नीट धांधली पर आक्रोशित छात्र

NEET (राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा) 2024 का 4 जून को रिजल्ट जारी हुआ। रिजल्ट जारी होने से एक दिन पहले ही परीक्षा में धांधली के आरोप सामने आ गए थे। बिहार में दो लोगों को परीक्षा में धांधली के आरोप में गिरफ्तार किया गया। मेडिकल की पढ़ाई के लिए देश की इस प्रमुख परीक्षा में धांधली से लाखों छात्र-छात्रा परेशान हैं। 6 जून को परीक्षा धांधली से आहत एक छात्र ने आत्महत्या कर ली। परीक्षा कराने वाली संस्था एन टी ए (नेशनल टेस्टिंग एजेंसी) कुछ कमियां मानती है पर धांधली के आरोपों से इंकार कर रही है। लेकिन परीक्षा में हुई धांधली के कोई वाजिब जवाब एन टी ए नहीं दे रही है।
    
हर साल लाखों छात्र-छात्रा डाक्टर बनने का सपना संजोए छम्म्ज् परीक्षा देते हैं। हर साल इस परीक्षा में 22 से 25 लाख छात्र-छात्रा आवेदन करते हैं। कठिन से कठिनतर होती जा रही प्रतियोगिता में परीक्षा धांधली छात्र-छात्राओं के सपनों को कुचल देती है, उनके भविष्य को अंधेरे खंदक में डाल देती है।
    
परीक्षा में शत प्रतिशत अंक लाने वाले छात्र-छात्रा जहां चार-पांच होते थे वहां इस बार यह संख्या 67 है। परीक्षा में एक सही उत्तर पर 4 अंक मिलते हैं वहीं गलत उत्तर पर 1 अंक काट दिया जाता है। इस प्रकार कोई अभ्यर्थी 720 में से 720 अंक तो ला सकता है, परन्तु 719, 718, 717 अंक नहीं ला सकता। इसके पीछे एन टी ए का तर्क है कि 6 परीक्षा केद्रों में देरी के चलते अभ्यर्थियों को ग्रेस के अंक दिए गए हैं। ग्रेस अंक किस आधार पर दिए गए एन.टी.ए. यह नहीं बता रही है। इसके अलावा हरियाणा, राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश से परीक्षा में पेपर लीक व धांधली के आरोप लगे। इन जगहों के कुछ परीक्षा केंद्रों के छात्रों के क्रमवार एक जैसे अंक आये हैं, यह भी पेपर लीक या धांधली के बिना संभव नहीं है। इसके अलावा परीक्षा फार्म भरे जाने के बाद 9-10 अप्रैल को पुनः आवेदन लिए गए, यह क्यों किया गया? एक सवाल यह भी उठता है कि 14 जून को जारी होने वाले परीक्षा परिणाम को समय से पहले 4 जून (लोकसभा चुनाव परिणाम का दिन) को ही क्यों जारी कर दिया गया? क्या इसके पीछे धांधली मुद्दा ही न बने वजह रही है।
    
खैर वक्त के साथ छात्रों का आक्रोश बढ़ता गया और अंततः मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा रद्द करने से इंकार कर दिया पर साथ ही ग्रेस नम्बरों को भी खारिज कर दिया। ग्रेस नम्बरों वाले 1500 से अधिक छात्रों के लिए अलग से परीक्षा करायी जायेगी और उनके नम्बरों को मिला नयी मेरिट लिस्ट जारी होगी। सब एन टी ए को 6 जुलाई से पूर्व करना है क्योंकि 6 जुलाई से काउंसलिंग शुरू होनी है। 
    
इस तरह पेपर लीक व अन्य धांधली की बात खारिज कर सुप्रीम कोर्ट ने केवल ग्रेस नम्बरों को खारिज किया है। छात्रों का आक्रोश थम नहीं रहा है। 
    
एनटीए एक परीक्षा भी पारदर्शिता से कराने में लगातार विफल रही है। उसकी धांधली का असर लाखों बेकसूर युवा महसूस कर रहे हैं। 

