
इस वर्ष 15 अगस्त को लाल किले से प्रधानमंत्री मोदी ने बीते 10 वर्षों के अपने शासन की तारीफों के पुल बांधते हुए कहा कि आज नया भारत बन रहा है जो न रुक सकता है न थकता है न हांफता है। प्रधानमंत्री की इसी बात को देश के शीर्ष पूंजीपति मुकेश अम्बानी ने कुछ रोज बाद अपनी कम्पनी की सालाना बैठक में दोहराया। अम्बानी-अडाणी की बढ़ती दौलत देख कर सहज ही समझ में आ जाता है कि मोदी का नया भारत किसकी सेवा में लगा है।
यह भी स्पष्ट हो जाता है कि दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बनने से किसका भला हुआ है और तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाने से किसका कल्याण होगा।
लाल किले से प्रधानमंत्री का भाषण भूख-गरीबी-बेकारी-महंगाई की मार झेल रही जनता को यह अहसास कराने का प्रयास था कि उसके जीवन में चारों ओर सुख समृद्धि का अवसर नया भारत खड़ा कर रहा है। यह अभूतपूर्व बेकारी के स्तर पर खड़े देश के युवाओं को बताता था कि अवसरों की कोई कमी नहीं है। यह भूख-गरीबी में सरकारी राशन पर जिन्दा आधी आबादी को बताता था कि 13 करोड़ लोग 10 वर्ष में गरीबी रेखा से ऊपर उठ गये हैं। यह नया भारत कोरोना काल में गंगा में तैरती लाशों को भूल कोरोना प्रबंधन के लिए खुद ही अपनी पीठ थपथपाता है। यह नया भारत 50 करोड़ जन धन खातों पर इतराता है जिसके जरिये गरीबों की मामूली बचत भी अम्बानी-अडाणी की सेवा में लगा दी गयी। यह नया भारत 2047 में विकसित भारत बनने का दम्भ भरता है। यह नया भारत एक-एक कर जनता के सारे जनवादी अधिकार छीन लोकतंत्र को मजबूत बनाने का दम्भ भरता है।
कुल मिलाकर प्रधानमंत्री के पास गिनाने के लिए उपलब्धियों के नाम पर आंकड़ों की हेराफेरी कर गढ़े गये झूठे आंकड़ों-झूठी बातों के अलावा कुछ नहीं था। इन्हीं में से एक झूठ यह भी था कि दुनिया में चारों ओर भारत का मान-सम्मान बढ़ता जा रहा है।
इस भारत के बढ़ते मान सम्मान की एक हकीकत तब उजागर हुई जब ब्रिक्स बैठक में द.अफ्रीका गये प्रधानमंत्री मोदी के बारे में वहां की एक मीडिया ने यह खबर जाहिर की कि मोदी के स्वागत में द.अफ्रीका के एक सामान्य से मंत्री को भेजा गया तो मोदी ने विमान से उतरने से इनकार कर दिया। बाद में उपराष्ट्रपति मोदी को लेने गये। जबकि चीनी राष्ट्रपति के स्वागत में स्वयं द.अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा पहुंचे थे। इस खबर को प्रकाशित करने वाले द.अफ्रीकी डिजिटल समाचार वेबसाइट डेली मैवरिक ने बताया था कि खबर प्रकाशन के बाद उसकी साईट पर भारत की ओर से साइबर अटैक किया गया ताकि यह खबर भारत तक न पहुंच सके। बाद में द.अफ्रीका के उपराष्ट्रपति कार्यालय ने उक्त खबर का खंडन किया हालांकि डेली मैवरिक अपनी खबर के सच होने पर अड़ा हुआ है। दुनिया में भारत का मान-सम्मान कितना बढ़ रहा है इस खबर से स्पष्ट हो जाता है।
दरअसल नया भारत मीडिया प्रबंधन का उस्ताद है। वह गोएबल्स का असली चेला है जो कहा करता था कि एक झूठ को सौ बार दोहराओ तो वह सच लगने लगता है। प्रधानमंत्री के 10 वर्षों के शासनकाल में नया भारत यही करता रहा है। जनता के हर हिस्से मजदूर-किसान -छात्र-युवा-महिला-अल्पससंख्यक -दलित-आदिवासी की तकलीफें बीते 10 वर्षों में बढ़ती गयी हैं पर पूंजीवादी मीडिया-संघी मंडली ‘देश विकास कर रहा है’ का राग अलाप रही है। इस राग को अलापने में खुद प्रधानमंत्री सबसे बड़े उस्ताद हैं। लाल किले से अलापे इस राग से वह खुद इतने सम्मोहित हैं कि अगले वर्ष भी लाल किले से झण्डा फहराने की घोषणा कर बैठे जबकि अगले वर्ष आम चुनाव होने हैं।
वास्तविकता क्या है? वास्तविकता यही है कि मोदी का नया भारत दरअसल अम्बानी-अडाणी सरीखे लुटेरे पूंजीपतियों का भारत है। निश्चय ही अम्बानी-अडाणी का भारत तरक्की कर रहा है क्योंकि इनकी दौलत बेतहाशा बढ़ रही है। यह बेतहाशा बढ़ती दौलत मजदूरों-मेहनतकशों पर शोषण-अत्याचार के शिकंजे को लगातार कसते जाने से बढ़ रही है। नया भारत जो कि फासीवादी हिन्दू राष्ट्र की ओर बढ़ रहा है, में आम जनता की कोई जगह नहीं है। इसीलिए मोदी जब नये भारत की तारीफ के पुल बांधते हैं तो उसका यही अर्थ समझा जाना चाहिए कि जनता पर लूट-अत्याचार का शिकंजा न रुकता है न थकता है न हांफता है।