
हरिद्वार/ शिवम् आटो कम्पनी सिडकुल हरिद्वार के डेसो चौक वाले क्षेत्र में स्थित है जो हीरो व महेंद्रा के लिए पुर्जे निर्माण करती है। इसमें लगभग 800 के आस-पास मजदूर काम करते हैं। सभी मजदूर ठेकेदारी के तहत काम पर रखे गए हैं। 30 के करीब ही स्थाई मजदूर रखे गये हैं।
सैकड़ां मजदूरों ने मई के मध्य में कम्पनी प्रबंधन के शोषण-उत्पीड़न से तंग आकर हड़ताल कर दी। कम्पनी प्रबंधन व ठेकेदारों द्वारा जो जुल्म-अत्याचार हो रहे थे, इसके खिलाफ एकजुट होकर आंदोलन छेड़ दिया और दो दिन काम बंद कर मैनेजमेंट व ठेकेदारों को एकता के दम पर झुकाया और श्रम अधिकारियों के सामने अपनी मांगें रखीं। अंत में एक लिखित समझौता हुआ जिस पर मैनेजमेंट व श्रम अधिकारियों के हस्ताक्षर हैं। और तय हुआ कि 15 दिन के अंदर मांगों पर कम्पनी प्रबंधन अमल करेगा। लेकिन कम्पनी प्रबंधन ने लिखित समझौते को मानने से इनकार कर दिया है।
कम्पनी प्रबंधन खुलेआम सारे श्रम कानूनों की धज्जियां उड़ा रहा है। कम्पनी में मात्र 30 के करीब स्थाई मजदूर रखे हैं। बाकी सभी मजदूर पांच ठेकेदारों द्वारा रखे गये हैं। मशीन शाप, फोर्जिंग, पीडीआई, मेंटीनेन्स आदि में ये मजदूर 10-12 सालों से काम कर रहे हैं। ठेकेदारी के मजदूरों से मशीनों पर काम कराया जाता है जो श्रम कानूनों के खिलाफ है। इंजीनियरिंग सेक्टर में आपरेटरों का जो ग्रेड है वो भी नहीं मिलता है। भट्टी पर काम खतरनाक है लेकिन मजदूरों से लगातार दो से ज्यादा मशीन चलाने के लिए कहा जाता है। 10-12 साल पुराने मजदूरों से 11-12 हजार रुपये तनख्वाह में 12-14 घंटे काम कराया जा रहा है।
20 से 30 साल के नौजवान मजदूर हैं। कोई 10-12वीं पास तथा कोई टेक्निकल है तो कोई ग्रेजुएट है। डबल ओवरटाइम का कानूनी प्रावधान है पर यहां नहीं दिया जाता है। मजदूरों को साल की कोई छुट्टी नहीं दी जाती है। पीएफ व ईएसआई में ठेकेदारों द्वारा धांधली तो आम बात है। मजदूरों की तनख्वाह 7 तारीख से लेकर 10 तारीख के बीच डालने का नियम है लेकिन इसके लिए कई बार प्रबंधन को कहना पड़ता है तब जा कर डालते हैं। वेतन पर्ची भी नहीं दी जाती है। सुरक्षा के मानकों का भी प्रबंधन पालन नहीं कर रहा है जिसके कारण आये दिन हाथ-पैर में चोटें लगती रहती हैं। इस तरह देखें तो एक बंधुवा मजदूरों जैसा व्यवहार शिवम् आटो के प्रबंधन व ठेकेदार कर रहे हैं। एक भी श्रम कानूनों को पालन नहीं कर रहे हैं।
मजदूरों का बेतहाशा शोषण कर शिवम आटो के मालिक ने गुजरात, गुड़गांव, धारूहेड़ा, रोहतक, बिनोला आदि जगहों पर कम्पनी लगा रखी हैं। मजदूरों का शोषण कर कम्पनी मालिक अरबपति-खरबपति बनता जा रहा है तथा प्रबंधन व ठेकेदारों की कमाई लाखों में है और वहीं मजदूरों को न्यूनतम वेतन भी नहीं।
हरिद्वार प्लांट में मजदूरों ने अपने अधिकार के लिए संघर्ष की शुरुआत कर दी है। मजदूरों को कम्पनी प्रबंधन व ठेकेदारों के खिलाफ जुझारू एकताबद्ध होकर लड़ना होगा। आज हरिद्वार के अलग-अलग फैक्टरी एरिया में मजदूरों का शोषण-उत्पीड़न चरम पर है। फैक्टरी मालिकों के मुनाफे को बढ़ाने के लिए सारी राजनीतिक पार्टियां एक हैं। आज तो साफ हो चुका है कि ये सभी पूंजीपतियों से चंदा लेकर चुनाव में उतरी थीं। मजदूरों को इन पार्टियों से ऊपर उठकर, जाति, धर्म, क्षेत्रवाद का भेदभाव मिटाकर फौलादी एकता बनानी होगी। अपने अधिकारों के लिए मजदूरों को जागरूक होना होगा। आज नई गुलामी ठेका प्रथा जो भारत के मजदूरों के लिए नासूर बन चुकी है इसको मिटाना होगा। -हरिद्वार संवाददाता