अपनी मांगें मनवाने के लिए प्रशासन को किया मजबूर

आटो-टैम्पो चालकों का संघर्ष

बरेली/ बरेली शहर में लगभग 4 हजार सिटी परमिट आटो हैं और इतने ही देहात परमिट पर चलने वाले आटो-टैम्पो हैं और लगभग 6-7 हजार ई रिक्शा चल रहे हैं। पूरे शहर में बरेली परिवहन विभाग द्वारा कोई भी आटो-टैम्पो व ई रिक्शा का स्टैण्ड नहीं बनाया गया है। सभी आटो-टैम्पो के लिए मात्र बरेली रेलवे जंक्शन ही एक स्टैण्ड है जिसका बीते 4 साल से ठेका देकर रेलवे प्रशासन चालकों से 30 रुपये/दिन की पर्ची काटकर ही आटो-टैम्पो व ई रिक्शा को खड़ा करने देता है। वर्तमान में 1 जून 2023 से ठेका रद्द है। 
    

बरेली शहर में पूर्व में 2 आटो चालकों की एसोसिएशन बनी थीं जिसमें एक एसोसिएशन परिवहन विभाग में सेटिंग बिठाकर दलाली के काम में लगी हुई है तथा दूसरी एसोसिएशन आटो रिक्शा टैम्पो चालक वेलफेयर एसोसिएशन है जो कि 2008 में स्थापित हुई तथा 2009 में रजिस्टर्ड हुई, लगातार आटो-टैम्पो चालकों-मालिकों के हक अधिकार के लिए संघर्षरत है। 
    

बीते 15 वर्षों से यह एसोसिएशन चालकों के लिए संघर्षरत है। इसके द्वारा चालकों के शोषण के खिलाफ वर्ष 2008 से ही संघर्ष की शुरूआत की गई थी जब चालक यूनियन का मतलब उगाही मानते थे। तब कुछ स्थानीय गुण्ड़ा तत्व आटो चालकों से 50 रुपये/आटो/माह वसूली करते थे जो कि पुलिस प्रशासन के नाम पर की जाती थी। जो आटो चालक वसूली देने से मना करता था उसके आटो को जबरदस्ती जं. पर खड़ा करा लेते थे, रुपये लेने पर ही छोड़ते थे। यूनियन द्वारा पहला संघर्ष इसी वसूली को लेकर किया गया कि आटो चालक अपनी मेहनत की कमाई को किसी पुलिस वाले या गुण्डों को नहीं देंगे और सभा करके आटो चालकों को बता दिया कि पुलिस के नाम पर वसूली करने वालों को रुपये देने से साफ मना कर दें। गर नहीं माने तो यूनियन से सम्पर्क करें। उसके बाद रेलवे पुलिस (त्च्थ्) द्वारा वर्ष 2012 में 200 रुपये प्रति आटो की वसूली की जाने लगी जो एसोसिएशन द्वारा विरोध करके खत्म करायी गयी। 
    

वर्ष 2014 में शहर में पहला सीएनजी पम्प खोला गया। ब्न्ळस् कम्पनी यानी सेन्ट्रल यू.पी. गैस अथॉरिटी लिमिटेड सीएनजी पप्प खोलने वाली पहली कम्पनी थी। सारे ऑटो सीएनजी से चलेंगे, प्रशासन का यह आदेश हो गया। कोई भी आटो डीजल से नहीं चलेगा। तभी चालकों ने सीएनजी चालित आटो खरीदना शुरू कर दिया। शहर में मात्र एक ही सीएनजी फिलिंग स्टेशन था और लगभग 2500 सीएनजी चालित आटो शहर में आ चुके थे, प्रतिदिन 4 से 6 घंटे आटो चालकों को गैस भरवाने में ही लग जाते थे। 2-2 किमी. लम्बी लाइन लगती थी। पम्प के पड़ोस के गुंडों को लेकर कुछ आटो चालक लाइन तोड़़कर जबरदस्ती लाइन में घुस आते थे और आटो चालकों में रोज गाली-गलौच व मारपीट होती थी। यूनियन द्वारा पचासियों बार इस विषय पर जिलाधिकारी को अवगत कराया गया कि शहर में 2500 आटो पर एक पम्प है, नये पम्प खोले जायें पर प्रशासन द्वारा कोई बात नहीं सुनी गई। 
    

वर्ष 2014 की मध्य रात्रि में आटो चालकों ने सीएनजी पम्प जाम कर दिया और गैस भरवाने से मना कर दिया क्योंकि अधिक लोड होने की वजह से प्रेशर कम बनता था, गैस कम भरती थी और आटो कम चल पाता था इस कारण पुनः फिर से लाइन में लगना पड़ता था। एक बार जून माह में लाइन में लगकर गैस डलवाने के लिए आटो में धक्का लगाते-लगाते एक चालक की मौत भी हो गयी थी। 
    

