बाबा रामदेव : एक रियल स्टेट दिग्गज

योग गुरू बाबा रामदेव एक रियल स्टेट दिग्गज भी हैं। जी हां, ‘‘रिपोर्टर्स कलेक्टिव’’ ने विस्तृत शोध कर तथ्यों के साथ इसे प्रमाणित किया है कि अरावली पर्वत रेंज में फरीदाबाद के मांगर गांव में बाबा रामदेव कई फर्जी (शेल) कंपनियां बनाकर जमीनों को खरीदने-बेचने के धंधे में लिप्त हैं। 
    
गौरतलब है कि शेल कंपनियां ऐसी कंपनियां होती हैं जिनका अस्तित्व सिर्फ कागजों पर होता है और सामान्यतः इन्हें काले धन को कई परतों में छिपाकर बैंकिंग लेन-देन के जरिये सफेद बनाने एवं टैक्स बचाने के लिये खड़ा किया जाता है। ‘‘रिपोर्टर्स कलेक्टिव’’ ने दो भागों में बंटी अपनी विस्तृत रिपोर्ट में बताया है कि बाबा रामदेव ने ऐसी अनेकों शेल अथवा फर्जी कंपनियां खड़ी कर दिल्ली से सटे फरीदाबाद के मांगर गांव में 123 एकड़ जमीन पर कब्जा जमाया हुआ है, जो कि संभव है कि इससे ज्यादा भी हो क्योंकि ‘‘रिपोटर्स कलेक्टिव’’ की टीम मांगर गांव में बाबा रामदेव के सभी जमीन सौदों का पता अभी नहीं लगा सकी है।
    
रिपोर्टर्स कलेक्टिव ने अपनी रिपोर्ट में पतंजलि कोरूपैक प्राइवेट लिमिटेड का उदाहरण देते हुये बताया कि 2009 में खड़ी की गई इस कंपनी के मालिक बाबा रामदेव के भाई रामभरत यादव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के सह संस्थापक और प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण हैं। आचार्य बालकृष्ण के पास इस कंपनी के 92 प्रतिशत शेयर हैं। इस कंपनी का घोषित उद्देश्य पैकेजिंग सामग्री का निर्माण करना है, लेकिन अपने घोषित उद्देश्य के अनुरूप इसने आज तक एक नये रुपये का भी कारोबार नहीं किया है; जबकि मांगर गांव में यह कंपनी जमीनों की खरीद-बेच के धंधे में लिप्त है, जो कि सीधे-सीधे गैरकानूनी है।
    
रिपोर्ट ने उजागर किया कि आचार्य बालकृष्ण ने 2010 में पतंजलि कोरूपैक प्राइवेट लिमिटेड में 2.99 करोड़ रुपये जमा किये इसके अलावा गंगोत्री आयुर्वेद प्राइवेट लिमिटेड ने 2.42 करोड़ और आरोग्य हर्ब्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड ने 5.6 लाख रुपये की राशि इस कंपनी को दी। इन दोनों कंपनियों के भी ज्यादातर शेयर आचार्य बालकृष्ण के नाम पर हैं। दरअसल आचार्य बालकृष्ण ने पतंजलि कोरूपैक को 5 करोड़ से अधिक की धनराशि अग्रिम तौर पर दी और इस कंपनी को कानूनन 60 दिनों के भीतर इतने रुपये के शेयर आचार्य बालकृष्ण को स्थानांतरित कर दिये जाने चाहिये थे; इस संबंध में रिपोर्टर्स कलेक्टिव की रिपोर्ट 2021 तक के तथ्यों के आधार पर बताती है कि ये शेयर स्थानांतरित नहीं हुये, लेकिन इसके बावजूद इस कंपनी पर आज तक कोई कानूनी कार्यवाही नहीं हुई। 
    
इसी तरह पतंजलि ग्रुप की तीन और कंपनियों- चेनीना इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड, प्ररोवा एक्सिम प्राइवेट लिमिटेड, स्मिताशा इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड ने भी 6-6 लाख रुपये की अग्रिम राशि इस कंपनी को दी लेकिन इनके शेयर भी कभी स्थानांतरित नहीं हुये। रिपोर्ट दावा करती है कि इन तीनों ही कंपनियों एवं गंगोत्री आयुर्वेद प्राइवेट लिमिटेड व आरोग्य हर्ब्स (इंडिया) लिमिटेड की बाबा रामदेव के टेलीविजन चैनल- आस्था ब्राडकास्टिंग प्राइवेट लिमिटेड में भी हिस्सेदारी अर्थात शेयर हैं।
    
