उत्तराखण्ड : संघ की नई प्रयोगशाला

/uttaraakhand-sangh-ki-nai-prayogsaalaa

जब पुलिस खुद अपराध को संघी धार्मिक चश्मे से देखने लगे। जब प्रशासन से लेकर सरकार के मुखिया धार्मिक अल्पसंख्यकों को अपराधी ठहराने में जुटे हों तब संघ-भाजपा के लिए समूचे प्रदेश को अपनी जहरीली राजनीति की गिरफ्त में लेना बेहद आसान हो जाता है। उत्तराखण्ड में आजकल यही हो रहा है। यहां संघी लम्पट वाहिनी ने खुद को पुलिस की एक शाखा बना डाला है जो हर गली-मोहल्ले-स्कूल कालेज में ‘हिन्दू लड़की-मुसलमान लड़के’ को एक साथ देख लेने पर लव जिहाद का ढिंढोरा पीटने में लगे हैं। 
    
वे जबरन हिंदू लड़की पर, उसके परिवार पर दबाव डाल शिकायत करने और फिर मुसलमान लड़के को जेल पहुंचाने का इंतजाम करवा रहे हैं। पहाड़ की शांत वादियां आजकल इनके लव जिहाद के तांडव से अशांत होती जा रही हैं। साम्प्रदायिक वैमनस्य फैलाने का ये एक भी मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहते। 
    
अभी संतोष की बात बस इतनी है कि उत्तराखण्ड की न्यायपालिका उ.प्र. के बरेली के न्यायधीश के स्तर पर नहीं पहुंची है। उ.प्र. के बरेली में तो मानो न्यायधीश ही संघ की भाषा बोलने लग गये हैं। एक 23 वर्षीय हिन्दू महिला के यौन उत्पीड़न के मामले में जिला अदालत ने मुसलमान युवक को आजीवन कारावास की सजा सुना दी व एक लाख रु. का जुर्माना ठोंक दिया। न्यायधीश ने महिला के इस बयान के बावजूद ऐसा निर्णय सुनाया कि उसने हिन्दुत्व समूहों और मां-बाप के दबाव में यह झूठा मामला दर्ज कराया था। चतुर न्यायधीश महोदय ने महिला के बयान को ही मानने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि हो सकता है कि वह आरोपी के दबाव में यह बयान दे रही हो। साथ ही न्यायधीश ने अपनी ओर से इसे धर्मांतरण व लव जिहाद का मामला घोषित कर कड़ी सजा सुना दी। ऐसे ही एक मामले में देहरादून में एक हिंदू महिला ने संघी तत्वों के दबाव में मुसलमान युवक पर मारपीट का मुकदमा दर्ज कराया था और अदालत में उसने मामला वापस लेने का बयान दिया तो जिला अदालत ने उक्त मुस्लिम युवक को जमानत दे दी। इसी तरह नैनीताल में एक मामले में हिन्दू लड़की द्वारा अदालत में सच्चाई बयान करने पर मुसलमान युवक को जमानत दे दी गयी। 
    
पर संघी जिद के आगे कब तक न्यायपालिका पूरी तरह समर्पण नहीं करेगी। बहुत जल्द ही हमें कानून से उलट संघी कानूनों पर निर्णय होते दिखने आम हो जायेंगे। कुछ मामलों में तो यह सब अभी से दिखना शुरू हो गया है। 
    
कुल मिलाकर संघी लाबी इस सबसे उत्साहित नजर आ रही है। उसके मुसलमान विरोधी साम्प्रदायिक अभियानों में हिन्दू लड़कियां-महिलायें भी शामिल हो रही हैं। लव जिहाद, लैंड जिहाद, गौरक्षा आदि तरह-तरह के झूठ के सहारे ये मुसलमानों को दिन-रात अपराधी साबित करने के अभियान में जुटे हैं। इन अभियानों में शामिल महिलायें-लड़कियां यह नहीं समझ पा रही हैं कि संघी लव जिहाद का अभियान केवल मुसलमानों के ही खिलाफ नहीं है बल्कि महिलाओं की भी आजादी छीनने वाला है। यह मानकर चलता है कि महिलायें इतनी कमजोर बुद्धि की हैं कि कोई भी उन्हें बरगला सकता है। इस तरह संघी अभियान उनकी आजादी को भी छीनने वाला है। 
    
इसी प्रदेश में भाजपा नेता-संघी लम्पट भी बलात्कार-यौन हिंसा के मामले अंजाम दे रहे हैं पर संघ-भाजपा इन सब पर चुप्पी साध गुनहगारों को बचाने में जुटे रहे हैं। लालकुंआ के दूध डेयरी प्रमुख भाजपा नेता का मामला सामने है जिसे भगाने में सरकारी अधिकारी-नेता सब लिप्त रहे। इन पर डेयरी की कर्मचारी महिला व उसकी पुत्री ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। पर संघी लॉबी इस मामले में खामोश है।
    
इस अभियान को चलाने की बड़ी वजह बेरोजगारी-महंगाई की शिकार जनता-युवाओं को सरकार के प्रति आक्रोशित होने से रोकना है। उनके दिमाग में मुसलमानों का फर्जी खौफ बैठा बुनियादी मुद्दों से उन्हें दूर करना है। यह काम करने में संघी संगठन और बड़बोले संत दिन-रात जुटे हैं। उनका यह जहर आम जनमानस को भी प्रभावित कर रहा है। 
    
जरूरत है बुनियादी मुद्दों पर इस संघी वाहिनी-सरकार को घेरा जाये। उसके हर जहरीले अभियान का मुंहतोड़ जवाब दिया जाए।

 

इसे भी पढ़ें :

‘‘पुरोला तो झांकी है पूरा देश बाकी है’’...?

 

आलेख

/idea-ov-india-congressi-soch-aur-vyavahaar

    
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था। 

/ameriki-chunaav-mein-trump-ki-jeet-yudhon-aur-vaishavik-raajniti-par-prabhav

ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।

/brics-ka-sheersh-sammelan-aur-badalati-duniya

ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती। 

/amariki-ijaraayali-narsanhar-ke-ek-saal

अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को