बेलसोनिका यूनियन का प्रबंधन की छंटनी के खिलाफ ढ़ाई साल का शानदार संघर्ष, लड़ाई जारी है

बेलसोनिका प्रबंधन की छंटनी की साजिशों के खिलाफ यूनियन का वर्ष 2021 से संघर्ष जारी है। वर्ष 2021 से वर्ष 2023 तक चले लगभग ढ़ाई साल के इस शानदार संघर्ष में बेलसोनिका प्रबंधन श्रमिकों की छंटनी करने के अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सका। बेलसोनिका यूनियन के सामने संघर्ष की नई चुनौतियों ने दस्तक दे दी है। इन नई चुनौतियों से बेलसोनिका यूनियन जूझ रही है। 
    
वर्ष 2021 में प्रबंधन की छंटनी की साजिशों के खिलाफ यूनियन का संघर्ष शुरू हुआ। बेलसोनिका प्रबंधन का हमला यूनियन की वर्गीय एकता को तोड़ने से प्रेरित था। प्रबंधन यूनियन की इस वर्गीय एकता को तोड़कर यूनियन को वैचारिक तौर पर पंगु करना चाहता था ताकि यह यूनियन मालिकों की जेब की यूनियन बन जाए और प्रबंधन आराम से यूनियन से मिलकर श्रमिकों की छंटनी करता रहे। यूनियन प्रबंधन के छंटनी करने में रास्ते का रोड़ा बनी हुई थी। इसलिए यह यूनियन प्रबंधन को रास नहीं आ रही थी। प्रबंधन द्वारा मजदूरों की इस वर्गीय एकता को तोड़ने को लेकर लगातार नित-नए षडयंत्र किए जा रहे थे। लेकिन बेलसोनिका यूनियन प्रबंधन के हमलों का मुंह तोड़ जवाब देती आ रही थी। 
    
बेलसोनिका प्रबंधन ने वर्ष 2020-2021 से फर्जी दस्तावेजों के नाम पर श्रमिकों की छंटनी करने की योजना बनाई। प्रबंधन के इस हमले को समझने में यूनियन को देर नहीं लगी कि प्रबंधन ऐसा कर मजदूरों की वर्गीय एकता को तोड़कर यूनियन को कमजोर कर सामूहिक सौदेबाजी की क्षमता को कमजोर करना चाहता है तथा बड़े पैमाने पर इस रास्ते से श्रमिकों की छंटनी करना चाहता है। क्योंकि बेलसोनिका मजदूरों ने इसी वर्गीय एकता के दम पर वर्ष 2014-16 में यूनियन बनाने का अपना संघर्ष लड़ा था और जीता था। इसी वर्गीय एकता के दम पर यूनियन ने 89 स्थाई श्रमिकों से अपनी संख्या को 700 स्थाई मजदूरों तक पहुंचाया था। वर्ष 2016 में यूनियन ने लगभग 450 ट्रेनी मजदूरों तथा 2017 में 168 ठेका मजदूरों को स्थाई करवाया था। इसी वर्गीय एकता के दम पर यूनियन ने अपने ट्रेड यूनियन अधिकारों को हासिल किया था तथा अपनी आर्थिक मांगों को चार सामूहिक समझौते करके हासिल किया था। इसी वर्गीय एकता के आगे प्रबंधन को सामूहिक समझौतों को करना तथा उनको लागू करना पड़ता था। प्रबंधन के लिए यह वर्गीय एकता सिर दर्द बनी हुई थी। इसलिए बेलसोनिका प्रबंधन बड़े पैमाने पर श्रमिकों की छंटनी कर इस वर्गीय एकता को तोड़ना चाहता था। 
    
बेलसोनिका यूनियन ने प्रबंधन की इस छंटनी का जवाब भी अपनी वर्गीय एकता से दिया। यूनियन ने 14 अगस्त 2021 में बेलसोनिका फैक्टरी में कार्य करने वाले एक ठेका मजदूर को अपनी यूनियन का सदस्य बनाकर मजदूरों के एकता के नारे को व्यवहार में लागू कर प्रबंधन के हमले के खिलाफ लड़ाई का आह्वान किया। प्रबंधन को यूनियन एकता की यह व्यवहारिक कार्रवाही रास नहीं आई। बेलसोनिका प्रबंधन ने ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार को दिनांक 23.08.2022 को पत्र लिखकर यूनियन के पंजीकरण को रद्द करने की सिफारिश की, कि यूनियन ने एक ठेका मजदूर को यूनियन की सदस्यता दे दी है। आज स्थिति यह है कि बेलसोनिका प्रबंधन व ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार हरियाणा सरकार के गठजोड़ ने यूनियन के पंजीकरण को दिनांक 23.09.2023 को रद्द कर दिया। बेलसोनिका प्रबंधन ने अभी रिपोर्ट लिखे जाने तक 24 श्रमिकों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है तथा दो श्रमिकों को नौकरी से निलम्बित कर दिया है। यूनियन 12 अक्तूबर 2023 से लघु सचिवालय गुरूग्राम पर अपनी मांगों के साथ दिन-रात के ‘‘प्रतिरोध धरने’’ पर संघर्षरत है।

