कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन के कर्मचारियों का 15 दिन लंबा धरना चला था। इस धरने में इंजीनियर से लेकर मजदूर तक सब शामिल थे। इसमें स्थायी कर्मचारी से लेकर संविदा/निविदा पर काम करने वाले कर्मचारी सब संघर्ष कर रहे थे। इस संघर्ष को कुचलने के लिए सरकार ने साम-दाम-दण्ड-भेद का इस्तेमाल किया। संघर्षरत संगठनों के नेतृत्व को धमकाया, निविदा/संविदा कर्मियों को काम से निकाला/दमन की धमकी दी। इस तरह दबाव में लेकर सिर्फ आश्वासन पर आंदोलन समाप्त करा दिया। आंदोलन समाप्त होने के बाद कर्मियों की किसी मांग को आज तक पूरा नहीं किया गया। उल्टे उन्हें तरह-तरह से धमकाया गया। काम से निकाला गया। मुकदमे भी वापस नहीं हुए और संविदाकर्मियों का आंदोलन के समय का वेतन काट लिया गया।
संविदाकर्मी कारपोरेशन में जिस भ्रष्टाचार और गबन के खिलाफ संघर्ष कर रहे थे। जिस मैन पावर सप्लायर कंपनी के खिलाफ संघर्ष कर रहे थे। वह कंपनी मजदूरों के पी.एफ. व वेतन का करोड़ों रुपया लेकर भाग गयी। संघर्ष के बाद कंपनी पर मुकदमा तो लिखा गया लेकिन मजदूरों के पैसे की रिकवरी नहीं हुयी। योगी सरकार के बुलडोजर के पहिए कंपनी के दरवाजे तक पहुंचने से पहले ही पंचर हो गये।
लेकिन संविदा/निविदा कर्मियों की समस्यायें कम होने के बजाय लगातार बढ़ रही हैं। उक्त कंपनी के तहत बदायूं, बरेली, शाहजहांपुर, पीलीभीत सहित 6 जिलों में संविदा/निविदा पर मजदूर रखे गये। ये लोग लाइन से लेकर हाइडिल पर सप्लाई तक का काम देखते हैं। जिस कंपनी ने इन लोगों को काम पर लगाया वह गबन व भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसी होने के कारण भाग गयी। लेकिन ये लोग अभी तक विभाग में कार्य कर रहे हैं। कंपनी जाने के बाद एक-दो माह का वेतन विभाग ने सीधे मजदूरों को दिया लेकिन मार्च, अप्रैल माह का वेतन इनको नहीं दिया गया। ये लोग जब अधिकारियों से मिलते हैं तो अधिकारी साफ कह देते हैं कि आप विभाग के कर्मचारी नहीं हैं। वे कुछ नहीं कर सकते। अपनी अपाइन्टिंग अथॉरिटी से बात करो। अपाइन्टिंग अथॉरिटी कोई है नहीं। ऐसे में सवाल उठता है तो फिर इनसे काम कौन ले रहा है। मजदूरों का कहना है कि अधिकारी इनसे काम तो लेते हैं। कोई दिक्कत हो तो इन्हें ही बुलाया जाता है। लेकिन विभाग इन्हें अपना कर्मचारी मानने को तैयार नहीं है।
हालात यह हैं कि इस दौरान कई मजदूर खम्भे से गिरकर या करण्ट से जलकर घायल हुए हैं। ये लोग प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं। वेतन मिल नहीं रहा है तो इनके सामने गंभीर आर्थिक संकट मौजूद है। इनका संगठन कुछ चंदा करके इनकी मदद कर रहा है। लेकिन विभागीय अधिकारी मिलने भी नहीं गये। इलाज के नाम पर साफ मना कर दिया। ई.एस.आई. की सुविधा भी इन लोगों को नहीं मिल रही है। क्योंकि पता चला है कि कंपनी ने इनके वेतन से ई.एस.आई. का पैसा तो काटा पर जमा नहीं किया। पिछले आंदोलन के बाद कार्यवाही के नाम पर हर जिले में सैकड़ों लोगों को काम से निकाल दिया गया। इन सब कारणों से विभाग के संविदा/निविदा कर्मियों के सामने गंभीर संकट पैदा हो गया।
इन्हीं कारणों से 23 मई को बदायूं में अधीक्षण अभियंता कार्यालय पर सांकेतिक धरना उ.प्र. पावर कारपारेशन संविदा/निविदा कर्मचारी संघ द्वारा शुरू किया गया। मांगें थीं कि मार्च-अप्रैल के वेतन का भुगतान किया जाए। कंपनी द्वारा गबन किये गये पैसे की रिकवरी कर मजदूरों को पैसा वापस किया जाए। घायल कर्मचारियों का इलाज कराया जाए। धरना सुबह 10 बजे शुरू हुआ। धरने में क्रालोस के सतीश व शिक्षामित्र संघ के मृदुलेश यादव भी समर्थन देने पहुंचे। धरने में सैकड़ों मजदूर भीषण गर्मी में बैठे रहे। शाम को लगभग 3ः30 बजे एस.डी.एम. सदर पहुंचे। उन्होंने पहले आंदोलनकारी मजदूरों के नेतृत्व फिर विभाग के उच्च अधिकारियों से बातचीत की। बातचीत के बाद लिखित समझौता हुआ कि 29 मई 23 तक बकाया वेतन का भुगतान करा दिया जाएगा। लगभग 5 बजे आंदोलन इसी आश्वासन पर स्थगित कर दिया गया।