
बरेली/ औपनिवेशिक कानूनों से मुक्ति के नाम पर मोदी सरकार ने उससे भी ज्यादा कठोर काले कानून पास किये हैं। ‘भारतीय न्याय संहिता’, ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता’ और ‘भारतीय साक्ष्य विधेयक’ संसद में विपक्षी सांसदों के निलम्बन और अनुपस्थिति के बीच पास कर दिये गये। इसी के तहत हिट एंड रन कानून पास करके ड्राइवरों के ऊपर 10 साल तक की सजा एवं 7 लाख तक जुर्माने के प्रावधान को ले आये हैं।
नये कानून के खिलाफ ड्राइवरों के अंदर भय पैदा होना स्वाभाविक था। अगर दुर्घटना होने पर ड्राइवर रुकता है तो जनता उसे पीट-पीट कर मार डालेगी और नहीं रुकता है तो ये कानून उसे तबाह और बर्बाद कर देंगे। ड्राइवरों के पास इतने रुपये अगर होते तो वह ड्राइवरी क्यों करता। और सजा होने के बाद उसके परिवार और बच्चे को कौन पालेगा तथा जुर्माना कहां से भरेगा।
इस काले कानून के खिलाफ देश भर के ड्राइवर एक जनवरी से हड़ताल पर चले गये। बरेली में ऑटो रिक्शा टैम्पो वेलफेयर एसोसिएशन भी इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल में शामिल हो गयी। यूनियन ने हड़ताल को सफल बनाने के लिए पूरे शहर में सभी अड्डों पर जाकर सभा करके इस कानून से ड्राइवरों के ऊपर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बताया एवं हड़ताल को सफल बनाने के लिए ड्राइवरों का आह्वान किया। इसके अलावा अलग-अलग यूनियनों से भी बात की और उनके साथ एकता बनाकर हड़ताल को सफल बनाया। रोडवेज कर्मचारियों की यूनियन के साथ मिलकर एक-दूसरे की हड़ताल में शामिल होकर एक-दूसरे के हौंसले को बढ़ाया। केन्द्र सरकार एवं ट्रांसपोर्ट एसोशिएसन के बीच समझौते के बाद हड़ताल वापस ले ली गयी तो बरेली में भी हड़ताल समाप्त हुयी।
-बरेली संवाददाता