झगड़ा निपटाने के बहाने ठेका मजदूरों से मारपीट-उत्पीड़न

पंतनगर/ दिनांक 17 अप्रैल 2023 को ठेका मजदूर कल्याण समिति पंतनगर द्वारा कुलपति महोदय एवं निदेशक प्रशासन एवं अनुश्रवण विश्वविद्यालय को पत्र देकर विश्वविद्यालय सुरक्षा अधिकारी द्वारा पीड़ित ठेका मजदूरों को मुर्गा बनाने, मारपीट कर अपमानित करने जैसे निंदनीय शर्मनाक कृत्य किए जाने पर कार्यवाही किए जाने की मांग की गई। जिसकी प्रति जिलाधिकारी ऊधम सिंह नगर, उत्तराखंड एवं संयुक्त निदेशक फसल अनुसंधान केन्द्र विश्वविद्यालय पंतनगर को भेजी गई है।
    मालूम हो कि सी.आर.सी. मॉडल कालोनी में दो पड़ोसी ठेका मजदूर काफी समय से क्यारी को लेकर झगड़ा कर रहे थे। झगड़े से निजात के लिए पीड़ित शिकायत लेकर सुरक्षा अधिकारी के पास गए। विश्वविद्यालय सुरक्षा अधिकारी द्वारा पीड़ितों के साथ कार्यालय में गाली-गलौज करने, मुर्गा बनाने और सुरक्षा गार्ड द्वारा मारपीट कर अपमानित कराने का शर्मनाक कृत्य किया गया था। और कभी झगड़ा नहीं करेंगे, रहने की व्यवस्था कर लेंगे जैसे तथाकथित समझौते पर जबरदस्ती हस्ताक्षर कराए गए। हालांकि इन मजदूरों का वर्ष 2011 से ही क्यारी को लेकर आपसी झगड़ा चल रहा है जिसका ऊधमसिंह नगर न्यायालय में मुकदमा भी चल रहा है। 
    झगड़ा निपटाने का आजाद भारत की पुलिस का चरित्र भी अंग्रेजी सरकार की भांति दमनकारी है। इससे आहत पहले पीड़ित ने, फिर आक्रोशित कालोनीवासियों द्वारा सामूहिक रूप से दिनांक 20 मार्च 2023 को कुलपति जी और निदेशक प्रशासन एवं अनुश्रवण विश्वविद्यालय पंतनगर को सामूहिक प्रार्थना पत्र देकर पड़ोसी प्रयाग को गलत ठहराया गया था और श्री प्रयाग एवं उनके परिवार को कालोनी से हटाने और अन्यत्र व्यवस्था करने का अनुरोध किया गया था जिसकी प्रतियां थाना पंतनगर और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ऊधमसिंह नगर के साथ ठेका मजदूर कल्याण समिति पंतनगर को भी भेजी गई थी। परंतु प्रशासन द्वारा अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। लोगों ने पत्र में कहा कि सुरक्षा विभाग मजदूरों की सुरक्षा के लिए है न कि गरीब ठेका मजदूरों को मुर्गा बनाकर मारपीट कर अपमानित करने के लिए है। लोगों ने सुरक्षा अधिकारी पर कार्यवाही किए जाने की मांग की। 
    ठेका मजदूर कल्याण समिति द्वारा शिकायत की प्रति संलग्न करते हुए कालोनीवासियों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए झगड़ा निपटाने को लेकर पड़ोसी प्रयाग एवं उसके परिवार को इस कालोनी से हटाकर अन्यत्र व्यवस्था करने की मांग की गई। साथ ही कहा गया कि झगड़े को वैधानिक रूप से निपटाने के बजाय आजाद भारत में मजदूरों को मुर्गा बनाने, धमकाकर जबरदस्ती हस्ताक्षर कराने जैसे निंदनीय शर्मनाक कृत्य को लेकर मजदूरों में आक्रोश व्याप्त है। शांति व्यवस्था कायम रहते, बड़ी घटना होने से पहले विश्वविद्यालय सुरक्षा अधिकारी पर कार्यवाही करते हुए पद से हटाने का अनुरोध किया गया जिससे भविष्य में ऐसे शर्मनाक कृत्यों पर रोक लगाई जा सके। 
    मजदूरों की बिखरी एकता की कमजोरी का फायदा उठाकर प्रशासन के अफसर मजदूरों का शोषण-उत्पीड़न व उनको अपमानित तक कर रहे हैं। सभी ठेका मजदूरों को संगठित होकर मिलकर इसका विरोध करना होगा। मजदूरों की संगठित ताकत के बल पर ही इस तरह की तानाशाही पर लगाम लगाई जा सकती है। 
        -एक मजदूर पंतनगर

आलेख

/modi-sarakar-waqf-aur-waqf-adhiniyam

संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।

/china-banam-india-capitalist-dovelopment

आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता। 

/amerika-aur-russia-ke-beech-yukrain-ki-bandarbaant

अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं। 
    

/yah-yahaan-nahin-ho-sakata

पिछले सालों में अमेरिकी साम्राज्यवादियों में यह अहसास गहराता गया है कि उनका पराभव हो रहा है। बीसवीं सदी के अंतिम दशक में सोवियत खेमे और स्वयं सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने जो तात्कालिक प्रभुत्व हासिल किया था वह एक-डेढ़ दशक भी कायम नहीं रह सका। इस प्रभुत्व के नशे में ही उन्होंने इक्कीसवीं सदी को अमेरिकी सदी बनाने की परियोजना हाथ में ली पर अफगानिस्तान और इराक पर उनके कब्जे के प्रयास की असफलता ने उनकी सीमा सारी दुनिया के सामने उजागर कर दी। एक बार फिर पराभव का अहसास उन पर हावी होने लगा।

/hindu-fascist-ki-saman-nagarik-sanhitaa-aur-isaka-virodh

उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता को लागू कर दिया है। इस संहिता को हिंदू फासीवादी सरकार अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही है। संहिता