इण्टरनेट बैन : सामूहिक दण्ड
भारत में इण्टरनेट पर पाबंदी (बैन) की घटनाएं तेजी से बढ़ती जा रही हैं। केन्द्र व राज्य सरकारें जब मर्जी आये तब इण्टरनेट को बंद कर देती हैं। यह बंदी कुछेक दिनों से लेकर महीन
भारत में इण्टरनेट पर पाबंदी (बैन) की घटनाएं तेजी से बढ़ती जा रही हैं। केन्द्र व राज्य सरकारें जब मर्जी आये तब इण्टरनेट को बंद कर देती हैं। यह बंदी कुछेक दिनों से लेकर महीन
पिछले दिनों गजब हो गया। गूगल के जैमिनी ए आई मशीन से मोदी के बारे में पूछा गया तो उसने मोदी को ‘‘फासीवादी’’ बता दिया। क्यों हैं मोदी फासीवादी तो इसका जवाब था कि ‘भाजपा की
आजकल पं.बंगाल का संदेशखाली राष्ट्रीय मीडिया में चर्चा का मुद्दा बना हुआ है। ऐसा होना स्वाभाविक भी है। संघ-भाजपा की चाटुकारिता में लीन मीडिया विपक्षी दल के शासन तले होने व
8 फरवरी को उत्तराखण्ड के हल्द्वानी शहर के बनभूलपुरा इलाके में हुई हिंसा की असलियत क्रमशः परत दर परत खुलकर सामने आ रही है। जिससे यह साफ नजर आ रहा है कि 8 फरवरी की घटना के लिए शासन-प्रशासन की मनमाने
अभी राम मंदिर का निर्माण पूरा भी नहीं हुआ है और उसके जरिये राजनैतिक-धार्मिक उन्माद का ज्वार अभी उतरा भी नहीं है कि भाजपा-संघ के नेता नया राग काशी और मथुरा को लेकर अलापने
आज से करीब ढाई हजार साल पहले जब प्लेटो यानी अफलातून ने अपनी ‘गणराज्य’ नामक किताब में आदर्श राज्य व्यवस्था का खाका खींचा तो साथ ही इसके स्थायित्व की भी व्याख्या की। उसने क
भारत के राष्ट्रपति का पद हर लिहाज से सर्वोच्च पद है। वे भारत के प्रथम नागरिक हैं। वे तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमाण्डर हैं। भारत सरकार उनके नाम पर ही काम करती है। संसद में
कहावत है कि गुलामी की चुपड़ी रोटी से आजादी की घास ज्यादा बेहतर होती है। लगता है कि हिन्दू फासीवादियों ने इस कहावत को दिल से जिया है और वे अब आजादी के पचहत्तर साल बाद देश क
राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा सम्पन्न हो चुकी है। इसके इर्द-गिर्द भाजपा ने 2024 के आम चुनाव के लिए अपना प्रमुख एजेण्डा भी स्पष्ट कर दिया है। 2014 के चुनाव के दौरान उछाले
जब 2019 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद मसले पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आया तो कई लोगों को अचरज हुआ था कि उदार और धर्म निरपेक्ष माने जाने वाले न्यायाधीश चन्द्रचूण भी उस अ
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था।
ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।
ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती।
अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को