नमाज़ पढ़ने पर मुकदमे और गिरफ्तारियां

बरेली में एक हिंदूवादी संगठन के कार्यकर्ता की शिकायत पर पुलिस ने नमाज पढ़ रहे लोगों पर कार्यवाही करते हुये 7 लोगों पर नामजद और अन्य अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज करते हुये चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। 

जिले के जाम सावंत शुमाली की 18 जनवरी की इस घटना पर बहेड़ी थाना प्रभारी संजय तोमर ने कहा कि बीस से अधिक लोग बिना अनुमति एक अस्थायी टिन शेड में नमाज पढ़ रहे थे जो कि त्योहारों और आगामी गणतंत्र दिवस समारोह की तैयारियों के मद्देनज़र जिले में लागू निषेधाज्ञा का उल्लंघन है। गौरतलब है कि पुलिस ने यह कार्यवाही हिंदू जागरण सेना के कार्यकर्ता द्वारा एक्स पर की गई एक पोस्ट के बाद की है। 

यह घटना एक बार फिर यही दिखला रही है कि आज पुलिस-प्रशासन किस तरह हिंदू फ़ासीवादी ताकतों के इशारे पर काम कर रहा है और मुस्लिम समुदाय को प्रताड़ित कर रहा है। नमाज पढ़ने जैसी सामान्य सी घटना को गणतंत्र दिवस की तैयारियों के मद्देनज़र लगी निषेधाज्ञा से जोड़ना तो सीधे-सीधे मुस्लिम समुदाय को देश विरोधी और संदिग्ध के रुप में दर्शाने की कोशिश है। और तो और इस घटना का ड्रोन से लिया गया वीडियो सोशल मीडिया पर साझा कर इसे सनसनीखेज बनाकर माहौल खराब करने की भी पूरी कोशिश की गई।

हिंदू फ़ासीवादी ताकतें आज बिल्कुल उसी तर्ज़ पर मुसलमानों पर हमलावर हैं जैसे हिटलर के समय पर जर्मनी में नाज़ीवादी यहूदियों पर हमलावर थे।

आलेख

/modi-sarakar-waqf-aur-waqf-adhiniyam

संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।

/china-banam-india-capitalist-dovelopment

आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता। 

/amerika-aur-russia-ke-beech-yukrain-ki-bandarbaant

अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं। 
    

/yah-yahaan-nahin-ho-sakata

पिछले सालों में अमेरिकी साम्राज्यवादियों में यह अहसास गहराता गया है कि उनका पराभव हो रहा है। बीसवीं सदी के अंतिम दशक में सोवियत खेमे और स्वयं सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने जो तात्कालिक प्रभुत्व हासिल किया था वह एक-डेढ़ दशक भी कायम नहीं रह सका। इस प्रभुत्व के नशे में ही उन्होंने इक्कीसवीं सदी को अमेरिकी सदी बनाने की परियोजना हाथ में ली पर अफगानिस्तान और इराक पर उनके कब्जे के प्रयास की असफलता ने उनकी सीमा सारी दुनिया के सामने उजागर कर दी। एक बार फिर पराभव का अहसास उन पर हावी होने लगा।

/hindu-fascist-ki-saman-nagarik-sanhitaa-aur-isaka-virodh

उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता को लागू कर दिया है। इस संहिता को हिंदू फासीवादी सरकार अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही है। संहिता