हरियाणा : न्यूनतम वेतन बढ़ाने हेतु सभा-प्रदर्शन

मजदूरों का 8 घंटे का न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये लागू करो

फरीदाबाद/ फरीदाबाद (हरियाणा) में इंकलाबी मजदूर केंद्र द्वारा 29 अगस्त को मजदूरों का 8 घंटे का न्यूनतम वेतन 26,000 रुपए करने व हरियाणा सरकार द्वारा मजदूरों का न्यूनतम वेतन रिवाइज करने हेतु श्रम विभाग, सेक्टर- 12, फरीदाबाद पर धरना प्रदर्शन कर डीएलसी महोदय के माध्यम से हरियाणा के मुख्यमंत्री के नाम 7000 से अधिक मजदूरों के हस्ताक्षरों सहित ज्ञापन सौंपा एवं सभा की।
    
सभा में वक्ताओं ने कहा कि पिछले 10 सालों में महंगाई कई गुना बढ़कर विकराल हो गई है। खाने-पीने के सामानों से लेकर, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, इलाज हेतु दवाई, कमरे का किराया, बिजली का बिल आदि सभी चीजें महंगी हो गई हैं और इस महंगाई के दौर में भी हरियाणा सरकार के द्वारा मजदूरों का  न्यूनतम वेतन रिवाइज नहीं किया गया है। जिस कारण मजदूर 12 से 14-16 घंटे कंपनियों में खटने के बावजूद भी मौजूदा भुखमरी वेतन में अपने परिवारों के साथ अभाव की जिंदगी जीने को मजबूर हैं।
    
मौजूदा भुखमरी वेतन में मजदूर अपने बच्चों को शिक्षा दिलाना चाहें तो कर्ज लेते हैं, घर में कोई ब्याह-शादी हो तो कर्ज लेते हैं, कोई बीमार पड़ जाए तो पहले कर्ज देने वाले को ढूंढते हैं और फिर अपना पेट काट-काट कर सालों-साल उस कर्ज को उतारते रहते हैं।
    
हमारी सरकारों द्वारा तय न्यूनतम वेतन मजदूरों को बस किसी तरह जिंदा रखने भर होता है, एक सम्मानजनक जीवन जीने के लिए नहीं होता है। इसलिए जब तक मजदूरों की श्रम शक्ति का मूल्य बढ़ाकर मजदूरों की मासिक सैलरी (वेतन) 26,000 रुपए नहीं किया जाता तब तक मजदूर मेहनतकश जनता अपने जीवन स्तर को ऊपर नहीं उठा सकती है।
    
इंकलाबी मजदूर केंद्र के द्वारा न्यूनतम वेतन 26,000 रुपए करने हेतु एक माह तक फरीदाबाद के अलग-अलग इलाकों में मजदूरों के बीच हस्ताक्षर अभियान चलाया गया जिसमें मजदूरों ने बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी की।
    
29 अगस्त 2024 को डीएलसी महोदय के माध्यम से हरियाणा के मुख्यमंत्री के नाम दिए गए ज्ञापन पर 7000 से अधिक मजदूरों के हस्ताक्षर इस बात का सुबूत हैं कि मौजूदा महंगाई के इस दौर से परेशान-हताश मजदूर आबादी हरियाणा के स्तर पर मजदूरों का न्यूनतम वेतन रिवाइज करने को लेकर अपनी आवाज बुलंद कर रही है। और यह इस बात का भी सुबूत है कि हरियाणा में न्यूनतम वेतन रिवाइज ना होने पर यही मजदूर आबादी कागज में अपनी आवाज उठाने के बजाय सड़कों पर उतरकर अपनी आवाज उठाएगी।
    
इसके अलावा सभी वक्ताओं ने निम्न मांगों को भी सरकार के समक्ष उठाया।

1. हरियाणा में मजदूरों का 8 घंटे का न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये लागू करो।
2. हरियाणा स्तर पर न्यूनतम वेतन रिवाइज करो।
3 सभी कंपनियों व संस्थानों में समान काम का समान वेतन लागू करो।
4. मोदी सरकार द्वारा बनाई गई घोर मजदूर विरोधी चारों श्रम संहिताओं को हरियाणा सरकार लागू न करें।
5. सभी कंपनियों, संस्थानों में न्यूनतम वेतन लागू करो।          -फरीदाबाद संवाददाता

आलेख

/modi-sarakar-waqf-aur-waqf-adhiniyam

संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।

/china-banam-india-capitalist-dovelopment

आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता। 

/amerika-aur-russia-ke-beech-yukrain-ki-bandarbaant

अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं। 
    

/yah-yahaan-nahin-ho-sakata

पिछले सालों में अमेरिकी साम्राज्यवादियों में यह अहसास गहराता गया है कि उनका पराभव हो रहा है। बीसवीं सदी के अंतिम दशक में सोवियत खेमे और स्वयं सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने जो तात्कालिक प्रभुत्व हासिल किया था वह एक-डेढ़ दशक भी कायम नहीं रह सका। इस प्रभुत्व के नशे में ही उन्होंने इक्कीसवीं सदी को अमेरिकी सदी बनाने की परियोजना हाथ में ली पर अफगानिस्तान और इराक पर उनके कब्जे के प्रयास की असफलता ने उनकी सीमा सारी दुनिया के सामने उजागर कर दी। एक बार फिर पराभव का अहसास उन पर हावी होने लगा।

/hindu-fascist-ki-saman-nagarik-sanhitaa-aur-isaka-virodh

उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता को लागू कर दिया है। इस संहिता को हिंदू फासीवादी सरकार अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही है। संहिता