बेलसोनिका यूनियन संघर्ष की कार्यवाहियों पर एक नजर

* बेलसोनिका प्रबंधन की मजदूरों की वी.आर.एस/VRS (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना) के माध्यम से छंटनी करने की कोशिश :- बेलसोनिका यूनियन ने 16 अक्तूबर 2020 को डी सी ऑफिस /लघु सचिवालय गुरूग्राम के सामने आठ घंटे की सामूहिक (फैक्टरी में काम करने वाले ठेका व स्थाई श्रमिक) भूख हड़ताल के दौरान बेलसोनिका फैक्टरी में काम करने वाले ठेका श्रमिकों को यूनियन की सदस्यता देने की घोषणा की थी। वर्ष 2016 में यूनियन व प्रबंधन के बीच एक द्विपक्षीय समझौता सम्पन्न हुआ था। जिसमें ठेका मजदूरों को भविष्य में नहीं निकाले जाने तथा इन ठेका मजदूरों को स्थाई किये जाने का समझौता हुआ था। वर्गीय एकता के कारण ही प्रबंधन को यूनियन के साथ ठेका मजदूरों को लेकर यह समझौता करना पड़ा।  
    
प्रबंधन को मजदूरों की यह एकता रास नहीं आ रही थी। बेलसोनिका प्रबंधन ने मई-जून 2020 में पुराने ठेका श्रमिकों को वी.आर.एस. देना चाहा। प्रबंधन ने इन ठेका श्रमिकों को अकेले-अकेले बुलाकर वी.आर.एस. लेने का दबाव भी बनाया। जिस पर यूनियन ने सक्रियता दिखाते हुए प्रबंधन को वी.आर.एस. देने से रोका ही नहीं बल्कि यूनियन ने मजबूती से खड़े होकर प्रबंधन की इस वी.आर.एस. योजना का विरोध भी किया। बेलसोनिका प्रबंधन ने यूनियन को धमकी दी कि वह स्थाई व पुराने ठेका श्रमिकों को वी.आर.एस. स्कीम लाकर बाहर का रास्ता दिखाएंगे। जैसे ही यूनियन ने प्रबंधन की इस वी.आर.एस. स्कीम का विरोध किया तो प्रबंधन की छंटनी की मंशा बाहर निकल कर सामने आ गई। यूनियन के तीखे विरोध के बाद प्रबंधन को वी.आर.एस. से अपने कदम पीछे खींचने पड़े। 

* फर्जी दस्तावेजों का हवाला देकर प्रबंधन की छंटनी करने की कोशिशः- बेलसोनिका प्रबंधन भले ही वी.आर.एस. के माध्यम से छंटनी करने में कामयाब ना हुआ हो लेकिन उसने अपनी छंटनी की मंशा को त्यागा नहीं था। प्रबंधन ने छंटनी के लिए एक नया तरीका ईजाद किया। प्रबंधन फर्जी दस्तावेजों का हवाला देकर छंटनी की मंशा को सिरे चढ़ाना चाहता था। प्रबंधन ने बेलसोनिका यूनियन के ऊपर फर्जी दस्तावेजों का हवाला देकर श्रमिकों की छंटनी करने का तार्किक हमला बोला। प्रबंधन ने शैक्षणिक दस्तावेजा का हवाला देकर जुलाई 2021 में 22 श्रमिकों को आरोप पत्र थमा दिए। प्रबंधन का कहना था कि इन श्रमिकों ने तकनीकी शिक्षा (आई.टी.आई.) के फर्जी सर्टिफिकेट प्रबंधन को दिए हुए हैं। यूनियन ने जुलाई 2021 में प्रबंधन से इस मसले पर तीन दौर की वार्ता की। लेकिन प्रबंधन का साफ कहना था कि हम स्थाई मजदूरों की इतनी बड़ी संख्या के साथ फैक्टरी नहीं चला सकते, हमें श्रमिकों की छंटनी करनी ही पड़ेगी। प्रबंधन ने यूनियन को यह भी धमकी दी कि अगर बार-बार आप इस मुद्दे पर बात करोगे तो हम इन फर्जी दस्तावेजों वाले श्रमिकों के ऊपर एफ.आई.आर. दर्ज करवा देंगे। यह सीधी-सीधी छिपी छंटनी थी। प्रबंधन ने श्रमिकों की छिपी छंटनी करने की अपनी मंशा को जाहिर कर दिया तथा यूनियन को बोल दिया कि वह अब इससे पीछे नहीं हटेगा। जुलाई 2021 में प्रबंधन द्वारा आरोप पत्र दिए गये 22 श्रमिकों की घरेलू जांच कार्यवाही कर फरवरी-मार्च 2022 में इन श्रमिकों को नौकरी बर्खास्तगी के नोटिस थमा दिए। इसके बाद प्रबंधन ने अगस्त 2022 तक लगभग 8 स्थाई श्रमिकों व 5 पुराने ठेका श्रमिकों को फर्जी दस्तावेजां का हवाला देकर आरोप पत्र थमा दिए। प्रबंधन इन सभी लगभग 35 श्रमिकों की घरेलू जांच कार्यवाही कर नौकरी बर्खास्तगी के नोटिस थमा चुका है। जिनमें से प्रबंधन 14 स्थाई श्रमिकों व 3 पुराने ठेका श्रमिकों को फर्जी दस्तावेजों का हवाला देकर नौकरी से बर्खास्त कर चुका है। 
    