आलेख

/chaavaa-aurangjeb-aur-hindu-fascist

इतिहास को तोड़-मरोड़ कर उसका इस्तेमाल अपनी साम्प्रदायिक राजनीति को हवा देने के लिए करना संघी संगठनों के लिए नया नहीं है। एक तरह से अपने जन्म के समय से ही संघ इस काम को करता रहा है। संघ की शाखाओं में अक्सर ही हिन्दू शासकों का गुणगान व मुसलमान शासकों को आततायी बता कर मुसलमानों के खिलाफ जहर उगला जाता रहा है। अपनी पैदाइश से आज तक इतिहास की साम्प्रदायिक दृष्टिकोण से प्रस्तुति संघी संगठनों के लिए काफी कारगर रही है। 

/bhartiy-share-baajaar-aur-arthvyavastha

1980 के दशक से ही जो यह सिलसिला शुरू हुआ वह वैश्वीकरण-उदारीकरण का सीधा परिणाम था। स्वयं ये नीतियां वैश्विक पैमाने पर पूंजीवाद में ठहराव तथा गिरते मुनाफे के संकट का परिणाम थीं। इनके जरिये पूंजीपति वर्ग मजदूर-मेहनतकश जनता की आय को घटाकर तथा उनकी सम्पत्ति को छीनकर अपने गिरते मुनाफे की भरपाई कर रहा था। पूंजीपति वर्ग द्वारा अपने मुनाफे को बनाये रखने का यह ऐसा समाधान था जो वास्तव में कोई समाधान नहीं था। मुनाफे का गिरना शुरू हुआ था उत्पादन-वितरण के क्षेत्र में नये निवेश की संभावनाओं के क्रमशः कम होते जाने से।

/kumbh-dhaarmikataa-aur-saampradayikataa

असल में धार्मिक साम्प्रदायिकता एक राजनीतिक परिघटना है। धार्मिक साम्प्रदायिकता का सारतत्व है धर्म का राजनीति के लिए इस्तेमाल। इसीलिए इसका इस्तेमाल करने वालों के लिए धर्म में विश्वास करना जरूरी नहीं है। बल्कि इसका ठीक उलटा हो सकता है। यानी यह कि धार्मिक साम्प्रदायिक नेता पूर्णतया अधार्मिक या नास्तिक हों। भारत में धर्म के आधार पर ‘दो राष्ट्र’ का सिद्धान्त देने वाले दोनों व्यक्ति नास्तिक थे। हिन्दू राष्ट्र की बात करने वाले सावरकर तथा मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान की बात करने वाले जिन्ना दोनों नास्तिक व्यक्ति थे। अक्सर धार्मिक लोग जिस तरह के धार्मिक सारतत्व की बात करते हैं, उसके आधार पर तो हर धार्मिक साम्प्रदायिक व्यक्ति अधार्मिक या नास्तिक होता है, खासकर साम्प्रदायिक नेता। 

/trump-putin-samajhauta-vartaa-jelensiki-aur-europe-adhar-mein

इस समय, अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूरोप और अफ्रीका में प्रभुत्व बनाये रखने की कोशिशों का सापेक्ष महत्व कम प्रतीत हो रहा है। इसके बजाय वे अपनी फौजी और राजनीतिक ताकत को पश्चिमी गोलार्द्ध के देशों, हिन्द-प्रशांत क्षेत्र और पश्चिम एशिया में ज्यादा लगाना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में यूरोपीय संघ और विशेष तौर पर नाटो में अपनी ताकत को पहले की तुलना में कम करने की ओर जा सकते हैं। ट्रम्प के लिए यह एक महत्वपूर्ण कारण है कि वे यूरोपीय संघ और नाटो को पहले की तरह महत्व नहीं दे रहे हैं।

/kendriy-budget-kaa-raajnitik-arthashaashtra-1

आंकड़ों की हेरा-फेरी के और बारीक तरीके भी हैं। मसलन सरकर ने ‘मध्यम वर्ग’ के आय कर पर जो छूट की घोषणा की उससे सरकार को करीब एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान बताया गया। लेकिन उसी समय वित्त मंत्री ने बताया कि इस साल आय कर में करीब दो लाख करोड़ रुपये की वृद्धि होगी। इसके दो ही तरीके हो सकते हैं। या तो एक हाथ के बदले दूसरे हाथ से कान पकड़ा जाये यानी ‘मध्यम वर्ग’ से अन्य तरीकों से ज्यादा कर वसूला जाये। या फिर इस कर छूट की भरपाई के लिए इसका बोझ बाकी जनता पर डाला जाये। और पूरी संभावना है कि यही हो।