‘‘बुलडोजर न्याय’’ : उत्तर प्रदेश से राजस्थान

बुलडोजर न्याय

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा चलाई जा रही ‘‘बुलडोजर न्याय’’ की नीति आज देश के अन्य राज्यों जैसे दिल्ली, बिहार, हरियाणा, राजस्थान आदि में भी देखने को मिल रही है। बुलडोजर की कार्रवाई का उदाहरण हाल ही में राजस्थान की एक घटना में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जहां सरकार ने अपराधी (आरोपी कहना ज्यादा सही होगा क्योंकि अपराध अभी साबित नहीं हुआ है) के घर को अवैध घोषित कर एक ही दिन में ध्वस्त कर दिया।
    
यह घटना राजस्थान के उदयपुर में घटी, जहां एक स्कूल में दसवीं कक्षा के छात्र पर उसके सहपाठी ने चाकू से हमला कर दिया। इस हमले में छात्र गंभीर रूप से घायल हो गया और चार दिनों बाद, 20 तारीख को उसकी मृत्यु हो गई। इस घटना से गुस्साए लोगों ने शहर में भारी हंगामा किया, जिससे शांति बहाल करने के लिए प्रशासन को धारा 163 लागू करनी पड़ी। घटना में शामिल दोनों छात्रों की उम्र लगभग 15-16 साल की थी।
    
घटना के बाद अपराधी और उसके पिता को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद प्रशासन ने अपराधी के घर को अवैध घोषित कर उसे गिरा दिया। अब सवाल यह उठता है कि क्या केवल अपराधी का घर ही अवैध था? अगर ऐसा नहीं है, तो क्या सरकार कभी भी समय आने पर बाकी घरों को भी अवैध घोषित कर गिरा सकती है? ऐसा लगता है कि सरकार ने अपराधी के घर को ध्वस्त कर एक उदाहरण स्थापित किया है, जिससे भविष्य में जनता की विरोध की आवाज को दबाया जा सके।
    
किसी भी भवन या मकान को ध्वस्त करने से पहले प्रशासन को धारा 27 के तहत मकान मालिक को 30 दिनों का नोटिस देने का प्रावधान है। लेकिन ऐसे मामलों में देखा जाता है कि सरकार बिना इस नोटिस अवधि के सीधे मकान गिरा देती है, जिसे न्यायपूर्ण कार्रवाई के रूप में देखना गलत है। ऐसी कार्रवाइयों से सरकार एक ऐसे समाज का निर्माण कर रही है, जो भविष्य में गंभीर समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।
    
दूसरी ओर, जब घटनाएं दो समुदायों के बीच होती हैं, तो धार्मिक कट्टरपंथी दल अपने साम्राज्य को मजबूत करने के लिए जनता के बीच एक विशेष समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने का काम करते हैं। वे हिंसात्मक गतिविधियों, आगजनी, दुकानों को तोड़ने जैसी घटनाओं को अंजाम देकर शहर में भय और आतंक का माहौल बनाते हैं, जिससे भारी जान-माल का नुकसान होता है।
    
इन सब के विपरीत, होना यह चाहिए कि अपराधी को कानून के दायरे में लाकर उसे उचित कानूनी सजा दी जाए। कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए न्याय की स्थापना होनी चाहिए, ताकि समाज में स्थायित्व और शांति बनी रहे। 
        -एक मजदूर, गुड़गांव

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