
क्या कमाल हो गया है। विचित्र है किन्तु सत्य है। इलेक्टोरल बाण्ड में हमारे सरकारी वामपंथी एकदम पाकसाफ होकर निकले हैं। एक भी रुपये का बाण्ड हमारे सरकारी वामपंथियों के नाम नहीं निकला। सीपीआई (एम) ने तो उलटे इलेक्टोरल बाण्ड के काले धंधे के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में शिकायत ही दर्ज करवाई थी। उसके ही प्रयासों का प्रताप है कि इलेक्टोरल बाण्ड के धंधे का पर्दाफाश हो गया। हम्माम में सब नंगे निकले एक हमारे सरकारी वामपंथी ही थे जो हम्माम में कपड़े पहने हुए थे। कपड़ा पहना हुआ आदमी ही हम्माम में सारे नंगों की हकीकत बतला सकता था। शाबाश! सरकारी वामपंथियों! आपने अपना जीवन सार्थक कर दिया। आपके नाम के साथ जो वामपंथ जुड़ा है उसकी तुमने लाज रख ली। बधाई हो!
अपनी लाज बचाने के इस मुबारक मौके पर बस यही बात याद दिलाने का मन करता है कि काश तुमने क्रांति की, विचारधारा की लाज बचाने के लिए भी कुछ किया होता। मजदूरों-मेहनतकशों के प्रति वही निष्ठा दिखाई होती जो तुमने पूंजीवादी लोकतंत्र की परवाह करते हुए दिखायी है।
इलेक्टोरल बाण्ड के नाम पर तुम भले ही पाकदामन निकले हो पर अन्य मामलों में तो तुम्हारा दामन दागों से भरा हुआ है। बंगाल से लेकर केरल तक कई इस बात की गवाही दे देंगे कि इस वामपंथ का दामन कितने-कितने दागों से भरा पड़ा है।
खैर! एक बात बतायेंगे कि आप हम्माम में गये क्यों थे।