इंटरार्क मजदूर फिर संघर्ष की राह पर

रुद्रपुर/ विगत वर्ष 2021 एवं वर्ष 2022 में इंटरार्क कंपनी सिडकुल पंतनगर एवं किच्छा जिला उधमसिंह नगर (उत्तराखंड) में कार्यरत मजदूरों का 16 माह लंबा एवं जुझारू आंदोलन हुआ था जिसमें मजदूरों के परिवारों की महिलाओं-बच्चों, किसानों एवं अन्य मजदूर यूनियनों और सामाजिक संगठनों की सशक्त भागेदारी रही। अंततः इंटरार्क कंपनी के मजदूरों की समस्याओं के समाधान को लेकर तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा अपर जिलाधिकारी रुद्रपुर की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय कमेटी की मध्यस्थता में 15 दिसंबर 2022 को वेतन वृद्धि एवं निकाले गए 64 मजदूरों की कार्यबहाली आदि बिंदुओं पर त्रिपक्षीय समझौता सम्पन्न हुआ था। उक्त वार्ता में ALC व SP क्राइम भी शामिल थे। और उक्त समझौते में स्पष्ट रूप से लिखा है कि सभी 64 निलंबित मजदूरों की कार्यबहाली की जाएगी। और घरेलू जांच कार्यवाही के दौरान एवं पश्चात किसी भी श्रमिक को नौकरी से बर्खास्त नहीं किया जायेगा। उक्त 64 मजदूरों में से 32 मजदूरों की समझौते के तहत कार्यबहाली की गई। और उन्हें 3 माह की OD के लिए उत्तराखंड राज्य से बाहर सुदूर स्थित विभिन्न साइटों पर भेजा गया। जब वो मजदूर 3 माह पश्चात वापस लौटे तो उन्हें उनकी मूल नियोजक कंपनी सिडकुल पंतनगर एवं किच्छा में कार्य पर बहाल न किया गया। बल्कि उनका अविधिक रूप से उत्तराखंड राज्य से बाहर स्थानांतरण कर दिया गया। यूनियनों की याचिका पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मजदूरों के उक्त स्थानांतरण पर रोक/स्टे लगा दी। जिसके पश्चात कंपनी प्रबंधन ने 25 मई 2023 से उक्त सभी 32 मजदूरों की वर्क फ्राम होम के नाम पर सवैतनिक कार्यबहाली कर दी। किंतु उन्हें उनकी मूल नियोजक कंपनी में फिर भी कार्य पर बहाल न किया गया। कंपनी ने सिंगल बैंच के इस निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट की डबल बैंच में याचिका दाखिल की। जिसे हाईकोर्ट की डबल बैंच ने भी खारिज कर दिया।                    
    
इस बीच इंटरार्क कंपनी प्रबंधन द्वारा उक्त 32 मजदूरों की घरेलू जांच गठित की गयी। छल-कपट का सहारा लेकर कंपनी मालिक व प्रबंधन इस हद तक गिर गया कि उसने जांच से संबंधित मजदूरों को घरेलू जांच कार्यवाही की सूचना तक न दी। मजदूरों के खिलाफ एकतरफा जांच कार्यवाही कर मजदूरों को दोषी ठहराने की साजिश रची गई। इंटरार्क कंपनी मालिक एवं प्रबंधन द्वारा इस बार भी अपने छल-कपट एवं बेईमानी भरे आचरण पर ही चलते हुए उक्त समझौते का घोर उल्लंघन करते हुए 64 मजदूरों में से 11 मजदूरों की एकतरफा घरेलू जांच कार्यवाही कराकर उनको दोषी करार देकर नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। उक्त 11 मजदूरों में से किच्छा प्लांट के 6 मजदूरों को 17 अगस्त को एवं सिडकुल पंतनगर प्लांट के 5 मजदूरों को 22 अगस्त को बर्खास्त किया गया। उक्त मजदूरों को घरेलू जांच कार्यवाही में पक्ष रखने का अवसर भी प्रदान न किया गया। दोनों प्लांटों की यूनियनों की शिकायत पर उक्त सम्बन्ध में दिनांक 29 अगस्त को सहायक श्रमायुक्त रुद्रपुर द्वारा त्रिपक्षीय वार्ता बुलाई गई। उक्त वार्ता में कंपनी का कोई भी वरिष्ठ प्रबंधन उपस्थित न हुआ। और वार्ता में कंपनी के एक बहुत ही कनिष्ठ कर्मचारी को भेजा गया। उसे भी कंपनी द्वारा वार्ता हेतु न तो कोई अधिकार पत्र दिया गया न कोई अधिकार दिया गया। जिला प्रशासन के लिए इससे भी हास्यास्पद और अपमानजनक स्थिति तब उत्पन्न हुई जबकि इंटरार्क कंपनी के उक्त अधिकारविहीन व बहुत ही कनिष्ठ कर्मचारी ने सहायक श्रमायुक्त को ललकारते हुए कहा कि अपरजिलाधिकारी की मध्यस्थता में सम्पन्न हुए उक्त समझौता प्रपत्र में जिला स्तर के अधिकारियों द्वारा अपनी हैंडराइटिंग में जो भी लिखा है उसे कंपनी नहीं मानती है। इस पर सहायक श्रमायुक्त द्वारा आपत्ति दर्ज की गयी और कहा कि उस वार्ता में अपरजिलाधिकारी, SP क्राइम एवं उनके द्वारा दोनों पक्षों की सहमति के पश्चात ही बिंदु फाइनल किये गये थे जिसमें दोनों पक्षों द्वारा पूर्ण सहमति व्यक्त करते हुए अपने हस्ताक्षर भी किये और शपथ पत्र भी दिये और उसकी नोटरी भी कराई गई इसके पश्चात भी ऐसी बातें कहने का क्या तुक है। किन्तु इंटरार्क कंपनी का वह अदना सा अधिकारविहीन कर्मचारी अपनी बातों पर अड़ा रहा। इससे स्पष्ट है कि इंटरार्क जैसी एक छोटी सी प्राइवेट कंपनी का मालिक व प्रबंधन खुद को जिला प्रशासन का माईबाप समझने लगा है, खुद को सबसे ऊपर समझने लगा है और जिला प्रशासन को अपने सामने अति तुच्छ समझ रहा है। वार्ता की अगली तिथि 6 सितंबर 2023 को नियत की गई है।                               
    
