गुड़गांव/ बेलसोनिका यूनियन के पंजीकरण को रद्द करने और यूनियन के तीन पदाधिकारी जिनको मार्च महीने में निलंबित किया था, उन्हें बर्खास्त करने के खिलाफ बेलसोनिका के मजदूर एक बार फिर संघर्ष की राह में खड़े हो चुके हैं। 9 अक्टूबर से यूनियन के चार प्रतिनिधि काम के दौरान भूख हड़ताल पर हैं और 12 अक्टूबर से डीसी कार्यालय के बाहर यूनियन पदाधिकारी समेत अन्य बर्खास्त मजदूरों ने पक्का मोर्चा/प्रतिरोध धरना चालू कर दिया है।
8 अक्टूबर 2023 को डीसी कार्यालय पर एक प्रतिरोध सभा का आयोजन किया गया जिसमें बेलसोनिका यूनियन के मजदूरों ने बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी की। प्रतिरोध सभा को संबोधित करते हुए बेलसोनिका यूनियन के प्रतिनिधियों ने बताया कि आज किस तरीके से प्रशासन और प्रबंधन की मिलीभगत से यूनियन का पंजीकरण रद्द कराया गया है। यूनियन पदाधिकारी ने बताया कि प्रबंधन की असली मंशा मजदूरों की छंटनी करने की है जिसकी शुरूआत उसने फर्जी डाक्यूमेंट के नाम पर की है। प्रबंधन हमें असली-नकली, स्थाई-ठेके-नीम-ट्रेनिंग आदि में बांट कर संघर्ष को कमजोर करना चाहता है। हमारी यूनियन ‘‘एक मजदूर पर हमला सब पर हमला’’ की नीति के तहत प्रबंधन के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करेगी।
यूनियन पदाधिकारी ने इस बात को बहुत ही मजबूती के साथ पेश किया कि प्रबंधन यूनियन पंजीकरण को तो रद्द कर सकता है परंतु वह मजदूरों के हौसलों को नहीं तोड़ सकता। उन्होंने कहा ‘‘यूनियन पंजीकरण नंबर नहीं बल्कि यहां उपस्थित मजदूरों की एकता है। इसी एकता के दम पर हमने अपने अधिकारों को हासिल किया। हमारी यह एकता बनी रहेगी तो हम अपने सभी बर्खास्त साथियों को वापस कंपनी के अंदर लेंगे और यूनियन का पंजीकरण भी हासिल करेंगे। असली चीज हमारी एकता है।’’
प्रतिरोध सभा को प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, इंकलाबी मजदूर केंद्र, मजदूर सहयोग केंद्र, श्रमिक संग्राम कमेटी, मारुति एक्शन कमेटी, पंतनगर (उत्तराखण्ड) से आए ठेका मजदूर कल्याण समिति, हरिद्वार से आए भेल मजदूर ट्रेड यूनियन, राजा बिस्कुट, एवरेडी कम्पनी और देवभूमि यूनियन के पदाधिकारी, जन संघर्ष मंच हरियाणा, फरीदाबाद से औद्योगिक ठेका मजदूर यूनियन के पदाधिकारी के अलावा अन्य यूनियनों से आए पदाधिकारियों ने भी संबोधित किया। सभी ने एक स्वर में बेलसोनिका यूनियन के संघर्ष की हौंसला अफजाई की और संघर्ष में साथ खड़े रहने का आश्वासन दिया।
प्रतिरोध सभा का समापन करते हुए यूनियन के प्रधान ने मजदूरों की एकता पर जोर दिया और कहा कि हम किसी प्रकार का कोई समझौता या समर्पण नहीं करेंगे और एकता के दम पर संघर्ष को तेज करेंगे। अंत में घोषणा की गई कि कंपनी के अंदर यूनियन पदाधिकारी काम के समय में भूख हड़ताल पर रहेंगे और बाहर बर्खास्त साथी डीसी कार्यालय पर पक्का मोर्चा लगाएंगे और क्षेत्र के अन्य मजदूरों को साथ जोड़ते हुए संघर्ष को तेज करेंगे। प्रतिरोध सभा के दौरान मजदूरों की एकता और संघर्ष के साथ प्रबंधन और पंजीकरण कार्यालय व शासन-प्रशासन के गठजोड़ के खिलाफ जोरदार नारे लगाए गए। प्रतिरोध सभा की शुरूआत और समापन क्रांतिकारी गीतों के साथ की गयी। -गुड़गांव संवाददाता
बेलसोनिका मजदूरों का संघर्ष जारी
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आज भारत एक जनतांत्रिक गणतंत्र है। पर यह कैसा गणतंत्र है जिसमें नागरिकों को पांच किलो मुफ्त राशन, हजार-दो हजार रुपये की माहवार सहायता इत्यादि से लुभाया जा रहा है? यह कैसा गणतंत्र है जिसमें नागरिकों को एक-दूसरे से डरा कर वोट हासिल किया जा रहा है? यह कैसा गणतंत्र है जिसमें जातियों, उप-जातियों की गोलबंदी जनतांत्रिक राज-काज का अहं हिस्सा है? यह कैसा गणतंत्र है जिसमें गुण्डों और प्रशासन में या संघी-लम्पटों और राज्य-सत्ता में फर्क करना मुश्किल हो गया है? यह कैसा गणतंत्र है जिसमें नागरिक प्रजा में रूपान्तरित हो रहे हैं?
सीरिया में अभी तक विभिन्न धार्मिक समुदायों, विभिन्न नस्लों और संस्कृतियों के लोग मिलजुल कर रहते रहे हैं। बशर अल असद के शासन काल में उसकी तानाशाही के विरोध में तथा बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार के विरुद्ध लोगों का गुस्सा था और वे इसके विरुद्ध संघर्षरत थे। लेकिन इन विभिन्न समुदायों और संस्कृतियों के मानने वालों के बीच कोई कटुता या टकराहट नहीं थी। लेकिन जब से बशर अल असद की हुकूमत के विरुद्ध ये आतंकवादी संगठन साम्राज्यवादियों द्वारा खड़े किये गये तब से विभिन्न धर्मों के अनुयायियों के विरुद्ध वैमनस्य की दीवार खड़ी हो गयी है।
समाज के क्रांतिकारी बदलाव की मुहिम ही समाज को और बदतर होने से रोक सकती है। क्रांतिकारी संघर्षों के उप-उत्पाद के तौर पर सुधार हासिल किये जा सकते हैं। और यह क्रांतिकारी संघर्ष संविधान बचाने के झंडे तले नहीं बल्कि ‘मजदूरों-किसानों के राज का नया संविधान’ बनाने के झंडे तले ही लड़ा जा सकता है जिसकी मूल भावना निजी सम्पत्ति का उन्मूलन और सामूहिक समाज की स्थापना होगी।
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