लेकिन प्रबंधन यहीं नहीं रुक रहा है। प्रबंधन ने सितम्बर 2023 में फर्जी दस्तावेजों के नाम पर लगभग सैंकड़ों मजदूरों की एक लिस्ट को लाइन सुपरवाइजरों द्वारा श्रमिकों में डर पैदा करने के उद्देश्य से श्रमिकों के बीच में फैला दिया। प्रबंधन की मंशा फर्जी दस्तावेजों व अनुशासनहीनता का नाम लेकर बड़े पैमाने पर श्रमिकों की छंटनी करना है। ट्रेड यूनियन गतिविधियों में शामिल होने के कारण प्रबंधन तमाम श्रमिकों को कारण बताओ नोटिस व आरोप पत्र थमा चुका है। प्रबंधन द्वारा दिए गए इन आरोप पत्रों व कारण बताओ नोटिसों के दो बोरे भर चुके हैं। 
    
प्रबंधन ने यहां तक कि कोरोना के दौरान जो श्रमिक अपनी ड्यूटी पर फैक्टरी में नहीं पहुंच पाया उन श्रमिकों को भी आरोप पत्र व कारण बताओ नोटिस थमा दिया। जिसमें से प्रबंधन ऐसे तीन श्रमिकों को कोरोना काल के दौरान छुट्टियों का हवाला देकर नौकरी से बर्खास्त कर चुका है। 

* संघर्ष का कानूनी पहलू :- यूनियन ने श्रम कानूनों में दर्ज श्रम अधिकारों के तहत स्थाई कार्य पर स्थाई रोजगार, समान काम का समान वेतन का एक सामूहिक मांग पत्र दिनांक 12 नवम्बर 2021 का सहायक श्रमायुक्त महोदय सर्कल-6 गुरुग्राम में दायर किया। इसके साथ ही यूनियन ने 22 श्रमिकों को दिए फर्जी दस्तावेजों के नाम पर आरोप पत्रों को खारिज करने व बातचीत कर इस मामले को हल करने के बारे में भी एक सामूहिक मांग पत्र दिनांक 13 अक्टूबर 2021 का सहायक श्रमायुक्त महोदय गुरुग्राम के समक्ष दायर किया गया था। दो साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी आज तक इन मांग पत्रों का कोई समाधान श्रम विभाग नहीं करवा पाया है। 
    
श्रम कानूनों में दर्ज ‘‘स्थाई कार्य पर स्थाई रोजगार’’ के कानूनी अधिकार को दिलवा पाने में श्रम विभाग असहाय नजर आ रहा है। श्रम विभाग की इस असहाय स्थिति से स्पष्ट होता है कि श्रम कानून पूंजीपति अपनी जेब में रखते हैं। असल में फैक्टरी की चारदीवारी के भीतर भारत के श्रम कानून काम ही नहीं करते हैं। फैक्टरियों के भीतर पूंजीपतियों की अलग ही राजसत्ता है, जहां पर ना तो भारत के श्रम कानून लागू होते हैं और ना ही भारत का संविधान लागू होता है।
    
यूनियन ने ठेका मजदूरों को स्थाई करने के बारे में, ठेका श्रमिकों की मांगों का एक सामूहिक मांग पत्र दिनांक 05 अगस्त 2021 को सहायक श्रमायुक्त महोदय गुरुग्राम के समक्ष दायर किया था। इस सामूहिक मांग पत्र की कानूनी मांगों को भी श्रम अधिकारी लागू करवाने में असमर्थ हैं। अब यह मांग पत्र श्रमायुक्त महोदय चण्डीगढ़ ने श्रम न्यायालय गुरुग्राम में भेज दिया है। 
    
यूनियन द्वारा ऐसे लगभग 8 सामूहिक मांग पत्र दायर किए गए हैं। श्रम विभाग द्वारा यूनियन के किसी भी सामूहिक मांग पत्र का समाधान आज तक नहीं किया गया है। श्रम अधिकारी प्रबंधन के आगे बेबस नजर आते हैं। 
    
