ज की समस्या से निपटने की बात कर रही है।
जनवरी 2023 में केन्या पर कुल बाहरी कर्ज 34 अरब डालर था। कर्ज पर जहां 10 वर्ष पूर्व 1.34 अरब डालर ब्याज केन्या को अदा करना पड़ा था वहीं अब 5.09 अरब डालर ब्याज देना पड़ रहा है। इससे सरकार खुद पर अतिरिक्त दबाव की बात कर रही है।
विपक्षी दलों का कहना है कि मौजूदा कर वृद्धि केन्याई जनता की कमर तोड़ देगी क्योंकि वह पहले से ही बुनियादी जरूरतों की भारी महंगाई का सामना कर रही है। यहां तक कि मक्के के आटे का भाव भी काफी बढ़ गया है।
यह लोगों के जीवन में छायी हताशा व निराशा का ही परिणाम है कि ये प्रदर्शन स्वतः स्फूर्त ढंग से हिंसक रूप धारण कर ले रहे हैं। मौजूदा कर वृद्धि से होने वाली जीवन स्तर की गिरती को केन्याई नागरिक सहन करने की स्थिति में नहीं है। यद्यपि न्यायालय ने कर वृद्धि को निलम्बित कर रखा है पर फिर भी जनता के प्रदर्शनों में कोई कमी नहीं आ रही है।
पुलिस इन प्रदर्शनों को बर्बरता से कुचल रही है। नैरोबी में हुए एक प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के साथ स्कूल में भी आंसू गैस के गोले बरसा दिये। परिणाम यह हुआ कि दर्जनों बच्चों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। अब तक 300 से अधिक लोग गिरफ्तार किये जा चुके हैं। प्रदर्शनों के दौरान लोग पुलिस पर पथराव कर रहे हैं। सरकारी इमारतों में तोड़-फोड़ कर रहे हैं।
विपक्षी नेता ओडिंगा के आह्वान पर ये प्रदर्शन आयोजित हो रहे हैं। ओडिंगा बीते वर्ष राष्ट्रपति पद के चुनाव में रूटो से हार गये थे। अब तक प्रदर्शनों के दमन के चलते 9 लोग जान गंवा चुके हैं।
केन्या की पिछली पूंजीवादी सरकारों ने पूंजीपतियों के हित में भारी विदेशी कर्ज लिया। परिणाम यह हुआ कि अब इस कर्ज की ब्याज अदायगी के लिए सरकार जनता पर कर वृद्धि थोपने पर उतारू है। केन्याई जनता सरकार की जनविरोधी नीतियों के चलते पहले ही बेरोजगारी व महंगाई का सामना कर रही है। ऐसे में नये करों की घोषणा से जनता को अपना भविष्य अंधकारमय नजर आने लगा है। और वह बड़ी तादाद में सड़कों पर उतर रही है।