रिपोर्ट बताती है कि पतंजलि कोरूपैक प्राइवेट लिमिटेड को पतंजलि ग्रुप की कंपनियों- पतंजलि परिवहन, देवम आयुर्वेद, दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट, ग्रीन एप्पल सिक्योरिटी सिस्टम्स एवं पतंजलि फ़ूड और हर्बल पार्क इत्यादि से भी लगातार धनराशि मिलती रही और इसे भी इसने जमीनों की खरीद-बेच के धंधे में ही लगाया। इस सब कुछ के परिणामस्वरूप  आज यह एक बड़ी रियल स्टेट कंपनी बन चुकी है, जबकि कानूनी तौर पर इसका काम पैकेजिंग सामग्री बनाना है।
    
रिपोर्टर्स कलेक्टिव की इस रिपोर्ट में कनखल आयुर्वेदा प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक और शेल (फर्जी) कंपनी का उदाहरण देते हुये बताया गया है कि 2006 में इस कंपनी की स्थापना आचार्य बालकृष्ण और स्वामी मुक्तानंद ने की थी और इस कंपनी का घोषित उद्देश्य आयुर्वेदिक, यूनानी व  होम्योपैथिक दवायें एवं सौंदर्य प्रसाधन बनाना व उनकी बिक्री करना दर्ज है, लेकिन इस कंपनी ने भी अपने घोषित उद्देश्य के अनुरूप कभी एक नये रुपये का कारोबार नहीं किया और यह भी पतंजलि ग्रुप की विभिन्न कंपनियों से प्राप्त धनराशि की बदौलत फरीदाबाद के मांगर गांव में गैरकानूनी तरीके से जमीनों की खरीद-बेच के धंधे में लिप्त है।
    
कनखल आयुर्वेदा प्राइवेट लिमिटेड ने 2009 से 2011 के मध्य मांगर गांव में 2.66 करोड़ रुपये खर्च कर 43 एकड़ जमीन की खरीद की और अगस्त, 2011 में इसमें से 41 एकड़ से भी अधिक जमीन दिल्ली स्थित एक विवादास्पद और संदिग्ध निर्माण कंपनी टोपाज प्रोपबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड को 12.38 करोड़ में बेच दी और इस तरह से 9.72 करोड़ अर्थात 365 प्रतिशत का मोटा मुनाफा कमाया। 
    
रिपोर्ट में पतंजलि ग्रुप की किस कंपनी के पास मांगर गांव में कितनी जमीन है इसका भी खुलासा किया गया है- 
पतंजलि कोरूपैक प्राइवेट लिमिटेड - 1.2 एकड़
वर्व कारपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड - 33.2 एकड़
पतंजलि परिधान प्राइवेट लिमिटेड - 32.05 एकड़ 
भूमि इंटरप्राइजेज - 4.6 एकड़
पतंजलि योग पीठ ट्रस्ट - 3.25 एकड़
धूमावटी इंटरप्राइजेज - 16.23 एकड़
गौरीसुता बिल्डिंग सोलुशंस प्राइवेट लिमिटेड - 19.8 एकड़
पारम्परिक कृषि कंपनी - 1.67 एकड़
कनखल आयुर्वेदा - 2.5 एकड़
वेदांता इंटरप्राइजेज - 2.3 एकड़
ग्रीन एप्पल सिक्योरिटी सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड - 3.1 एकड़
ग्रीन एप्पल बिल्डकान प्राइवेट लिमिटेड - 0.75 एकड़
गोल्डन एग्रो रिसर्च कंपनी - 2.9 एकड़
    
रिपोर्टर्स कलेक्टिव ने बाबा रामदेव के रियल स्टेट कारोबार से अलग-अलग स्तरों पर जुड़ी सभी कंपनियों को एक प्रश्नावली भेजी, जिसका जवाब इन सभी कंपनियों ने एक जैसा ही दिया, कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है और सभी नियम-कानूनों का पालन किया है; साथ ही इन सभी कंपनियों ने अपने जवाब की प्रतिलिपि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, इसके अलावा बाबा रामदेव के राष्ट्रीय प्रवक्ता तथा आस्था चैनल के राष्ट्रीय प्रमुख एस के तिजारावाला को भी संलग्न कर दी। इससे प्रमाणित हो गया कि ये सारी कंपनियां स्वतंत्र कंपनियां न होकर पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड से जुड़ी हैं और उसे रिपोर्ट करती हैं।
    