यूनियन द्वारा बेलसोनिका प्रबंधन के खिलाफ श्रम कानूनों की अवहेलना करने, ठेका मजदूरों से मशीनों पर कार्य कराने, संस्था में गैर कानूनी रूप से बाउंसर रखने आदि को लेकर अनुचित श्रम अभ्यास की कई शिकायतें श्रम विभाग में दायर की गईं लेकिन आज तक भी श्रम विभाग द्वारा प्रबंधन के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है बल्कि उल्टा यूनियन के खिलाफ ही अनुचित श्रम अभ्यास की कार्यवाही की गई है।

* टूल डाउन व हड़ताल :- यूनियन द्वारा दायर किए गए सामूहिक मांग पत्रों को हल करवाने के लिए 3 टूल डाउन (1 अगस्त 2022, 1 मार्च 2023 व 30 मार्च 2023) व एक अनिश्चितकालीन हड़ताल (30 मई 2023 से 1 जून 2023) जो कि तीसरे दिन त्रिपक्षीय समझौते के बाद खत्म हुई थी, की गई। यूनियन द्वारा एक अगस्त 2022 को ‘ए’ व ‘बी’ शिफ्ट में दो-दो घंटे का टूल डाउन किया गया। श्रम विभाग के अधिकारी व पुलिस विभाग टूल डाउन के दौरान फैक्टरी परिसर में आए व श्रम विभाग के अधिकारी व प्रबन्धन द्वारा लम्बित यूनियन के सामूहिक मांग पत्रों पर वार्ता कर जल्द से जल्द समाधान का आश्वासन दिया। लेकिन प्रबंधन ने यूनियन के सामूहिक मांग पत्रों पर कोई समाधान नहीं किया। 
    
दिनांक एक मार्च 2023 को ‘ए’ शिफ्ट में यूनियन द्वारा 6 घंटे का टूल डाउन दोबारा किया गया। टूल डाउन के दौरान पुलिस व श्रम विभाग के अधिकारी फैक्टरी में पहुंचे व टूल डाउन खोलने के लिए यूनियन को कहने लगे। यूनियन ने श्रम विभाग के अधिकारियों को कहा कि यूनियन द्वारा दायर सामूहिक मांग पत्रों का समाधान व बर्खास्त श्रमिकों को काम पर वापिस लिया जाए। सहायक श्रमायुक्त महोदय गुरुग्राम ने 03 मार्च 2023 को दोनों पक्षों की समाधान वार्ता बुलाई। सहायक श्रमायुक्त महोदय ने 03 मार्च 2023 की समाधान वार्ता के दौरान दोनों पक्षों को यथास्थिति व शांति बनाए रखने का लिखित आदेश जारी किया। प्रबंधन ने सहायक श्रमायुक्त महोदय गुरुग्राम सर्कल-6 के आदेशों को न सिर्फ मानने से इंकार किया बल्कि बड़ी संख्या में फैक्टरी परिसर के अन्दर बाउंसरों को तैनात कर दिया व दिनांक 17 मार्च 2023 को फैक्टरी में पुलिस बल बुलाकर यूनियन के तीन पदाधिकारियों, यूनियन के प्रधान मोहिन्दर कपूर, यूनियन के महासचिव अजीत सिंह व यूनियन के संगठन सचिव सुनील कुमार को निलम्बित कर दिया। 
    
दिनांक 21 मार्च 2023 को सहायक श्रमायुक्त महोदय ने गम्भीर स्थिति को देखते हुए अतिरिक्त उपायुक्त महोदय गुरूग्राम की मध्यस्थता में यूनियन व प्रबंधन की समाधान वार्ता बुलाई। अतिरिक्त उपायुक्त महोदय गुरूग्राम ने वार्ता के दौरान प्रबंधन से फैक्टरी में मजदूरों की भर्ती का मापदण्ड (क्राइटेरिया), पॉलिसी व नोटिफिकेशन मांगा। इसके साथ ही अतिरिक्त उपायुक्त महोदय गुरुग्राम ने भर्ती किए जा रहे ठेका मजदूरों का नाम व माह सहित विवरण भी मांगा। बेलसोनिका प्रबंधन ने आज तक भी यह दस्तावेज अतिरिक्त उपायुक्त महोदय व श्रम विभाग के सामने पेश नहीं किए हैं। और मजे की बात यह है कि प्रबंधन की इस हठधार्मिता पर अतिरिक्त उपायुक्त व श्रम विभाग ने कोई कार्यवाही नहीं की है। बेलसोनिका प्रबंधन सरेआम श्रम कानूनों की उल्लघंना कर रहा है। लेकिन श्रम विभाग प्रबंधन पर कोई लगाम नहीं लगा पा रहा है। बेलगाम प्रबंधन ने 3 ठेका श्रमिकों को 7 अप्रैल 2023 व 11 स्थाई श्रमिकों को 21 अप्रैल 2023 को नौकरी से बर्खास्त कर दिया। 
    
