भारतीय सेना अब मोदी के प्रचार में

प्रचार को हमेशा उत्सुक रहने वाले प्रधानमंत्री मोदी की ख्वाहिश को रक्षा मंत्रालय ने पूरा कर दिया है। रक्षा मंत्रालय ने सैकड़ों ऐसे सेल्फी प्वाइंट बनाने का निर्णय लिया है जो झांकीनुमा होंगे व जिसमें प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर लगाना अनिवार्य होगा। यह सब रक्षा क्षेत्र में अच्छे कामों को दिखाने के नाम पर किया जायेगा। 
    
ये झांकीनुमा सेल्फी प्वाइंट थ्री डी होंगे। ये सेल्फी प्वाइंट नौ शहरों नई दिल्ली, नासिक, इलाहाबाद, पुणे, कोलकाता, बैंगलुरू, गुवाहाटी, कोल्लम और मेरठ में बनेंगे। ये सेल्फी प्वाइंट ऐसी जगहों पर बनेंगे जहां अधिकतम लोग आते हों मसलन युद्ध स्मारक, ट्रेन, मेट्रो, बस अड्डे, हवाई अड्डे, माल, स्कूल-कालेज, बाजार व पर्यटक स्थल आदि। 
    
इसके साथ ही इस कवायद की रक्षा से जुड़े हर विभाग को सोशल मीडिया हैंडल, अलग एप, ईमेल, व्हाट्सएप अकाउंट जारी कर फीडबैक तंत्र स्थापित करना होगा। इन पर लोग अपनी सेल्फी विभाग को भेज सकेंगे। 
    
रक्षा मंत्रालय से जुड़े विभागों को अलग-अलग संख्या में सेल्फी प्वाइंट बनाने का जिम्मा दिया गया है। भारतीय सेना को 100, वायु सेना को 75, नेवी को 50 ऐसे प्वाइंट बनाने का जिम्मा मिला है। कुल 822 सेल्फी प्वाइंट बनाने जाने हैं। इन सेल्फी प्वाइंट की थीम भी बतायी गयी है। जैसे सेनाओं को आत्मनिर्भर भारत, सशक्तिकरण, नारी शक्ति पर ये प्वाइंट बनाने हैं। सैनिक बोर्डों को पूर्व सैनिकों के कल्याण पर, कंटोनमेंट बोर्ड को निवासियों की बेहतर निवास सुविधा पर ये सेल्फी प्वाइंट बनाने हैं। रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी सर्कुलर में चित्रों के जरिये इन प्वाइंटों के उदाहरण भी प्रस्तुत किये हैं। 
    
स्पष्ट है कि अब जनता प्रधानमंत्री मोदी के साथ इन प्वाइंटों पर फोटो खिंचा सकेगी। सम्भवतः हर जगह संघी वाहिनी इस फोटो खिंचवाने के कृत्य को भी देशभक्ति करार देने हेतु तैनात कर दी जायेगी। अब बस अड्डे-चौराहों से लेकर पर्यटन स्थल तक सब जगह मोदी को लोग देख पायेंगे। 
    
प्रचार की भूख में कभी मायावती ने सैकड़ों हाथी लखनऊ के एक पार्क में खड़े कर दिये थे। एकाध अपनी मूर्ति भी लगा दी थी तो भाजपा समेत बाकी दल उन पर बेजा खर्च के आरोप के साथ टूट पड़े थे। पर अब मोदी रक्षा मंत्रालय का पैसा अपनी मूर्तियां इन प्वाइंटों में लगवाने में बहायेंगे तो चाटुकार मीडिया इसके कसीदे गढ़ेगा। सेना को मोदी के प्रचार में झोंकने की यह शुरूआत है। 
    
इससे पूर्व सरकार सैनिकों को आदेश दे चुकी है कि वे छुट्टी पर जाने के दौरान सरकारी योजनाओं के बारे में मसलन स्वच्छ भारत अभियान, आयुष्मान भारत, एन पी एस, अटल पेंशन, ग्राम ज्योति योजना के जनता को लाभ समझायें। स्पष्ट है संघ-भाजपा सेना का भी फासीवादीकरण कर उनसे भी अपना चुनाव प्रचार कराने को उतारू है।   