इंटरार्क यूनियन किच्छा एवं उधमसिंह नगर के महामंत्री पान मोहम्मद एवं सौरभ कुमार ने कहा कि वार्ता में सहायक श्रमायुक्त का बर्ताव तो तर्कसंगत था किंतु कंपनी प्रबंधन प्रतिनिधि उनकी एक भी सुनने व मानने को तैयार न था। जो कि जिला प्रशासन की साख के लिए बहुत ही बुरी घटना है। कि इसके खिलाफ अब जोरदार मुहिम चलाई जाएगी। और इसी कड़ी में 3 सितंबर 2023 को अंबेडकर पार्क से जिलाधिकारी आवास तक पदयात्रा निकाली जा रही है। जिसके लिए मजदूर जोर-शोर से तैयारी कर रहे हैं। यह मुहिम तब तक जारी रहेगी जब तक कि न्याय नहीं मिलेगा।                 
    
इससे पूर्व इंटरार्क कंपनी के दोनों प्लांटों में वर्तमान समय में कार्यरत एवं यूनियन से जुड़े करीब 450 मजदूरों ने सामूहिक हस्ताक्षर युक्त चेतावनी पत्र कंपनी मालिक को भेजा। और पत्र में बर्खास्त किये गए उक्त 11 मजदूरों सहित उक्त सभी 32 मजदूरों की समझौते के तहत तत्काल कार्यबहाली करने की मांग की। और चेतावनी दी कि ऐसा न होने पर सभी मजदूर 15 दिसंबर 2022 को समझौता सम्पन्न होने से ठीक पूर्व की स्थिति बहाल करने को विवश होंगे जिसके लिए कंपनी मालिक ही मुख्यतः जिम्मेदार होंगे ।                                              

आंदोलन की अग्रिम रणनीति तैयार करने के लिए 27 अगस्त 2023 को दोनों प्लांटों के मजदूरों की सामूहिक आम सभा आयोजित की गई। आम सभा में सर्वसम्मति से निम्नलिखित प्रस्ताव पारित किए गए-

1. 3 सितंबर 2023 को अंबेडकर पार्क रुद्रपुर से DM आवास तक महिलाओं, बच्चों संग पदयात्रा निकाली जाएगी और ज्ञापन दिया जायेगा।      
2. अतिशीघ्र कुमाऊं आयुक्त के कार्यालय के समक्ष जोरदार प्रदर्शन किया जायेगा।
3. रुद्रपुर शहर में मानव श्रृंखला बनाकर पूरे प्रकरण से आम जनमानस को अवगत कराया जायेगा ।                                     
4. मजदूरों एवं आम जनता के बीच पर्चा व पोस्टर के माध्यम से उक्त मुद्दे को उठाया जाएगा।
    
कुल मिलाकर देखा जाए तो इंटरार्क कंपनी मालिक द्वारा जिला प्रशासन की मध्यस्थता में सम्पन्न हुए उक्त समझौते को एवं उत्तराखंड हाईकोर्ट के उक्त आदेश की अवमानना कर मजदूरों को बर्खास्त करने की घटना आज के समय में संघ-भाजपा नीत ‘रामराज्य’ की एक झलकी मात्र है जो कि आज की सच्चाई है। जिसे कंपनी राज के नाम पर भी संबोधित किया जाता रहा है। जिसका असली मर्म यही है कि पूरी राज्य व्यवस्था पूरी नंगई के साथ में पूंजीपतियों के आगे नतमस्तक होकर उनकी चरण वंदना कर मजदूरों का दमन करने, मजदूरों के साथ छल-कपट कर धोखा देने, मजदूरों का जाति-धर्म, क्षेत्र, लिंग, स्थायी-अस्थाई, ठेका, कैजुअल, यूनियन-नान यूनियन आदि के नाम पर बंटवारा करने में पूरी तरह से मशगूल है। यही सब कुछ इंटरार्क कंपनी में भी हो रहा है। उधमसिंह नगर का जिला प्रशासन एवं उत्तराखंड सरकार भी उक्त प्रकरण में इंटरार्क कंपनी की हमराही व हमसफर है। मजदूरों व आम जनता के व्यापक सहयोग से और कारगर व जुझारू योजनाबद्धता से व्यापक आंदोलन खड़ा करके ही इसका सही तरीके से जवाब दिया जा सकता है। इंटरार्क कंपनी मालिक व शासन सत्ता के गठजोड़ से निबटा जा सकता है। इंटरार्क मजदूरों को इसी रोशनी में आगे बढ़ने की जरूरत है। 
           -रुद्रपुर संवाददाता
 

आलेख

/idea-ov-india-congressi-soch-aur-vyavahaar

    
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था। 

/ameriki-chunaav-mein-trump-ki-jeet-yudhon-aur-vaishavik-raajniti-par-prabhav

ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।

/brics-ka-sheersh-sammelan-aur-badalati-duniya

ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती। 

/amariki-ijaraayali-narsanhar-ke-ek-saal

अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को