यहां इस पर गौर करना महत्वपूर्ण है कि बाबा रामदेव द्वारा जिस समय शेल कंपनियां बनाकर मांगर गांव में जमीनों को खरीदने का गोरखधंधा किया जा रहा था उसी दौरान देश में भ्रष्टाचार के विरोध में अन्ना आंदोलन भी चल रहा था और ये महाशय उसमें भी शामिल थे। इसी कड़ी में 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले वे काले धन के मुद्दे पर खुलकर संघी नरेंद्र मोदी का समर्थन भी कर रहे थे कि मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने पर सारा काला धन बाहर आ जायेगा और सभी के बैंक खातों में 15-15 लाख रुपये आएंगे। बाबाओं की आज की जमात में संभवतः सबसे ऊंचे दर्जे का पाखंडी यही बाबा है।
    
2014 में चुनाव जीतने के बाद से नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं और हरियाणा में भी मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में भाजपा की ही सरकार है और मोदी की भाजपा से बाबा रामदेव के रिश्ते भी जगजाहिर हैं। ये रिश्ते कितने गहरे हैं यह इससे पता चलता है कि 2015 में जब मनोहर लाल खट्टर ने बाबा रामदेव को राज्य के कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने की पेशकश की थी तो इसे अस्वीकार करते हुये बाबा रामदेव ने कहा था कि ‘‘अब तो पी एम हमारे हैं, पूरी कैबिनेट हमारी है, हरियाणा के सी एम भी हमारे हैं और उनकी कैबिनेट भी हमारी है, इसलिये बाबा को बाबा ही रहने दीजिये।’’
    
अब बाबा रामदेव की सरकार और उनके पी एम-सी एम को तो उन पर मेहरबान होना ही था, और वे हुये भी, परिणामस्वरूप बाबा रामदेव के अन्य धंधों की तरह उनका रियल स्टेट का धंधा भी खूब फल-फूल रहा है।
    
अरावली में भूमि का अधिकांश हिस्सा वन भूमि के रूप में दर्ज नहीं है; मांगर गांव भी इसी तरह का गांव है और इसीलिये दिल्ली से सटे इस इलाके में अभी से ही जमीनों की बढ़ती कीमतों और भविष्य में भारी मुनाफा कमाने की उम्मीद में रियल स्टेट वालों की इस पर नजर गड़ी हुई है; वे यहां जमीनें खरीद निवेश कर रहे हैं। उनकी इस राह में 1996 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जो अडचन थी अब उसे भी मोदी सरकार ने हटा दिया है; जबकि खट्टर सरकार तो लगातार ही अरावली पर्वत रेंज की हरियाणा में पड़ रही भूमि को गैर संरक्षित बनाये रखने की भरपूर कोशिश करती रही है।
    
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के अनुसार यदि किसी भूखंड को वन भूमि की मान्यता हासिल नहीं है लेकिन वह वन भूमि की परिभाषा को पूरा करता है तो उसे संरक्षित किया जायेगा, भले ही उसका मालिक कोई भी हो। लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने अभी हाल ही में अगस्त, 2023 में वन संरक्षण अधिनियम में संशोधन कर इस तरह के भूखंडों को मिले इस कानूनी संरक्षण को खत्म कर दिया है और इस तरह बाबा रामदेव समेत रियल स्टेट में निवेश कर रहे पूंजीपतियों की मुंहमांगी मुराद को पूरा कर दिया है।
    
रिपोटर्स कलेक्टिव की बहुत मेहनत से तैयार की गई यह रिपोर्ट खोजी पत्रकारिता का बेहद  शानदार उदाहरण है और आज जब केंद्र की सत्ता पर हिंदू फासीवादी ताकतें काबिज हैं तब यह एक बहादुरी का काम भी है। यह रिपोर्ट हरियाणा में फरीदाबाद के एक गांव मांगर में शेल कंपनियों के जरिये फैले बाबा रामदेव के रियल स्टेट के साम्राज्य से पर्दा उठाती है; लेकिन खुद बाबा रामदेव के शब्दों में हरियाणा की तो पूरी सरकार ही उनकी है, इतना ही नहीं केंद्र की सरकार भी उनकी है; ऐसे में यह जांच का विषय बनता है और यह जानना बेहद दिलचस्प भी होगा कि इस बाबा के काले कारनामों का प्रसार देश में कहां-कहां हो चुका है अर्थात हरियाणा, उत्तराखंड और देश के अन्य राज्यों में और कहां-कहां उसका रियल स्टेट का यह साम्राज्य फल-फूल रहा है।
 

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