भाजपा सरकार द्वारा पूछडी, रामनगर (उत्तराखंड) के निवासियों को उजाड़े जाने की कोशिशों के विरुद्ध संयुक्त संघर्ष समिति के नेतृत्व में विगत ढाई-तीन माह से जारी आंदोलन के क्रम में 28 अक्टूबर को उप जिलाधिकारी कार्यालय पर सामूहिक उपवास किया गया।
इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि धामी सरकार, वन विभाग और स्थानीय प्रशासन सभी नियमों और कानूनों को ताक पर रखकर पूछडी के गरीबों को उजाड़ने की साजिश कर रहा है, लेकिन ग्रामीण भी एकजुट हैं। वे कानूनी संघर्ष से लेकर सडक पर आंदोलन सभी कुछ के लिये कमर कस चुके हैं और अपने घरों को टूटने नहीं देंगे।
वक्ताओं ने कहा कि आज पूरे देश की मजदूर-मेहनतकश जनता भाजपा के बुलडोजर राज से त्रस्त है। उत्तराखंड समेत पूरे देश में जमीन की लूट मची हुई है। अतिक्रमण के नाम पर गरीबों को उजाड़कर उनकी जमीन पूंजीपतियों के सुपुर्द की जा रही है।
वक्ताओं ने कहा कि केंद्र और राज्य की सत्ता पर काबिज आर एस एस-भाजपा हिंदू-मुसलमान की राजनीति कर पूरे समाज में जहर घोल रही है। उत्तराखंड इनकी जहरीली राजनीति की नई प्रयोगशाला बन चुका है; हालिया उत्तरकाशी का तनाव इसी की अभिव्यक्ति है। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी खुद ही ‘‘लैंड जेहाद’’, ‘‘डेमोग्राफिक चेंज’’ जैसे गैर जिम्मेदाराना शब्दों का इस्तेमाल कर राज्य के माहौल को बिगाड़ रहे हैं, जिसकी पुरजोर मुखालफत करने की जरूरत है।
वक्ताओं ने कहा कि विगत लोकसभा चुनाव में बहुमत के आंकड़े से पीछे रह जाने के बाद आर एस एस-भाजपा अब ज्यादा योजनाबद्ध तरीके से हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण की राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं, क्योंकि ये जानते हैं कि एकमात्र यही एजेंडा इनको सत्ता में बनाये रख सकता है। इसी एजेंडे के तहत इन्होंने उत्तर प्रदेश के बहराइच को सांप्रदायिक हिंसा की आग में झोंक दिया। उत्तराखंड में भी ये आने वाले स्थानीय निकाय चुनाव जीतने के लिये जनता को धर्म के नाम पर बरगला रहे हैं।
वक्ताओं ने कहा कि प्रदेश की मेहनतकश जनता, छात्रों-महिलाओं ने जिस उत्तराखंड राज्य का सपना देखा था वह आज धूल-धूसरित हो चुका है। आज प्रदेश में पूंजीपतियों, माफिया और भ्रष्ट नौकरशाही का राज है। नौजवानों के पास रोजगार नहीं है और महिलाओं के विरुद्ध अपराध भी लगातार बढ़ रहे हैं।
सामूहिक उपवास के अंत में तहसीलदार के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन भी प्रेषित किया गया। ज्ञापन में मांग की गई कि पूछडी (रामनगर) एवं उत्तराखंड में लोगों के घरों को तोड़े जाने पर तत्काल रोक लगाई जाये; सभी वन ग्रामों को राजस्व ग्राम का दर्जा दिया जाये; भारतीय वन अधिनियम 1927 उत्तरांचल संशोधन 2001 रद्द किया जाये; उत्तराखंड में जो व्यक्ति जहां निवास कर रहा है उसे वहीं नियमित कर मालिकाना हक दिया जाये; किसी को भी हटाने से पूर्व पुनर्वास की व्यवस्था की जाये एवं पूछडी क्षेत्र में लागू बी एन एस की धारा 163 को तत्काल हटाया जाये।
आंदोलन की आगामी रणनीति हेतु 4 नवम्बर को संयुक्त संघर्ष समिति की बैठक आहूत की गई है। सामूहिक उपवास में उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के महासचिव प्रभात ध्यानी एवं मो. आसिफ, समाजवादी लोक मंच के संयोजक मुनीष कुमार, इंकलाबी मजदूर केंद्र के महासचिव रोहित रुहेला, महिला एकता मंच की संयोजिका ललिता रावत एवं कौशल्या, सरस्वती जोशी व रेनू, भाकपा (माले) के अमन, आइसा के सुमित कुमार, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की तुलसी छिमवाल एवं संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक ललित उप्रेती; साथ ही, पूछडी के निवासियों, ग्रामीण महिलाओं इत्यादि ने भागीदारी की। -रामनगर संवाददाता