मानेसर/ मारुति सुजुकी द्वारा निकाले गए मजदूरों ने अपना आंदोलन एक बार फिर तेज कर दिया है। मारुति सुजुकी स्ट्रगल कमेटी के नेतृत्व में निकाले गए मजदूरों ने 18 सितंबर से मानेसर तहसील, गुड़गांव (हरियाणा) में धरना शुरू कर दिया है। 30 सितंबर को मानेसर तहसील में ही एक मजदूर सभा आयोजित की गई जिसमें बर्खास्त मजदूरों के परिजन भी उपस्थित हुए। इस सभा में दिल्ली एनसीआर के अन्य मजदूर संगठनों, यूनियनों ने भी अपनी एकजुटता और समर्थन दिया। 30 सितंबर को ही मजदूरों ने प्रशासन द्वारा अपनी मांगों पर बातचीत न होने पर भूख हड़ताल का ऐलान किया। प्रशासन द्वारा मांगों के संदर्भ में किसी प्रकार की कार्रवाई या बातचीत न होने पर मजदूरों द्वारा 10 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी गयी है।
मजदूरों की मांगें हैं कि-
1. मारुति सुजुकी मानेसर के बर्खास्त सभी निर्दोष मजदूरों की कार्यबहाली की जाए।
2. सभी अस्थाई मजदूरों के लिए उचित वेतन समझौता और पक्की नौकरी लागू करो।
3. सभी झूठे मुकदमे वापस लो।
गौरतलब है कि मारुति सुजुकी स्ट्रगल कमेटी द्वारा 18 सितंबर को डी सी कार्यालय से मारुति गेट नंबर 2 तक का पैदल मार्च और उसके बाद वहां पर अनिश्चितकालीन धरने का कार्यक्रम लिया गया था। पर पुलिस प्रशासन ने मजदूरों को चुनाव आचार संहिता का हवाला देकर यह कार्यक्रम नहीं करने दिया और मानेसर तहसील पर ही रोक लिया।
पुलिस प्रशासन ने कहा कि आप लोग वापस घर चले जाइए और चुनाव के बाद कोई कार्यक्रम करिये। मजदूरों ने कहा कि हमें काम से निकाले 12 साल हो गए। 12 साल में हमारे परिवार की हालत बहुत खराब हो चुकी है और हमारे पास कोई रोजगार नहीं है। हम अपने बच्चों का कोई भविष्य नहीं देख पा रहे। हम घर वापस नहीं जा सकते और अब हम न्याय लेकर ही अपने घर जाएंगे और मजदूर मानेसर तहसील पर ही अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए।
गौरतलब है कि 12 वर्ष पूर्व मारुति के मानेसर प्लांट में मजदूरों की एकता व यूनियन तोड़ने के लिए प्रबंधन ने एक षड्यंत्र रचा था। जिसके तहत प्लांट में आगजनी के जरिये एक मैनेजर की जान चली गयी। मैनेजर की हत्या के आरोप में लगभग 500 मजदूरों की गिरफ्तारी, हजारों का निष्कासन व नेतृत्व पर कठोर मुकदमा चलाया गया। अंत में नेतृत्व को उम्र कैद व कुछ मजदूरों को कुछ वर्ष कैद की सजा हुई। जब ज्यादातर निर्दोष घोषित मजदूर जेल से बाहर आये तो कंपनी ने उन्हें काम पर रखने से इंकार कर दिया। मैनेजर की हत्या के आरोप के चलते ये अन्य जगह भी काम नहीं पा रहे हैं। अतः मजदूरों के पास मारुति प्रबंधन से संघर्ष के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।
आज के समय में मारुति सुजुकी के संघर्षरत मजदूरों के सामने कठिन चुनौतियां हैं। मारुति सुजुकी प्रबंधन का रुख घोर मजदूर विरोधी है वह इन मजदूरों को दोबारा काम पर नहीं रखना चाहता। इसके साथ ही शासन-प्रशासन पूरी तरीके से मारुति सुजुकी प्रबंधन के साथ खड़ा है। ऐसे में इस गठजोड़ के खिलाफ मजदूरों को एक बड़ी एकता की जरूरत है। पर स्वयं मारुति सुजुकी में कार्यरत यूनियनें मजदूरों के इस न्यायपूर्ण संघर्ष का समर्थन नहीं कर रही हैं। ऐसे में मजदूरों के सामने चुनौतियां और ज्यादा बढ़ जाती हैं। आज इस आंदोलन को पूरे क्षेत्र के साथ-साथ पूरे देश के स्तर पर खड़ा करने की जरूरत है।
यह चुनौतियां संघर्ष कर रहे मजदूर संगठनों व यूनियनों की भी बनती है कि किस तरह से मजदूर आंदोलन को व्यापक व मजबूत किया जाए और आंदोलन में जीत हासिल की जाए।
-मानेसर संवाददाता