खेल संस्थानों में महिलाओं का यौन उत्पीड़न

राजस्थान राइफल एसोसिएशन के कोच द्वारा पिछले कुछ वर्षों में पांच महिला निशानेबाजों के साथ बलात्कार और छेड़छाड़ करने का मामला सामने आया है। महिला खिलाड़ियों ने कोच की शिकायत पहले राजस्थान राइफल संघ और भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ से की थी जिसके बाद एसोसिएशन के संयुक्त सचिव महिपाल सिंह राठौड़ ने 8 अक्टूबर को कोच शशिकांत शर्मा के खिलाफ प्राथमिकी रिपोर्ट दर्ज करवाई।
    
शिकायत में कहा गया है कि कोच शशिकांत शर्मा ने पिछले कुछ वर्षों में दो महिला खिलाड़ियों के साथ बलात्कार किया और तीन अन्य के साथ छेड़छाड़ की है।
    
महिला खिलाड़ियों ने आरोप लगाया है कि कोच ने लड़कियों को गलत तरीके से छुआ। कोच अपने पद का गलत इस्तेमाल करते हुए लड़कियों पर अकेले में मिलने का दबाव बनाता था। इतना ही नहीं कोच ने ओलम्पिक खिलाने, नेशनल मेडल दिलवाने और सरकारी नौकरी दिलवाने का झांसा देकर भी यौन उत्पीड़न किया। 
    
लड़कियों की शिकायत के मुताबिक इटली में आयोजित ग्रीन कप टूर्नामेंट के दौरान कोच ने एक खिलाड़ी को अपने साथ कमरा साझा करने के लिए मजबूर किया। वह कैरियर खराब करने तक की धमकी देने, अपनी रसूख का डर दिखाकर खिलाड़ियों को बदनाम करने की धमकी भी देता था। इस तरह के उत्पीड़न का सिलसिला कई सालों से चल रहा है। लड़कियों के अनुसार कोच की हरकतों से तंग आकर कई खिलाड़ियों ने खेल छोड़ने तक की बात कही है।
    
इस मामले में आरोपी कोच शशिकांत शर्मा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार), 354 (छेड़छाड़), 506 (आपराधिक धमकी), 504 (जान-बूझकर अपमान), 509 (यौन उत्पीड़न) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। इसके अलावा पाक्सो अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया गया है, क्योंकि एक शिकायतकर्ता नाबालिग लड़की है। मुकदमा दर्ज होने के बाबजूद अभी तक आरोपी कोच शशिकांत शर्मा की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
    
यह कोई पहली घटना नहीं है जब खेल संस्थाओं में महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया हो। इससे पहले अभी हाल ही में कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण के पर महिला पहलवानों के साथ यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था जिसमें प्राथमिकी रिपोर्ट दर्ज होने के बावजूद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। महिला पहलवानों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई और बृजभूषण शरण की गिरफ्तारी के लिए दिल्ली में धरने पर बैठ गईं। ऐसे में सरकार ने बृजभूषण को गिरफ्तार करने के बजाय महिला पहलवानों पर ही लाठी चार्ज कर उनका धरना हटा दिया।
    
पिछले पांच सालों में खेल संस्थानों में यौन उत्पीड़न के मामलों की तस्वीर और गम्भीर हुई है। और ये तब है, जब बहुत से मामले रिपोर्ट ही नहीं होते है। इस सम्बन्ध में खुद केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया है कि जनवरी 2017 से जुलाई 2022 के बीच भारतीय खेल प्रतिष्ठानों में यौन उत्पीड़न की 30 शिकायतें मिली थीं जिनमें दो शिकायतें गुमनाम थीं। लेकिन इन मामलों में क्या कार्यवाही हुई इसकी कोई जानकारी नहीं है।
    
चाहे कुश्ती महासंघ हो या राजस्थान राइफल संघ अधिकतर खेल सस्थानों में महिलाओं को हिंसा झेलनी पड़ती है और जब महिलाएं शिकायत करती हैं तो कोई खास कार्यवाही नहीं होती है। क्योंकि देश के अधिकांश खेल संस्थानों की कमान या तो राजनेताओं के पास है या पैसे वाले अमीरों के हाथों में है जिनकी पहुंच खेल मंत्रालय से लेकर ऊपर तक है जिसका इस्तेमाल करके वे महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न भी करते हैं और सजा से भी बच जाते हैं।
    
मोदी सरकार महिला सशक्तिकरण की बड़ी-बड़ी बातें करती है। महिलाओं के 33 प्रतिशत आरक्षण को भी ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ का नाम दिया गया। ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ ‘खेलो इण्डिया’ जैसे नारे उछाले जाते हैं। लेकिन वहीं महिलाओं के साथ अपराध करने वाले अपराधियों को संरक्षण दिया जाता है। चाहे वह बृजभूषण हो या कुलदीप सेंगर हो, चाहे वह बिल्किस बानो के अपराधी हों या फिर अंकिता भंडारी के अपराधी। ऐसे अपराधियों को संरक्षण देने का काम किया जा रहा है। 
    
खेल संस्थानों में ही नहीं समाज में हर जगह महिलाओं के साथ हिंसा बढ़ती जा रही है। लेकिन इसके साथ ही महिला हिंसा के खिलाफ महिलाएं अपनी आवाज भी लगातार बुलंद कर रही हैं। उसका प्रतिरोध कर रही हैं। अब वे चुपचाप बरदाश्त नहीं कर रही हैं।

आलेख

/idea-ov-india-congressi-soch-aur-vyavahaar

    
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था। 

/ameriki-chunaav-mein-trump-ki-jeet-yudhon-aur-vaishavik-raajniti-par-prabhav

ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।

/brics-ka-sheersh-sammelan-aur-badalati-duniya

ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती। 

/amariki-ijaraayali-narsanhar-ke-ek-saal

अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को