9 सितम्बर को विधायक कार्यालय पर विरोध-प्रदर्शन की घोषणा
रामनगर/ भाजपा के बुल्डोजर राज के विरुद्ध वन ग्राम पूछडी, रामनगर (नैनीताल) में 29 अगस्त को आयोजित महापंचायत जबरदस्त रूप से सफल रही। महापंचायत में सैकड़ों की तादात में ग्रामीणों एवं उत्तराखंड के देहरादून, हरिद्वार, काशीपुर, रुद्रपुर, हल्द्वानी, रामनगर, भवाली, अल्मोड़ा, मुक्तेश्वर इत्यादि जगहों से आये विभिन्न राजनीतिक पार्टियों, जन संगठनों एवं ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों ने भागीदारी की और पूछडी की जनता के जारी आंदोलन को अपना समर्थन दिया।
महापंचायत हेतु तय रामलीला मैदान को भाजपा विधायक के इशारे पर आखिरी वक्त पर रद्द कर दिया गया जिस कारण बगल के खाली मैदान में टेंट लगाकर महापंचायत का आयोजन करना पड़ा; महापंचायत को असफल करने की इस घिनौनी कोशिश की सभी ने एक स्वर में निंदा की। महापंचायत के अंत में अतिक्रमण के नाम पर वन ग्राम पूछडी को उजाड़े जाने की कोशिशों पर तत्काल रोक लगाने की मांग के साथ आगामी 9 सितम्बर को भाजपा विधायक दीवान सिंह के कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन एवं शहर में जुलूस निकाले जाने की भी घोषणा की गई।
महापंचायत की शुरुआत संघर्ष के गीत ‘‘लड़ना है भाई ये तो लम्बी लड़ाई है...’’ के साथ की गई। तदुपरान्त वक्ताओं ने कहा कि आज न सिर्फ उत्तराखंड अपितु पूरे देश में भाजपा के बुल्डोजर राज का आतंक है। देश की मजदूर-मेहनतकश जनता, दलित, मुसलमान, महिलायें-बच्चे सभी इससे पीड़ित हैं। केंद्र व प्रदेश की भाजपा सरकार ने देश की गरीब जनता के विरुद्ध युद्ध छेड़ रखा है। वन ग्राम पूछडी की जनता ने इस बुल्डोजर राज के विरुद्ध जिस संघर्ष का ऐलान किया है वह पूरे प्रदेश के लिये नजीर बनेगा।
वक्ताओं ने कहा कि एक तरफ वन भूमि पर अतिक्रमण के नाम पर लोगों को उजाड़ा जा रहा है लेकिन वहीं छत्तीसगढ़ में हसदेव का जंगल अडानी के सुपुर्द कर दिया गया है। आज पूरे ही देश में भूमि की पूंजीवादी लूट मची हुई है। रामनगर में भी वन ग्रामों के लोगों को उजाड़कर उनकी जमीनों को पूंजीपतियों, होटल-रिसोर्ट लाबी के सुपुर्द करने की साजिश की जा रही है।
वक्ताओं ने कहा कि आज मजदूर-मेहनतकश जनता को अतिक्रमण के नाम पर उजाड़कर उनसे न सिर्फ आवास का अधिकार छीना जा रहा है बल्कि शिक्षा का निजीकरण कर उन्हें स्कूल-कालेजों से भी बाहर किया जा रहा है; चिकित्सा सेवाओं का निजीकरण कर उनसे जीने का अधिकार ही छीना जा रहा है। पूंजीवादी व्यवस्था घोर पतित हो चुकी है।
वक्ताओं ने कहा कि भाजपा सांसद अनिल बलूनी ने लोकसभा चुनाव से पूर्व सभी वन ग्रामों को नियमित कराने का आश्वासन दिया था, लेकिन चुनाव जीतने के बाद अब वे इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुये हैं और जनता के बीच से गायब हैं जबकि वन ग्राम पूछडी के मजदूर-मेहनतकश अपने घर बचाने के लिये सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं।
महापंचायत में जो व्यक्ति जहां पर निवास कर रहा है उसे वहीं पर नियमित कर मालिकाना हक दिये जाने की मांग की गई। साथ ही, सभी वन ग्रामों, गोट, खत्तों व गुजर बस्तियों को राजस्व ग्राम घोषित किये जाने एवं उजाड़ने से पहले पुनर्वास की व्यवस्था किये जाने की मांग की गई।
गौरतलब है कि 29 अगस्त की इस महापंचायत से पूर्व 14 अगस्त को संयुक्त संघर्ष समिति के नेतृत्व में पूछडी के नागरिकों ने तराई पश्चिमी प्रभागीय वन अधिकारी कार्यालय का घेराव एवं एस डी एम कार्यालय पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया था; तदुपरान्त 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के दिन एक दिवसीय भूख हड़ताल कर अपने आक्रोश को प्रदर्शित किया था। इसके बाद गैरसैंण के विधानसभा सत्र के समानांतर 20 से 23 अगस्त तक फारेस्ट कंपाउंड के समक्ष 4 दिवसीय धरना भी दिया था।
29 अगस्त की महापंचायत को उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, भाकपा (माले), समाजवादी लोक मंच, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, महिला एकता मंच, संयुक्त किसान मोर्चा, इंकलाबी मजदूर केंद्र, वन पंचायत संघर्ष मोर्चा, गुजर युवा ट्राइबल संगठन, युवा कांग्रेस, श्रमिक संयुक्त मोर्चा (सिडकुल रुद्रपुर), इंटरार्क मजदूर यूनियन, करोलिया लाइटिंग यूनियन, मजदूर सहयोग केंद्र, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, बसपा, प्रधान संगठन, वन ग्राम विकास संघर्ष समिति, आइसा एवं परिवर्तनकामी छात्र संगठन के प्रतिनिधियों ने सम्बोधित किया एवं प्रगतिशील भोजनमाता संगठन, किसान संघर्ष समिति इत्यादि के प्रतिनिधियों ने भी भागीदारी की। -रामनगर संवाददाता