आलेख

/ceasefire-kaisa-kisake-beech-aur-kab-tak

भारत और पाकिस्तान के इन चार दिनों के युद्ध की कीमत भारत और पाकिस्तान के आम मजदूरों-मेहनतकशों को चुकानी पड़ी। कई निर्दोष नागरिक पहले पहलगाम के आतंकी हमले में मारे गये और फिर इस युद्ध के कारण मारे गये। कई सिपाही-अफसर भी दोनों ओर से मारे गये। ये भी आम मेहनतकशों के ही बेटे होते हैं। दोनों ही देशों के नेताओं, पूंजीपतियों, व्यापारियों आदि के बेटे-बेटियां या तो देश के भीतर या फिर विदेशों में मौज मारते हैं। वहां आम मजदूरों-मेहनतकशों के बेटे फौज में भर्ती होकर इस तरह की लड़ाईयों में मारे जाते हैं।

/terrosim-ki-raajniti-aur-rajniti-ka-terror

आज आम लोगों द्वारा आतंकवाद को जिस रूप में देखा जाता है वह मुख्यतः बीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध की परिघटना है यानी आतंकवादियों द्वारा आम जनता को निशाना बनाया जाना। आतंकवाद का मूल चरित्र वही रहता है यानी आतंक के जरिए अपना राजनीतिक लक्ष्य हासिल करना। पर अब राज्य सत्ता के लोगों के बदले आम जनता को निशाना बनाया जाने लगता है जिससे समाज में दहशत कायम हो और राज्यसत्ता पर दबाव बने। राज्यसत्ता के बदले आम जनता को निशाना बनाना हमेशा ज्यादा आसान होता है।

/modi-government-fake-war-aur-ceasefire

युद्ध विराम के बाद अब भारत और पाकिस्तान दोनों के शासक अपनी-अपनी सफलता के और दूसरे को नुकसान पहुंचाने के दावे करने लगे। यही नहीं, सर्वदलीय बैठकों से गायब रहे मोदी, फिर राष्ट्र के संबोधन के जरिए अपनी साख को वापस कायम करने की मुहिम में जुट गए। भाजपाई-संघी अब भगवा झंडे को बगल में छुपाकर, तिरंगे झंडे के तले अपनी असफलताओं पर पर्दा डालने के लिए ‘पाकिस्तान को सबक सिखा दिया’ का अभियान चलाएंगे।

/fasism-ke-against-yuddha-ke-vijay-ke-80-years-aur-fasism-ubhaar

हकीकत यह है कि फासीवाद की पराजय के बाद अमरीकी साम्राज्यवादियों और अन्य यूरोपीय साम्राज्यवादियों ने फासीवादियों को शरण दी थी, उन्हें पाला पोसा था और फासीवादी विचारधारा को बनाये रखने और उनका इस्तेमाल करने में सक्रिय भूमिका निभायी थी। आज जब हम यूक्रेन में बंडेरा के अनुयायियों को मौजूदा जेलेन्स्की की सत्ता के इर्द गिर्द ताकतवर रूप में देखते हैं और उनका अमरीका और कनाडा सहित पश्चिमी यूरोप में स्वागत देखते हैं तो इनका फासीवाद के पोषक के रूप में चरित्र स्पष्ट हो जाता है। 

/jamiya-jnu-se-harward-tak

अमेरिका में इस समय यह जो हो रहा है वह भारत में पिछले 10 साल से चल रहे विश्वविद्यालय विरोधी अभियान की एक तरह से पुनरावृत्ति है। कहा जा सकता है कि इस मामले में भारत जैसे पिछड़े देश ने अमेरिका जैसे विकसित और आज दुनिया के सबसे ताकतवर देश को रास्ता दिखाया। भारत किसी और मामले में विश्व गुरू बना हो या ना बना हो, पर इस मामले में वह साम्राज्यवादी अमेरिका का गुरू जरूर बन गया है। डोनाल्ड ट्रम्प अपने मित्र मोदी के योग्य शिष्य बन गए।