यूनियन द्वारा 30 मार्च 2023 को एक बार फिर 2 घण्टे का टूल डाउन किया गया। प्रबंधन ने इस टूल डाउन के पश्चात 10 श्रमिकों को यूनियन गतिविधियों में भाग लेने के कारण निलम्बित कर दिया। श्रम विभाग व प्रशासन के प्रबंधन के आगे नतमस्तक होने से बेलसोनिका प्रबंधन के हौंसले लगातार बढ़ते रहे। 
    
जब यूनियन से सामूहिक मांग पत्रों व बर्खास्त श्रमिकों को नौकरी पर वापिस लेने के लिए प्रबंधन कोई बातचीत नहीं कर रहा था तब यूनियन ने फैक्टरी गेट पर दिनांक 04 मई 2023 से धरने के साथ क्रमिक भूख हड़ताल शुरूआत की। प्रबंधन व श्रम विभाग ने अनशन पर बैठे श्रमिकों की मांगों पर कोई बात नहीं की। 
    
इसी दौरान प्रबंधन ने फैक्टरी गेट पर चल रहे यूनियन के धरने को उठाने के लिए माननीय सिविल कोर्ट गुरुग्राम में याचिका दायर की। जिस पर माननीय सिविल कोर्ट गुरुग्राम ने दिनांक 27 मई 2023 को सुनवाई के दिन प्रबंधन को राहत देते हुए धरना प्रदर्शन को फैक्टरी गेट से 200 मीटर दूर करने का फैसला दिया।
    
दिनांक 30 मई 2023 को पूर्णतः हड़ताल कर श्रमिक फैक्टरी के अन्दर बैठ गए। जब श्रमिक काम बंद कर फैक्टरी के अन्दर बैठ गए तो शासन-प्रशासन व श्रम विभाग तुरंत फैक्टरी में पहुंच गया तथा हड़ताल को खुलवाने के प्रयास करता रहा। शुरूआत में प्रशासन द्वारा हड़ताल को खोलने के लिए श्रमिकों को डराने के प्रयास किए गए। जब श्रमिकों ने एकताबद्ध होकर अपनी मांगां का समाधान करने को कहा तो प्रशासन को पीछे हटना पड़ा। पुलिस प्रशासन व श्रम विभाग की मौजूदगी में दिनांक 1 जून 2023 को एक त्रिपक्षीय समझौता सम्पन्न हुआ। समझौते में ट्रेड यूनियन गतिविधियों में निलम्बित किए गए 10 श्रमिकों को लम्बित घरेलू जांच कार्यवाही के चलते वापिस लिया गया। 17 बर्खास्त मजदूरों के रोजगार को मद्देनजर रखते हुए तथा लम्बित सामूहिक मांग पत्रों का एक माह में समाधान करने, तीन यूनियन पदाधिकारियों की नौकरी बहाली को लेकर कमेटी गठित करने का समझौता सम्पन्न हुआ। यह त्रिपक्षीय समझौता एस.डी.एम. गुरुग्राम की मध्यस्थता में सम्पन्न हुआ था। समझौते के दौरान एस.डी.एम. गुरुग्राम के अलावा ए.सी.पी. मानेसर, एस.एच.ओ. थाना सेक्टर-7 आई.एम.टी., तहसीलदार मानेसर, लेबर इंस्पेक्टर, सहायक श्रमायुक्त, उपश्रमायुक्त व अतिरिक्त श्रमायुक्त उपस्थित थे। एक जून 2023 को हुए समझौते के अनुसार 10 निलम्बित श्रमिकों को नौकरी पर वापिस तो ले लिया गया लेकिन समझौते के बाकी बिन्दुओं को आज तक लागू नहीं किया गया है। 
    
बेलसोनिका प्रबंधन ने दिनांक 20 अक्तूबर 2023 को समझौते के अनुसार वापिस लिए गए 10 श्रमिकों में से 2 श्रमिकों को नौकरी से बर्खास्त भी कर दिया। आज की यह स्थिति है कि यूनियन दिनांक 12 अक्तूबर 2023 से लघु सचिवालय गुरुग्राम पर एक जून 2023 के त्रिपक्षीय समझौते को लागू कराने की अपनी मांगों के साथ दिन-रात के ‘‘प्रतिरोध धरने’’ पर बैठी है। लेकिन शासन-प्रशासन व श्रम विभाग द्वारा अभी तक कोई बातचीत यूनियन के साथ नहीं की गई है। 

* अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन :- वर्ष 2021 से बेलसोनिका प्रबंधन श्रमिकों की छिपी छंटनी करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। वर्ष 2021 से वर्ष 2023 तक बेलसोनिका यूनियन द्वारा लगातार प्रबंधन की छंटनी को रोकने के लिए, श्रम कानूनों को लागू कराने, सभी बर्खास्त श्रमिकों को नौकरी पर वापिस लेने, यूनियन के सामूहिक मांग पत्रों व हुए समझौतों को हल कराने, यूनियन के रद्द पंजीकरण को बहाल करने आदि मांगों को लेकर ढेरों ज्ञापन (दिनांक 23.09.2021, 26.10.2021, 10.12.2021, 23.02.2022, 05.05.2022, 13.01.2023, 26.03.2023, 24.08.2023, 09.09.2023, 26.09.2023, 08.10.2023, 19.10.2023, 08.11.2023, 12.12.2023) शासन-प्रशासन को दे चुकी है। लेकिन शासन-प्रशासन द्वारा यूनियन के दिए गए ज्ञापनों पर कोई भी समाधान वार्ता नहीं बुलाई गई है। प्रशासन व श्रम विभाग द्वारा जो भी समाधान वार्ता बुलाई गई है वह तब ही बुलाई गई जब यूनियन ने फैक्टरी में टूल डाउन/हड़ताल कर काम बंद किया है।

* फैक्ट्री प्रबंधन व ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार के गठजोड़ द्वारा यूनियन के पंजीकरण को रद्द करना :- दिनांक 23 सितम्बर 2023 को बेलसोनिका प्रबंधन ने ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार हरियाणा सरकार के साथ गठजोड़ कायम कर बेलसोनिका फैक्टरी में काम करने वाले एक ठेका श्रमिक को यूनियन की सदस्यता देने पर यूनियन का पंजीकरण रद्द कर दिया। जबकि माननीय उच्च न्यायालय पंजाब एण्ड हरियाणा चण्डीगढ़ में ठेका श्रमिकों को यूनियन की सदस्यता का मामला व ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार हरियाणा सरकार द्वारा यूनियन को जारी कारण बताओ नोटिस दिनांक 26.12.2022 के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। जिसको लेकर माननीय उच्च न्यायालय चण्डीगढ़ ने दोनों केसां की सुनवाई के लिए ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार हरियाणा सरकार व सम्बंधित सभी को नोटिस जारी किए हुए थे व दिनांक 25.09.2023 को इन दोनों केसों पर माननीय उच्च न्यायालय में सुनवाई थी। दो-दो केस माननीय उच्च न्यायालय में लम्बित होने के बाद भी ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार हरियाणा सरकार ने यूनियन का पंजीकरण सुनवाई से दो दिन पहले यानी दिनांक 23 सितम्बर 2023 को रद्द कर दिया। ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार हरियाणा सरकार की यह कार्यवाही मजदूरों के संगठित होने के अधिकार पर हमले के साथ-साथ ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार हरियाणा सरकार व फैक्टरी प्रबंधन के गठजोड़ को दर्शाती है। 

* 12 अक्तूबर 2023 से यूनियन का ‘‘प्रतिरोध धरना’’ जारी :- दिनांक 12 अक्तूबर 2023 से लघु सचिवालय गुरुग्राम पर यूनियन का दिन-रात का ‘‘प्रतिरोध धरना’’ जारी है। एक जून 2023 को हुए त्रिपक्षीय समझौते को लागू करने, बर्खास्त 26 श्रमिकों की नौकरी बहाली, यूनियन पंजीकरण की बहाली व यूनियन के सामूहिक मांग पत्रों को हल करने तथा स्थाई कार्य पर स्थाई रोजगार व समान काम का समान वेतन लागू करने इत्यादि मांगों के साथ यूनियन लगभग पिछले 100 दिनों से इस कड़कड़ती ठंड में बैठी हुई है। लेकिन शासन-प्रशासन प्रबंधन पर नकेल कसने के बजाय प्रबंधन के साथ खड़ा हुआ है। बेलसोनिका प्रबंधन अभी तक 24 श्रमिकों को नौकरी से बर्खास्त व 2 श्रमिकों को निलम्बित कर चुका है। बर्खास्त श्रमिकों में यूनियन के 5 पदाधिकारी सहित 19 अन्य श्रमिक तथा निलम्बित श्रमिकों में यूनियन के 1 पदाधिकारी सहित 1 अन्य श्रमिक शामिल हैं। अपनी मांगों को लेकर यूनियन का धरना लगातार जारी है। 

