हरियाणा में सूरजमुखी के बीज के समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद के मसले पर किसानों के जुझारू संघर्ष ने खट्टर सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया। इस तरह किसान संघर्ष ने दिखा दिया कि दिल्ली में चले किसान आंदोलन की आग अभी शांत नहीं हुई है और किसान अपने हक-हकूक के लिए सड़़कों पर उतरते रहेंगे।
आंदोलन के क्रम में कुरुक्षेत्र में किसानों ने नेशनल हाईवे 44 को जाम कर दिया था। 12 जून को हरियाणा कुरुक्षेत्र के पीपली की अनाज मंडी में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागू करने की मांग और 6 जून को गिरफ्तार किसानों की रिहाई की मांग को लेकर महापंचायत आयोजित की गई थी। संयुक्त किसान मोर्चे के तहत एक बार फिर किसान संगठन एकजुट हुए। किसान संगठनों ने कहा कि किसानों को उनकी फसल का दाम दिया जाए नहीं तो देशभर में आंदोलन होगा। बताया जा रहा है कि पंचायत में किसानों का बड़ा हुजूम आया। किसान संगठनों ने एक लाख से अधिक किसानों के आने का दावा किया।
ज्ञात हो कि हरियाणा में किसान गुरुनाम चढूनी के नेतृत्व में सूरजमुखी के बीज की खरीद सरकार द्वारा घोषित एमएसपी पर करने की मांग कर रहे थे जिसके लिए उन्होंने सरकार को 5 जून तक का समय दिया था। लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ तो 6 जून को किसान सड़क पर उतर गए जिसके बाद पुलिस ने शाहबाद में आंदोलन कर रहे किसानों पर बर्बर लाठीचार्ज किया और गुरुनाम सिंह चढूनी सहित कई नेताओं को गिरफ्तार कर 14 दिन की हिरासत में भेज दिया। सैकड़ों किसानों के सर फूटे और गंभीर चोटें आईं थीं। इस घटना ने किसानों को गुस्से से भर दिया।
दरअसल सरकार ने सूरजमुखी के बीज की खरीद के लिए 6400 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर रखा है। लेकिन जब किसान अपनी फसल लेकर मंडी गये तो सरकार सूरजमुखी के बीज की खरीद नहीं कर रही है। सरकार के इस रुख को देखते हुए व्यापारी सूरजमुखी के बीज की खरीद 4000 रुपये प्रति क्विंटल पर कर रहे हैं। सरकार किसानों से कह रही थी कि वे अपनी फ़सल बेच दें और 1000 रुपये का भावांतर सरकार दे देगी। अगर किसान अपनी फसल बेचते और भावांतर भी उनको मिलता तो भी उनको 1400 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान होता।
12 जून को हरियाणा के अलग-अलग जिलों से किसान पिपली अनाज मंडी की महापंचायत में सुबह पहुंचने लगे थे। जिलों के नाकों पर भारी पुलिस बल लगा दिया गया था। किसानों के सैलाब के आगे पुलिस प्रशासन को पीछे हटना पड़ा। किसान महापंचायत में मांग रखी गयी कि गिरफ्तार किसानों को तुरंत रिहा किया जाय और सरकार एमएसपी की गारंटी दे। इस मांग को लेकर प्रशासन ने कई बार वार्ता की बात कही लेकिन जब दो बजे तक कोई हल नहीं निकला तो किसानों का सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने मुख्य सड़क नेशनल हाइवे 44 को ज़ाम कर दिया। और लंगर शुरू कर दिया।
दिल्ली की सीमाओं पर एक साल से अधिक चले आंदोलन में तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के साथ एम एस पी की मांग एक प्रमुख मांग थी। जब सरकार आंदोलन के दबाव में पीछे हटी तब सरकार ने लिखित आश्वासन दिया था कि वो इस पर काम करेगी लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। उस समय प्रधानमंत्री मंचों से चीख चीख कर कहते थे कि एम एस पी है और रहेगी। लेकिन जैसा होता है मोदी की कथनी और करनी में जमीन आसमान का फर्क होता है और यही चीज फिलहाल हरियाणा में सूरजमुखी के बीज की खरीद में दिखायी पड़ी। किसानों का अपनी फ़सल का न्यूनतम समर्थन मूल्य न मिलने पर आक्रोश बढ़ कर नेशनल हाईवे जाम तक जा पहुंचा।
किसानों के दृढ निश्चय को देखते हुए भाजपा की खट्टर सरकार को अंत में झुकना पड़ा और वह किसानों को सुरजमुखी के बीज का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6400 रुपये देने और साथ ही जिन किसान नेताओं को उसने गिरफ्तार किया था उनको कानूनी औपचारिकताओं के पश्चात छोड़ने पर राजी हो गयी।