बनभूलपुरा के बाशिंदों का दर्द

हल्द्वानी बनभूलपुरा की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद बाद इलाके में आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। सैकड़ों लोग जेल में हैं। कई घर बंद पड़े हैं। कई घरों में लोग घायल होकर खाली बैठे हैं। हल्द्वानी व उत्तराखंड के क्रांतिकारी, सामाजिक, राजनीतिक संगठनों ने बैठक कर कौमी एकता मंच का गठन किया।
    
कौमी एकता मंच ने घटना की तथ्यान्वेषी रिपोर्ट बनाने व इलाके में हुये नुकसान को देखने के लिए बनभूलपुरा इलाके का दौरा किया। जिन घरों में मौत हुई, वहां गये। जहां लोग घायल थे, आमजन-सरकारी सम्पत्ति का नुकसान हुआ था, तमाम जगह गये। इसके अलावा बनभूलपुरा थाने में पुलिसकर्मियों से भी मिला गया। इस दौरान देखा कि कई लोग घायल थे जो घरों में बिना इलाज के भी रह रहे थे। कई घरों में लोगों के पास राशन इत्यादि सामग्री नहीं थी। कई लोग काम-धंधा छूटकर घरों में बैठे थे।
    
गौरतलब है कि 8 फरवरी को हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में पुलिस-प्रशासन व नगर निगमकर्मी मनमाने तरीके से अतिक्रमण के नाम पर एक मस्जिद-मदरसा ढहाने पहुंचे थे। जबकि यह मामला अभी उच्च न्यायालय नैनीताल में लंबित था। पुलिस की इस मनमानी कार्यवाही के खिलाफ जब स्थानीय लोगों ने प्रतिकार किया तो पुलिस ने तत्काल लाठीचार्ज व फायरिंग शुरू कर दी। इससे आक्रोशित भीड़ भी हिंसक हो गयी। बनभूलपुरा हिंसा में अभी तक 7 लोगों की मौत हो चुकी है। कई स्थानीय निवासी व पुलिसकर्मी, नगर निगमकर्मी भी घायल हुए हैं। इसके बाद मुस्लिम बाहुल्य इस क्षेत्र में अगले 10 दिन तक सख्त कर्फ्यू लगा दिया गया। जहां लोगों की रोजी-रोटी छीन ली गयी। पुलिस ने बदले की कार्यवाही करते हुए सैकड़ों घरों में तोड़फोड़ की। महिलाओं, बच्चों व पुरुषों की पिटाई के साथ लगभग 100 लोग गिरफ्तार कर लिए गये हैं। 36 लोगों पर यूएपीए की गंभीर धाराएं लगा दी गई। 5 हजार अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। सरकार-प्रशासन इस घटना में अपनी भूमिका को जायज ठहराने की कोशिश कर रहे हैं।
    
अभी कई घरों में राशन इत्यादि भोजन सामग्री की मदद पहुंचाई गयी है। मेहनतकश लोगों का जिनके पास इलाज की व्यवस्था नहीं थी, उनका इलाज करवाया जा रहा है। कुछ लोगों को जिनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब थी, उनको आर्थिक मदद भी पहुंचाई गई है। कुछ लोगों के काम धंधे बंद होने से घर चलना मुश्किल हो गया है। ऐसे में काम करने के इच्छुक लोगों को सिलाई मशीन दिलवाई गयी। इस तरह की राहत व मदद का कार्य निरन्तर जारी है।
    
बनभूलपुरा में वहां के निवासियों को मुस्लिम होने के नाते टारगेट किया जा रहा है। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही देशभर में सांप्रदायिक तौर पर विभाजन को तेज किया जा रहा है। भाजपा की राज्य सरकारें भी इसी नीति पर चल रही हैं। इसी के तहत बनभूलपुरा की मुस्लिम आबादी पर भी हमला बोला गया है। यह भाजपा की फासीवादी राजनीति को आगे बढ़ाने का एक जरिया है। लोकसभा चुनाव भी नजदीक होने के कारण तुरन्त मामले को लपक लिया गया। संविधान-कानून-न्याय की सरेआम धज्जियां उड़ाई गयीं।
    
अभी कुछ गरीब घायलों का इलाज किया जा रहा है। जिनका लम्बे समय तक इलाज किये जाने की जरूरत होगी। कई परिवार ऐसे हैं जिनके कमाने वाले परिवार के मुखिया जेल में बंद हैं या घायल होकर घरों में पड़े हैं। ऐसे लोगों को लम्बे समय तक राहत सामग्री व अन्य जरूरत पड़ेगी। कई परिवारों में मुकदमे के लिए कानूनी सहायता की जरूरत अभी होगी। जिसके लिए समाज में न्यायपसंद व जुल्म-ज्यादती के खिलाफ संघर्ष करने वाले लोगों को आगे आने की जरूरत है।     -हल्द्वानी संवाददाता
 

आलेख

/amariki-ijaraayali-narsanhar-ke-ek-saal

अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को

/philistini-pratirodha-sangharsh-ek-saal-baada

7 अक्टूबर को आपरेशन अल-अक्सा बाढ़ के एक वर्ष पूरे हो गये हैं। इस एक वर्ष के दौरान यहूदी नस्लवादी इजराइली सत्ता ने गाजापट्टी में फिलिस्तीनियों का नरसंहार किया है और व्यापक

/bhaarat-men-punjipati-aur-varn-vyavasthaa

अब सवाल उठता है कि यदि पूंजीवादी व्यवस्था की गति ऐसी है तो क्या कोई ‘न्यायपूर्ण’ पूंजीवादी व्यवस्था कायम हो सकती है जिसमें वर्ण-जाति व्यवस्था का कोई असर न हो? यह तभी हो सकता है जब वर्ण-जाति व्यवस्था को समूल उखाड़ फेंका जाये। जब तक ऐसा नहीं होता और वर्ण-जाति व्यवस्था बनी रहती है तब-तक उसका असर भी बना रहेगा। केवल ‘समरसता’ से काम नहीं चलेगा। इसलिए वर्ण-जाति व्यवस्था के बने रहते जो ‘न्यायपूर्ण’ पूंजीवादी व्यवस्था की बात करते हैं वे या तो नादान हैं या फिर धूर्त। नादान आज की पूंजीवादी राजनीति में टिक नहीं सकते इसलिए दूसरी संभावना ही स्वाभाविक निष्कर्ष है।

/samooche-pashcim-asia-men-yudha-phailaane-kaa-prayaas

इसके बावजूद, इजरायल अभी अपनी आतंकी कार्रवाई करने से बाज नहीं आ रहा है। वह हर हालत में युद्ध का विस्तार चाहता है। वह चाहता है कि ईरान पूरे तौर पर प्रत्यक्षतः इस युद्ध में कूद जाए। ईरान परोक्षतः इस युद्ध में शामिल है। वह प्रतिरोध की धुरी कहे जाने वाले सभी संगठनों की मदद कर रहा है। लेकिन वह प्रत्यक्षतः इस युद्ध में फिलहाल नहीं उतर रहा है। हालांकि ईरानी सत्ता घोषणा कर चुकी है कि वह इजरायल को उसके किये की सजा देगी।