फासीवाद / साम्प्रदायिकता,

मणिपुर : फासीवादी भाजपा की प्रयोगशाला

मणिपुर अभी भी अशांत है। अभी भी हिंसा-आगजनी की खबरें छन-छन कर आ रही हैं। विशेषकर कूकी समुदाय के लोग भयानक असुरक्षा में हैं। एक तरफ देश की राजधानी में निरंकुश मोदी सरकार 75

‘हिन्दू राष्ट्र’ की ओर एक और कदम

संघ परिवार की ओर से गाहे-बगाहे यह बात होती रही है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना के सौ साल होने तक भारत एक ‘हिन्दू राष्ट्र’ बन जायेगा। अब यह समय बहुत नजदीक आ गया

उफ्फ! ये राष्ट्रवाद

किसे पता था कि लक्षद्वीप का नाम मालदीव से मिलता-जुलता होने की कीमत इतनी बड़ी हो सकती है, कि ये मुद्दा मीडिया पर छा जाए और ट्विटर पर इतना बड़ा राष्ट्रीय उन्माद खड़ा हो जाए कि

हसदेव में खनन और अडाणी

अडाणी समूह की निगाहें छत्तीसगढ़ के हसदेव के जंगलों पर लगी हुई हैं। वह यहां से कोयला निकालने की फिराक में है। हसदेव एक प्राचीन घना अछूता जंगल क्षेत्र है जहां सतह से कम गहरा

प्रधानमंत्री आवास योजना में रामलला

देश के स्वनामधन्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बताया है कि उन्होंने रामलला को रहने के लिए एक मकान दे दिया है। एक भाषण में उन्होंने कहा कि पहले रामलला एक टेन्ट में रहते थ

राजनीति और धर्म

वर्तमान इजरायल-फिलीस्तीनी जंग को हिन्दू फासीवादियों ने यहूदी बनाम मुसलमान का रूप देते हुए सारे मुसलमानों को एक खास रंग में रंगने कोशिश की और प्रकारांतर से हिन्दुओं को उनस

पाखंडियों का राज

नैतिकता और पाखंड साथ-साथ चलते हैं। जहां नैतिकता होगी वहां पाखंड भी होगा। अक्सर ही जो जितना नैतिकतावादी होता है वह उतना ही पाखंडी भी होता है। इसकी सीधी वजह यह है शोषण-उत्प

उत्तराखण्ड : मूल निवास व भू कानून का मुद्दा

उत्तराखण्ड के पहाड़ी इलाके में मूल निवास व भू कानून का मुद्दा एक बार फिर जोर पकड़ रहा है। इस मसले पर प्रदेश के पहाड़ी व तराई के जिले एक बार फिर से बंटे-बंटे नजर आ रहे हैं। 2

जम्मू कश्मीर : सेना द्वारा तीन निर्दोष नागरिकों की हत्या

जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में बफलिया इलाके के टोपा पीर गांव में सेना के जवानों ने तीन निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी। ये नागरिक बकरवाल समुदाय (गुज्जर) से थे। इन नागरिकों

औपनिवेशिक अतीत से मुक्ति के नाम पर काली गुलामी के दस्तावेज

‘भारतीय न्याय संहिता’, ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता’ और ‘भारतीय साक्ष्य विधेयक’ नामक तीन महत्वपूर्ण विधेयक संसद में विपक्षी सांसदों के निलम्बन और अनुपस्थिति के बीच पिछले

आलेख

/idea-ov-india-congressi-soch-aur-vyavahaar

    
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था। 

/ameriki-chunaav-mein-trump-ki-jeet-yudhon-aur-vaishavik-raajniti-par-prabhav

ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।

/brics-ka-sheersh-sammelan-aur-badalati-duniya

ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती। 

/amariki-ijaraayali-narsanhar-ke-ek-saal

अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को