आटो चालकों ने आटो के साथ-साथ किसी भी वाहन में गैस नहीं पड़ने दी और यूनियन के लोगों को पम्प पर बुलाया। यूनियन के लोग वहां पहुंचे व धरने का आयोजन किया गया और मांग रखी कि जिलाधिकारी आटो चालकों को नये पम्प को खोलने का आश्वासन दें। तभी दूसरी एसोसिएशन ने प्रशासन से कहा कि इस यूनियन के नेताओं को जब तक गिरफ्तार नहीं करोगे तब तक हड़ताल खत्म नहीं होगी। 
    

पुलिस द्वारा लाठी चार्ज करके कार्यकारिणी के 2 लोग व 2 आटो चालकों को गिरफ्तार किया गया। तब से लेकर आज तक आटो एसोसिएशन द्वारा आटो चालकों के तमाम संघर्ष किए गए। 
    

बीते एक माह से योगी सरकार द्वारा आदेश दिया गया कि आटो टैक्सी के सभी अवैध स्टैण्ड हटाये जाएं। पुलिस द्वारा बीते एक माह में बरेली शहर में लगभग 3 करोड़ रुपये के चालान किए गये तथा सिटी बसों को फायदा पहुंचाने के लिए आटो व ई रिक्शों को चौपला चौराहा में पुल के नीचे से जाने पर रोक लगा दी जिसको लेकर 1 जून को सैकड़ों आटो चालकों ने बरेली जं. पर एकत्र होकर मार्च करते हुए कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया और जिलाधिकारी को संबोधित एक पांच सूत्रीय ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा जिसमें मांगें न माने जाने पर प्रशासन को आंदोलन की चेतावनी दी गयी। 
    

पुनः 11 जून को शहर में घोषणा कराके 12 जून को दामोदर पार्क में धरने में पहुंचने की अपील की गयी। 12 जून को दामोदर स्वरूप पार्क में टैन्ट लगाकर धरने का आयोजन किया गया। लगभग 400-500 ड्राइवरों की धरने में भागीदारी हुई। 
    

प्रशासन को मजबूर होकर सभी बंद रास्तों को तत्काल खोलना पड़ा एवं सिटी मजिस्ट्रेट ने धरनास्थल पर पहुंच कर ज्ञापन लिया व सभी मांगों पर आश्वासन दिया। 
    

उसी दिन शाम को परिवहन अधिकारी द्वारा व्हाट्सएप पर एक पत्र भेजा गया जिसमें 13 जून को कमिश्नरी सभागार में यातायात की समस्याओं पर सुझाव एवं बात रखने को टैम्पो यूनियन के अध्यक्ष/महामंत्री को बुलाया गया। 
    

बैठक में आटो चालकों की स्टैण्ड एवं स्टोपेज की बात मानी गयी एवं सभी चौराहों पर स्टैण्ड व स्टापेज की लिस्ट मांगी गयी एवं आश्वासन दिया गया कि अभी अस्थायी स्टैण्ड बनाये जायेंगे।                  -बरेली संवाददाता

आलेख

/izrail-lebanaan-yudha-viraam-samjhauta-sthaayi-samadhan-nahin-hai

इजरायल की यहूदी नस्लवादी हुकूमत और उसके अंदर धुर दक्षिणपंथी ताकतें गाजापट्टी से फिलिस्तीनियों का सफाया करना चाहती हैं। उनके इस अभियान में हमास और अन्य प्रतिरोध संगठन सबसे बड़ी बाधा हैं। वे स्वतंत्र फिलिस्तीन राष्ट्र के लिए अपना संघर्ष चला रहे हैं। इजरायल की ये धुर दक्षिणपंथी ताकतें यह कह रही हैं कि गाजापट्टी से फिलिस्तीनियों को स्वतः ही बाहर जाने के लिए कहा जायेगा। नेतन्याहू और धुर दक्षिणपंथी इस मामले में एक हैं कि वे गाजापट्टी से फिलिस्तीनियों को बाहर करना चाहते हैं और इसीलिए वे नरसंहार और व्यापक विनाश का अभियान चला रहे हैं। 

/ek-baar-phir-sabhyata-aur-barbarataa

कहा जाता है कि लोगों को वैसी ही सरकार मिलती है जिसके वे लायक होते हैं। इसी का दूसरा रूप यह है कि लोगों के वैसे ही नायक होते हैं जैसा कि लोग खुद होते हैं। लोग भीतर से जैसे होते हैं, उनका नायक बाहर से वैसा ही होता है। इंसान ने अपने ईश्वर की अपने ही रूप में कल्पना की। इसी तरह नायक भी लोगों के अंतर्मन के मूर्त रूप होते हैं। यदि मोदी, ट्रंप या नेतन्याहू नायक हैं तो इसलिए कि उनके समर्थक भी भीतर से वैसे ही हैं। मोदी, ट्रंप और नेतन्याहू का मानव द्वेष, खून-पिपासा और सत्ता के लिए कुछ भी कर गुजरने की प्रवृत्ति लोगों की इसी तरह की भावनाओं की अभिव्यक्ति मात्र है। 

/idea-ov-india-congressi-soch-aur-vyavahaar

    
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था। 

/ameriki-chunaav-mein-trump-ki-jeet-yudhon-aur-vaishavik-raajniti-par-prabhav

ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।

/brics-ka-sheersh-sammelan-aur-badalati-duniya

ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती।