पंतनगर/ दिनांक 22 नवंबर 2023 को ठेका मजदूर कल्याण समिति पंतनगर के पदाधिकारियों द्वारा 730 ठेका मजदूरों के हस्ताक्षर युक्त पत्र पंतनगर के गांधी हाल में मुख्यमंत्री उत्तराखंड को देकर ठेका मजदूरों की समस्याओं के निराकरण की मांग की गई है। ज्ञापन की प्रतियां क्षेत्रीय निदेशक, कर्मचारी राज्य बीमा निगम, देहरादून एवं कुलपति विश्वविद्यालय पंतनगर तथा श्रम आयुक्त उत्तराखंड शासन श्रम भवन हल्द्वानी को भी भेजी गई हैं।
मजदूरों ने मांग पत्र में लिखा था कि 15-20 वर्षों से लगातार कार्यरत ठेका मजदूरों को कभी भी समय से वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है। हालांकि पूर्व कुलपति द्वारा माह के प्रथम सप्ताह में वेतन भुगतान कराने और पूरे माह काम देकर माह में 26/27 कार्य दिवसों का वेतन भुगतान किए जाने का निर्देश दिया गया था। इधर कई वर्षों से उत्तराखंड शासन विश्वविद्यालय पंतनगर का भारी मात्रा में बजट कटौती कर रहा है जिससे कुलपति का आदेश बेअसर ही हो रहा है, विश्व विख्यात विश्वविद्यालय को बर्बाद करने की साजिश की जा रही है। दूसरी ओर मजदूरों को पूरे माह काम नहीं दिया जा रहा है। परिणामस्वरूप ठेका मजदूरों को 15/20 दिन का ही वेतन भुगतान किया जा रहा है। अति अल्प न्यूनतम वेतन, आसमान छूती मंहगाई में मजदूर परिवार के पालन-पोषण में आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। पत्र में शासन से समुचित बजट आवंटित किए जाने की मांग की गई है और 15 वें अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन के मानकों के हिसाब से माह में 25 हजार न्यूनतम वेतन घोषित किए जाने की मांग की गई है।
विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा नियमित एवं दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को अवकाश, बोनस, ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाता है। परंतु एक ही प्रकृति के कामों में वर्ष 2003 से लगातार कार्यरत ठेका मजदूरों को आज तक बोनस, ग्रेच्युटी, अवकाश नहीं दिया गया है। हां, ठेका मजदूरों को वर्ष में 11 दिनों का सार्वजनिक अवकाश दिया जाता है पर सुरक्षा विभाग में कार्यरत ठेकाकर्मियों को वह भी नहीं दिया जा रहा है। श्रम नियमों में समान सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश के बावजूद भेदभाव किया जा रहा है। शासनादेश के तहत 5 वर्ष सेवा एवं लगातार 10 वर्ष की सेवा के बाद 300 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित किया जा चुका है परंतु पिछले 20 वर्षों से लगातार कार्यरत ठेका मजदूरों को नियमित नहीं किया जा रहा है। उत्तराखंड शासन के वर्ष 2016 के आदेश के बाद भी ठेका मजदूरों को उपनल के कर्मियों के समान मजदूरी का भुगतान नहीं किया जा रहा है। विश्वविद्यालय के खेतों में हाड़-तोड़ मेहनत के कामों में भारी संख्या में महिला मजदूर कार्यरत हैं। शिक्षा की नगरी और सभ्य समाज में इनके लिए शौचालय तक उपलब्ध नहीं कराए गए हैं जिसके कारण उन्हें असुरक्षित, खुले में शौच करना पड़ता है। कार्यस्थल पर चलित शौचालय उपलब्ध कराने की मांग की गई है। विगत वर्ष बोनस के सम्बन्ध में सहायक श्रम आयुक्त ऊधमसिंह नगर के नोटिस पर भी विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कोई सुनवाई नहीं की गई। श्रम कानूनों में निर्देश के बावजूद भेदभाव किया जा रहा है। श्रम कानूनों का उल्लंघन किया जा रहा है। वर्ष 2003 से लगातार कार्यरत मजदूरों को हाईकोर्ट नैनीताल के आदेश के बाद भी नियमित किया जाना लम्बित है। वर्ष में 20 दिनों का सवैतानिक अवकाश नहीं दिया जा रहा है। पंतनगर में ई.एस.आई. डिस्पेंसरी, लेखा सेल खोलने जैसी जायज मांगें की गई है। पत्र को ठेका मजदूर कल्याण समिति पंतनगर के कार्यकर्ताओं द्वारा मुख्यमंत्री उत्तराखंड को सौंपकर मजदूरों का शोषण-उत्पीड़न बंद कर श्रम कानूनों का पालन करते हुए समस्याओं के निराकरण की मांग की गई है। -पंतनगर संवाददाता
ठेका मजदूरों की मांगों के निराकरण की मांग
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