साम्राज्यवाद

म्युनिख सुरक्षा सम्मेलन में फिलिस्तीन कहां?

म्युनिख सुरक्षा सम्मेलन, 2024 फरवरी के तीसरे सप्ताह में सम्पन्न हुआ। कहने के लिए तो यह सुरक्षा सम्मेलन था और इसमें बार-बार ‘‘शांति’’ और ‘‘सहयोग’’ की दुहाई दी जा रही थी। ल

जर्मनी : बढ़ती मुस्लिम विरोधी हिंसा

जर्मनी में फासीवादी दल ए एफ डी की गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं। जब से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन में क्रूर नरसंहार शुरू हुआ और जर्मन शासकों ने इजरायल के समर्थन में खड़ा होना

रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिकी-यूरोपीय साम्राज्यवादी

रूस-यूक्रेन युद्ध दो वर्ष बाद भी समाप्त होने की ओर नहीं है। युद्ध में एक बार फिर रूस को कुछ बढ़त मिलने की खबरें आ रही हैं। यूक्रेन के एक महत्वपूर्ण ठिकाने अवदिवका पर रूसी

फिलिस्तीनी मुक्ति आंदोलन से जुड़े साहित्यकार की हत्या

राफेत अलारेर नामक फिलिस्तीन के शिक्षाविद और कवि की हत्या इजरायली हवाई हमले के जरिये 7 दिसम्बर को कर दी गयी। राफेत अलारेर गाजा के इस्लामिक विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य के प्रोफेसर थे। इसके अति

गाजा नरसंहार और संयुक्त राष्ट्र

7 दिनों के युद्ध विराम के बाद फिलिस्तीन पर इजरायल द्वारा हमला फिर से शुरू हो गया है। जब दोनों पक्षों के बीच युद्ध विराम हुआ तो कुछ लोगों को उम्मीदें जगीं थी कि हो सकता है

कॉप-28 : जलवायु परिवर्तन रोकने का पाखण्ड

30 नवम्बर से 12 दिसम्बर 2023 तक दुबई में लगभग 200 देश जलवायु परिवर्तन पर घड़ियाली आंसू बहाने के लिए इकट्ठा हो रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में 1995 से हर वर्ष जलवा

इस्लाम विरोध : एक साम्राज्यवादी कुचक्र

इजरायल फिलिस्तीन के बीच वर्तमान संघर्ष के दौरान एक बार फिर इस्लाम विरोध चरम पर है। भारत के हिन्दू फासीवादियों से लेकर पश्चिमी साम्राज्यवादी शासक सभी इस्लाम पर निशाना साध रहे हैं। तरह-तरह से बताया ज

नदी से समुद्र तक, आजाद होगा फिलिस्तीन !

फिलिस्तीन के समर्थन में 4 नवम्बर 2023 को वाशिंगटन में रैली

गाजा पट्टी पर इजरायली फौजों द्वारा खूंखार हमले को एक महीने से ज्यादा समय हो गया है। अभी तक लगभग 11,000 फिलिस्तीनी लोगों का नरसंहार हो चुका है। इनमें से आधे से ज्यादा बच्च

आलेख

/idea-ov-india-congressi-soch-aur-vyavahaar

    
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था। 

/ameriki-chunaav-mein-trump-ki-jeet-yudhon-aur-vaishavik-raajniti-par-prabhav

ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।

/brics-ka-sheersh-sammelan-aur-badalati-duniya

ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती। 

/amariki-ijaraayali-narsanhar-ke-ek-saal

अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को