
जब से इजरायल द्वारा गाजा में भीषण नरसंहार शुरू हुआ है तब से भारतीय शासकों की इजरायल के प्रति पक्षधरता किसी से छिपी नहीं है। भारत के केन्द्र में काबिज संघ-भाजपा इजरायल के जियनवादी शासकों से फिलिस्तीन को काबू में करने, दमन करने के तरीके सीखने के लिए हमेशा उत्साहित रहे हैं और उसे भारत में मुसलमानों पर लागू करने के मंसूबे संजोते रहे हैं। इसी इजरायली पक्षधरता के चलते फिलिस्तीन के समर्थन में भारत में होने वाले प्रदर्शनों के प्रति सरकार का रुख कुचलने वाला रहा। पूंजीवादी मीडिया भी ताकतवर इजरायल से दोस्ती के फायदे गिना फिलिस्तीन को अपराधी साबित करने में जुटा रहा।
भारत की विदेश नीति फिलिस्तीन के समर्थन से खिसक कर इजरायल के निर्लज्ज समर्थन तक पहुंच गयी। हालांकि दिखावे के लिए अभी भी द्विराष्ट्र समाधान का नाम ले लिया जाता है पर वह महज दिखावटी ही है।
अब भारत सरकार ने इजरायल से मित्रता को एक नये मुकाम पर पहुंचा दिया है। भारत ने इजरायल को गोला-बारूद भी सप्लाई करना शुरू कर दिया है। यानी अमेरिका के बाद भारत भी इजरायल को गाजा में नरसंहार के लिए हथियार दे रहा है। हालांकि भारतीय शासकों ने यह हरकत गुपचुप तरीके से की ताकि यह प्रचारित न हो सके।
मेरियान डेनिका नाम का एक जहाज 27 टन गोला-बारूद लेकर चेन्नई पोर्ट से इजरायल के हाइफा पोर्ट को रवाना हुआ। पर 17 मई को स्पेन के पोर्ट बार्सिलोना में जब इसने लंगर डालना चाहा तो पोर्ट अथारिटी ने जहाज चेक किया व गोला बारूद पाकर इस जहाज को अपना पोर्ट उपलब्ध नहीं कराया। 21 मई तक यह जहाज स्पेन में ही अटका रहा। स्पेन ने कहा कि इजरायल के पास पहले से ही काफी घातक हथियार हैं और मध्य पूर्व को हथियारों की नहीं शांति की जरूरत है व वे इजरायल को हथियार भेजने में भागीदार नहीं बन सकते। आगे यह जहाज कैसे इजरायल पहुंचा इसकी जानकारी नहीं आयी। पर खबरों में यह जरूर आया कि गाजा में गिरे मिसाइलों-बारूद में भारतीय हथियार पाये गये।
यहां यह गौरतलब है कि भारत से हथियार सीधे अरब सागर या लाल सागर से इजरायल जाने के बजाय लम्बे खर्चीले रास्ते से यूरोप होकर भेजे गये। शायद मोदी सरकार चुपके से यह काम करना चाहती थी। साथ ही उसे हौथी विद्रोहियों के हमले का भी भय रहा होगा।
इस बीच बार्सिलोना डाक वर्कर्स यूनियन ने स्पष्ट कर दिया कि कोई मजदूर इन हथियारों को नहीं छुएगा क्योंकि यह वही गोला-बारूद है जिससे गाजा के मासूम बच्चे मारे जायेंगे। कि इजरायल को और खूनी बनाने के लिए वे कोई हथियार नहीं जाने देंगे। यूनियन ने हथियारों को एक इंच भी इजरायल की ओर न बढ़ने देने की घोषणा की।
स्पेन के मजदूरों की यह जागरुकता व गाजा के प्रति पक्षधरता ही थी जिसने स्पेन को फिलिस्तीन को मान्यता देने के लिए मजबूर कर दिया था। इसी तरह की जागरुकता बेल्जियम के मजदूरों ने भी कुछ वक्त पूर्व इजरायल को जा रही हथियारों की खेप रोककर दिखायी थी। बेल्जियन ट्रांसपोर्ट वर्कर्स यूनियन ने अपने बयान में कहा था कि जब गाजा में नरसंहार चल रहा है उस वक्त वे देख रहे हैं कि इजरायल को और हथियार दिये जा रहे हैं, वे ऐसा नहीं होने देंगे। आगे उन्होंने कहा कि वे हथियारों को ट्रकों, हवाई जहाजों या पानी के जहाजों में कहीं भी लोड नहीं करेंगे और उन हथियारों को इजरायल जाने से रोकेंगे।
भारत सरकार ने यह तो स्वीकारा कि उसका जहाज स्पेन में रोक लिया गया है पर यह पूछने पर चुप्पी साध ली कि क्या इस जहाज में हथियार थे। देश में चुनावों के बीच मोदी सरकार की यह हरकत बेहद शर्मनाक है। यह फिलिस्तीन के बच्चों-महिलाओं के खून में भारतीय शासकों के हाथ रंगने का कुत्सित प्रयास है।
भारतीय मजदूरों को भी स्पेन-बेल्जियम के मजदूरों की तरह भारतीय शासकों की इन साजिशों का मुंहतोड़ जवाब देना होगा। खुलेआम इजरायल द्वारा रचे जा रहे नरसंहार के विरोध में खड़ा होना होगा।