* बेलसोनिका प्रबंधन की उकसावेपूर्ण कार्रवाहियांः- प्रबंधन ने श्रमिकों की छंटनी करने के लिए फैक्टरी के अंदर लगातार उकसावेपूर्ण कार्यवाहियों को भी अंजांम दिया। प्रबंधन द्वारा मई-जून की भयंकर गर्मियों में भी शॉप फ्लॉर पर कार्य करने वाले श्रमिकों के एयर वॉशर/पंखे तक बंद कर दिए थे। फैक्टरी में मजदूरों की कैंटीन में बनने वाले खाने की गुणवत्ता को खराब करने, खाने में कीड़े-कॉकरोच इत्यादि मिलना आम बात हो गई थी। श्रमिकों को मिलने वाले नींबू पानी को भी बंद कर दिया गया। श्रमिकों को ड्यूटी पर लाने व ले जाने वाली बसों की खराब स्थिति के चलते बसों की दुर्घटना होना, उत्पादन बढ़ाने के लिए श्रमिकों की सुरक्षा को बाई पास कर श्रमिकों की जान जोखिम में डालना, यहां तक कि श्रमिकों के पानी व बाथरूम पर रोक लगाना तक शामिल है। अगर कोई भी श्रमिक व यूनियन प्रतिनिधि इस बारे में प्रबंधन के सामने आवाज उठाए तो प्रबंधन द्वारा उसको अनुशासनहीनता बोलकर आरोप पत्र या कारण बताओ नोटिस दे दिया जाता है। 
    
प्रबंधन गर्मी के दौरान जब एयर वॉशर/पंखों को नहीं चला रहा था तो यूनियन ने मई-जून महीने में प्रबंधन द्वारा बंद किए गए एयर वॉशर/पंखां को चला दिया तो प्रबंधन ने यूनियन को भयानक गर्मी में पंखे चलाने पर कारण बताओ नोटिस तक थमा दिया था। यूनियन को एयर वॉशर/पंखे चलाने के लिए तीन दिवसीय भूख हड़ताल करनी पड़ी। श्रम विभाग को पंखे चलाने को लेकर एक लिखित समझौता दिनांक 21 मई 2022 को प्रबंधन व यूनियन के मध्य करवाना पड़ा। इन सब उकसावेपूर्ण कार्यवाहियों से साफ प्रतीत होता है कि प्रबंधन ने यह सब श्रमिकों को उकसाने के लिए किया था ताकि श्रमिक गुस्से में आकर कोई गलत कदम उठाए और प्रबंधन एक झटके में बड़ी संख्या में छंटनी को अंजाम दे सके। बेलसोनिका प्रबंधन यह सब उकसावेपूर्ण कार्रवाहियां मारूति घटनाक्रम जैसा करने के लिए कर रहा था। लेकिन प्रबंधन इन मंसूबो में कामयाब नहीं हो पाया।

* 03 दिसम्बर 2023 के बाद की स्थिति :- बेलसोनिका यूनियन का प्रबंधन की छंटनी के खिलाफ लगभग ढ़ाई साल से चला आ रहा संघर्ष एक शानदार संघर्ष रहा है। प्रबंधन ने यूनियन की वर्गीय एकता को तोड़ने के लिए श्रमिकों में उन विभ्रमों को पैदा किया जो ट्रेड यूनियनों में व्याप्त है कि, यूनियन तो स्थायी मजदूरों की होती है, स्थायी श्रमिकों की यूनियन ठेका मजदूरों की व सामाजिक मुद्दों पर आवाज नहीं उठा सकती या नहीं उठानी चाहिए, यूनियन में स्थायी मजदूरों की संख्या कम होगी तो वेतन अधिक बढ़ेगा इत्यादि इत्यादि वो सभी हमले करने शुरू कर दिए जिनकी जमीन आज ट्रेड यूनियनों में मौजूद है। 
    
बेलसोनिका प्रबंधन ने सीधे मजदूरों को सम्बोधित करना शुरू कर दिया कि इस ओद्यौगिक इलाके की तमाम यूनियनें या ट्रेड यूनियनें केवल स्थायी श्रमिकों के बारे में बात करती हैं। प्रबंधन ने कहना शुरू किया कि अगर यह यूनियन इसी तरह फैक्टरी में कार्य करने वाले ठेका श्रमिकों की आवाज उठाएगी तो मालिक को फैक्टरी बंद करनी पड़ेगी। 
    
प्रबंधन ने मजदूरों में यह भी विभ्रम फैलाया कि किसानों, अन्य फैक्टरी के मजदूरों की आवाज उठाना, छात्रों के साथ एकता बनाना व उनके मुद्दों को उठाना, सामाजिक आंदोलनों में भागीदारी करना, युद्वों का विरोध करना आदि यह सब यूनियन का काम नहीं होता। जो संगठन यूनियन को ऐसी बातें सिखाता है वह यूनियन का विरोधी है। प्रबंधन का यह हमला यूनियन के ऊपर वैचारिक हमला है।
    
