
हरिद्वार/ यहां लक्सर क्षेत्र में जे के टायर ग्रुप की टायर फैक्टरी मौजूद है। यहां के मजदूर अपने हकों के लिए संघर्षरत हैं। हर 3 साल में यहां कर्मचारियों का इंक्रीमेंट होता था। इस बार तीन साल होने पर भी अभी तक समझौता नहीं हुआ। इससे नाराज कर्मचारी 17 मार्च से धरने पर बैठ गए। इस दौरान कई स्तर की वार्ता हुई। लेकिन वो विफल रहीं। इसके बाद फैक्टरी प्रबंधन ने 27 मार्च को 20 लोगों का और उसके बाद 28 मार्च को अन्य 20 लोगों का निलंबन किया गया। इसके बाद वार्ता होने पर फिर मामला बिगड़ा और फिर तीन लोगों को बर्खास्त कर दिया गया। इससे मामले ने तूल पकड़ लिया। कर्मचारियों ने 7 अप्रैल को टायर फैक्टरी के कर्मचारी संगठनों द्वारा महापंचायत बुलाई। महापंचायत में जनप्रतिनिधियों ने फैक्टरी प्रबंधन पर श्रमिकों की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए श्रमिकों की मांगों पर कार्रवाई किए जाने की मांग की। मौके पर पहुंचे एसपी देहात और एसडीएम ने मामले को सुलझाने के लिए मंगलवार को दोनों पक्षों की बैठक बुलाने का आश्वासन दिया। जिसके बाद महापंचायत संपन्न हुई।
पुलिस प्रशासन की ओर से महापंचायत को लेकर अलर्ट जारी करते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। इस दौरान जगह-जगह पुलिस बल तैनात रहा। नगर में कई स्थानों पर बैरिकेडिंग की गई थी। सुरक्षा व्यवस्था के बीच महापंचायत आयोजित की गई। इस कंपनी में दो दर्जन से अधिक श्रम संगठन हैं जो अलग-अलग पार्टियों से भी जुड़े हैं और कुछ प्रबंधक वर्ग से भी जुड़े हैं। क्रांतिकारी श्रम संगठनों का अभाव है जिसका खामियाजा आम मजदूर झेल रहे हैं।
लक्सर में टायर कंपनी का इतिहास जेके टायर से जुड़ा है। जेके टायर ने लक्सर में केसोराम इंडस्ट्रीज (बी के बिड़ला समूह) से बिड़ला टायर फैक्टरी का अधिग्रहण किया था। अधिग्रहण के बाद, जे के टायर ने लक्सर इकाई में 12.5 अरब रुपये का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई थी, जे के टायर, जुग्गीलाल कमलापतजी टायर्स एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड का एक ऑटोमोबाइल टायर, ट्यूब और फ्लैप उत्पादक ब्रांड है, जो भारतीय सड़कों के लिए ‘बादशाह’ रेडियल टायर के लिए जाना जाता है।
जे के टायर की स्थापना जुग्गीलाल कमलापत सिंघानिया द्वारा की गयी थी, जो कानपुर में सिंघानिया परिवार के नेतृत्व में उभरे थे। मजदूरों का वेतन समझौते व बर्खास्त-निलंबित मजदूरों की कार्यबहाली के लिए धरना जारी है।
-हरिद्वार संवाददाता