प्रोटेरियल (हिताची) के मजदूरों को मिली आंशिक सफलता

गुड़गांव/ 12 मई को प्रोटेरियल यानी हिताची के मजदूरों का प्रबंधन के साथ समझौता होने के साथ ही उनका संघर्ष फिलहाल खत्म हो गया है। प्रोटेरियल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड मानेसर यानी हिताची के मजदूर प्रबंधन द्वारा मजदूरों को निकाले जाने के खिलाफ 11 मई को कंपनी के अंदर और बाहर धरने पर बैठ गये थे। ये मजदूर उस समय यह कार्यवाही करने को मजबूर हुए जब प्रबंधन ने यूनियन के 2 नेताओं को निकाल दिया। इससे पहले भी कंपनी प्रबंधन 3 यूनियन नेताओं और अन्य मजदूरों को निकाल चुका था।
    

समझौते के अनुसार 2 यूनियन नेताओं और 30 मजदूरों को अभी जबकि निकाले गये बाकी मजदूरों को 18 मई को काम पर वापिस लिया जायेगा।
    

दरअसल श्रम विभाग में यूनियन का मांगपत्र अभी पेंडिंग है। यह मांगपत्र मजदूरों ने जून-जुलाई 2022 को लगाया था। इस मांगपत्र पर कार्यवाही करने के बजाय कम्पनी प्रबंधन ने 25 मजदूरों और 3 यूनियन नेताओं को काम से निकाल दिया। इसके अलावा कम उत्पादन या अन्य वजहों का बहाना बनाकर भी प्रबंधन मजदूरों को परेशान कर रहा था। 11 मई को जब प्रबंधन ने 2 और यूनियन नेताओं को काम से बाहर निकाला तो मजदूरों ने भी संघर्ष करने का तय किया और शाम 5 बजे मजदूरों ने काम बंद कर दिया। ए तथा सी शिफ्ट के मजदूर बाहर और बी शिफ्ट के मज़दूर अंदर बैठ गये।
    

जब मजदूर धरने पर बैठ गये तो प्रबंधन मजदूरों को धमकाने के लिए पुलिस और गुंड़ों दोनों का सहारा ले रहा था। केंद्र और राज्य दोनों जगह घोर मजदूर विरोधी सरकार होने के कारण भी प्रबंधन के हौंसले बुलंद थे। प्रबंधन ने मजदूरों को परेशान करने के लिए टॉयलेट भी बंद कर दिया। 12 मई को शाम 4 बजे लेबर इंस्पेक्टर के आने के बाद टॉयलेट खोला गया। 11 मई को मजदूर ज्यादातर समय भूखे ही रहे।
    

हिताची के इस मजदूर संघर्ष में इंकलाबी मजदूर केंद्र, मजदूर सहयोग केंद्र, बेलसोनिका यूनियन, मारुती सुजुकी वर्कर्स यूनियन, सुजुकी पावर ट्रेन यूनियन आदि ने भी सहयोग किया। 12 मई को सुबह सुजुकी पावर ट्रेन यूनियन ने नाश्ता पहुंचाया और शाम का खाना मारुती सुजुकी वर्कर्स यूनियन ने खिलाया और मजदूरों का हौंसला बढ़ाया।
    

हिताची के मजदूर लम्बे समय से ठेका प्रथा के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं। ज्यादातर मजदूरों को आई टी आई कैंपस से भरती किया गया था। इन्हें शुरुवात में ट्रेनिंग के नाम पर रखा गया था। लेकिन ट्रेनिंग खत्म होने के बाद इन्हें स्थायी करने के बजाय ठेकेदारी प्रथा में रख लिया गया जिसका ये मज़दूर विरोध कर रहे हैं। ये मजदूर बेलसोनिका कम्पनी के मजदूरों के साथ मिलकर ठेका प्रथा खत्म करने का भी संघर्ष कर रहे हैं। इसीलिए भी कम्पनी प्रबंधन की निगाह में ये चुभते हैं।
    

अभी मजदूरों ने अपने संघर्षों और अन्य मजदूर संगठनों की सहायता से आंशिक सफलता हासिल की है। हिताची के मजदूरों को आगे और बड़े संघर्षों की तैयारी करनी होगी। इसके लिए उन्हें और ज्यादा व्यापक मजदूरों की एकता की जरूरत है। मजदूरों की व्यापक एकता ही उनके संघर्षों की दिशा को तय करेगी।     -गुड़गांव संवाददाता
 

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