बेलसोनिका प्रबंधन यूनियन के ऊपर किए गए इस वैचारिक हमले में कुछ हद तक कामयाब नजर आता है तथा बेलसोनिका प्रबंधन का यह वैचारिक हमला उस समय और भी पुख्ता हो जाता है जब बेलसोनिका यूनियन के ऊपर ठेका मजदूरों को यूनियन की सदस्यता देने पर ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार हरियाणा सरकार द्वारा यूनियन का पंजीकरण खारिज किया जाता है तथा गुड़गांव ओद्यौगिक इलाके की अन्य यूनियनों व ट्रेड यूनियनों द्वारा इस पर चुप्पी साध ली जाती है। प्रबंधन का यह वैचारिक हमला पुख्ता अवश्य हो गया लेकिन बेलसोनिका यूनियन प्रबंधन के इस हमले के खिलाफ दृढ़ता के साथ अकेले खड़ी है। 
    
दिनांक 03 दिसम्बर 2023 को फैक्टरी में कार्य कर रहे श्रमिकों के एक समूह ने बेलसोनिका यूनियन रजि. नं. 1983 से हटकर आम सभा कर श्रमिकों का प्रतिनिधित्व अपने हाथ में ले लिया है। इस समय बेलसोनिका यूनियन के सामने कठिन चुनौती आ गई है। श्रमिकों का नया प्रतिनिधित्व अब इस लड़ाई को मजदूर वर्ग की वैचारिक जमीन पर लड़ेगा या प्रबंधन द्वारा जो प्रचार-प्रसार किया जा रहा है, उस तरीके के अनुसार लड़ेगा? यह अभी कहना मुश्किल है। हालांकि इन सबके बावजूद भी प्रबंधन के लिए श्रमिकों की छंटनी करना आसान नहीं है। क्योंकि बेलसोनिका फैक्टरी के मजदूर लगातार संघर्ष में शामिल रहे हैं और मजदूर प्रबंधन की हर कोशिश को अपनी एकता से जरूर नाकाम कर देगें।
    
बेलसोनिका यूनियन अपने प्रतिरोध धरने से संघर्ष को आगे बढ़ा रही है तथा लगातार अपने श्रमिकों को प्रबंधन की छंटनी के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष लड़ने का आह्वान कर रही है। क्योंकि यूनियन प्रबंधन की इस छंटनी के खिलाफ लड़ाई अभी जारी है। 19 जनवरी को प्रतिरोध धरने के 100 दिन पूरे हो गये। इस अवसर पर मजदूरों ने ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार के पुतले के साथ जुलूस निकाल डी सी कार्यालय के बाहर सभा कर पुतला दहन किया। साथ ही एक बार फिर अपनी मांगों का ज्ञापन डी सी महोदय को दिया। सभा में मजदूर नेताओं ने संघर्ष तब तक जारी रखने का संकल्प जाहिर किया जब तक सभी बर्खास्त मजदूरों को काम पर वापस नहीं ले लिया जाता। प्रतिरोध धरने को फैक्टरी में कार्यरत मजदूरों के साथ अन्य इंसाफपसंद लोगों का भी समर्थन हासिल हो रहा है। 

आलेख

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इजरायल की यहूदी नस्लवादी हुकूमत और उसके अंदर धुर दक्षिणपंथी ताकतें गाजापट्टी से फिलिस्तीनियों का सफाया करना चाहती हैं। उनके इस अभियान में हमास और अन्य प्रतिरोध संगठन सबसे बड़ी बाधा हैं। वे स्वतंत्र फिलिस्तीन राष्ट्र के लिए अपना संघर्ष चला रहे हैं। इजरायल की ये धुर दक्षिणपंथी ताकतें यह कह रही हैं कि गाजापट्टी से फिलिस्तीनियों को स्वतः ही बाहर जाने के लिए कहा जायेगा। नेतन्याहू और धुर दक्षिणपंथी इस मामले में एक हैं कि वे गाजापट्टी से फिलिस्तीनियों को बाहर करना चाहते हैं और इसीलिए वे नरसंहार और व्यापक विनाश का अभियान चला रहे हैं। 

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कहा जाता है कि लोगों को वैसी ही सरकार मिलती है जिसके वे लायक होते हैं। इसी का दूसरा रूप यह है कि लोगों के वैसे ही नायक होते हैं जैसा कि लोग खुद होते हैं। लोग भीतर से जैसे होते हैं, उनका नायक बाहर से वैसा ही होता है। इंसान ने अपने ईश्वर की अपने ही रूप में कल्पना की। इसी तरह नायक भी लोगों के अंतर्मन के मूर्त रूप होते हैं। यदि मोदी, ट्रंप या नेतन्याहू नायक हैं तो इसलिए कि उनके समर्थक भी भीतर से वैसे ही हैं। मोदी, ट्रंप और नेतन्याहू का मानव द्वेष, खून-पिपासा और सत्ता के लिए कुछ भी कर गुजरने की प्रवृत्ति लोगों की इसी तरह की भावनाओं की अभिव्यक्ति मात्र है। 

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आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था। 

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ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।

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ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती।