धारावी से देवनार की यात्रा

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पिछले वर्ष अक्टूबर माह में महाराष्ट्र सरकार ने धारावी झुग्गी को नए सिरे से विकसित करने का जिम्मा अडाणी समूह को सौंपा। इस योजना में धारावी में बहुमंजिली इमारतें खड़ी करनी हैं और धारावी के 50,000 से एक लाख लोगों को देवनार कूड़ाघर के ऊपर बसाना है। आज धारावी की जमीन की कीमतें आसमान छू रही हैं। अडाणी समूह को यह जमीन मुफ्त में मिलेगी और यहां बनने वाले शॉपिंग मॉल, दफ्तरों, रिहाइशी फ्लैटों आदि को बेचकर यह अरबों का मुनाफा कमाएगा। इसके एवज में अगर धारावी में रह रही आबादी को कूड़े के ढ़ेर पर बसने के लिए मजबूर किया जाता है तो यह अडाणी के लिए भी और महाराष्ट्र सरकार के लिए भी कोई बड़ी बात नहीं है। इतने बड़े मुनाफे के लिए पूंजी किसी भी घृणित काम के लिए तैयार हो जाएगी। 
    
देवनार कूड़ाघर जहां धारावी के लोगों को बसाया जाना है, उसके एक हिस्से में अभी भी कूड़ा डालने का काम जारी है। इसके एक हिस्से में पहले से एक आबादी रहती रही है। यहां की अस्वास्थ्यकर परिस्थिति का अंदाजा इस बात से चलता है कि इस आबादी की औसत आयु 40 वर्ष है। यहां पर किसी आबादी का रहना प्रदूषण नियंत्रण नियमों का उल्लंघन है। यहां पड़े कूड़े की ऊंचाई बीस मंजिली इमारत जितनी है। यहां से पैदा होने वाली मीथेन गैस में आग लगने की घटना कई बार घट चुकी है। यहां रह रहे निवासियों में कुपोषण, सांस की परेशानी और टीबी रोग सामान्य से काफी ज्यादा है। 
    
देवनार कूड़ाघर में बसी झुग्गियां मुंबई के सबसे अधिक गरीब लोगों का बसेरा है। मुंबई में रहने की जगहों की महंगाई की वजह से लोग जीते जी इस नरक में आकर रहते हैं। आज धारावी से लोगों को उजाड़कर देवनार में बसाया जा रहा है। लेकिन कल फिर देवनार की जमीनों की महंगी कीमत की वजह से इन्हें देवनार से हटाकर कहीं और धकेला जाएगा। 

आलेख

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संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।

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आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता। 

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अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं। 
    

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पिछले सालों में अमेरिकी साम्राज्यवादियों में यह अहसास गहराता गया है कि उनका पराभव हो रहा है। बीसवीं सदी के अंतिम दशक में सोवियत खेमे और स्वयं सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने जो तात्कालिक प्रभुत्व हासिल किया था वह एक-डेढ़ दशक भी कायम नहीं रह सका। इस प्रभुत्व के नशे में ही उन्होंने इक्कीसवीं सदी को अमेरिकी सदी बनाने की परियोजना हाथ में ली पर अफगानिस्तान और इराक पर उनके कब्जे के प्रयास की असफलता ने उनकी सीमा सारी दुनिया के सामने उजागर कर दी। एक बार फिर पराभव का अहसास उन पर हावी होने लगा।

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उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता को लागू कर दिया है। इस संहिता को हिंदू फासीवादी सरकार अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही है। संहिता