मानेसर/ प्रोटेरियल (हिताची) के ठेका मजदूर 30 जून से फैक्टरी के अंदर और बाहर प्रबंधन के तानाशाही पूर्ण व्यवहार और अपने मांगपत्र पर कार्यवाही को लेकर बैठे हुए हैं। 30 जून से प्रबंधन ने मजदूरों के हौंसलों को तोड़ने के लिए पूरी कोशिश की है। सरकार और शासन-प्रशासन प्रबंधन के साथ पूरी निर्लज्जता के साथ सहयोग कर रहा है।
30 जून से शिफ्ट ए, बी और जनरल शिफ्ट के लगभग 200 मजदूर कंपनी के अंदर हड़ताल पर बैठे हुये हैं। साथ ही C शिफ्ट वाले मजदूर कंपनी गेट के बाहर धरने पर बैठे हुए हैं। ज्ञात हो कि 11-12 मई की हड़ताल के बाद श्रमिकों, श्रम विभाग और मैनेजमेंट के बीच त्रिपक्षीय समझौता हुआ था कि यथास्थिति बरकरार रखी जायेगी तथा अतिरिक्त श्रम आयुक्त के पास लंबित सामूहिक मांग पत्र की आगामी तारीख पर लंबित मांगों और सामूहिक मांग पत्र डालने के बाद निकाले गए 30 मजदूरों को वापिस लेकर समाधान कर लिया जाएगा लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
ज्ञात हो कि प्रोटेरियल (हिताची) के मजदूरों ने अपने सामूहिक मांग पत्र में ‘समान काम का सामान वेतन’ व ‘स्थाई काम के लिए, स्थाई रोजगार’ आदि की मांग की है। इस पर श्रम विभाग में वार्ताओं के लंबे दौर चले और लगभग 1 साल होने पर कोई समाधान तो दूर उल्टा 30 मजदूरों को प्रताड़ित कर निकाल दिया गया। छुट्टी, शादी यहां तक कि परिजन की मौत पर घर गये मजदूरों को भी नौकरी से निकाला गया।
प्रोटेरियल (हिताची) इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, मानेसर के मजदूरों की हड़ताल के सातवंे दिन (6 जुलाई 2023) को दोपहर 4 बजे से कंपनी में वार्ता थी। मजदूरों की तरफ से नेतृत्व ने शर्त रखी कि जब तक कंपनी के अंदर धरने पर बैठे मजदूरों को खाना नहीं खिलाया जायेगा, तब तक वार्ता नहीं करेंगे। लेबर इंस्पेक्टर पवन ने मजदूर नेतृत्व को खाने पर बातचीत के लिए बुलाया। मैनेजमेंट ने कहा कि जब तक मजदूर फोन जमा नहीं करवाएंगे तब तक खाना अंदर नहीं जाने दिया जायेगा। वार्ता में प्रबंधन का अड़ियल रुख बरकरार रहा। कंपनी की तरफ से एचआर हेड केशव गुप्ता और लेबर इंस्पेक्टर पवन और श्रमिक प्रतिनिधियों व एसएचओ (सेक्टर 7 मानेसर) में समझौता हुआ कि दिन में 2 टाइम खाना दिया जायेगा। अंत में केशव गुप्ता ने फिर शर्त लगा दी कि एप्लीकेशन लिख कर दो। इस पर मजदूरों ने खाना खाने से ही मना कर दिया।
ज्ञात हो कि रात 2ः30 बजे मजदूरों को खाना मिला। जब से हड़ताल हुई है तब से खाने को लेकर मैनेजमेंट की नौटंकी जारी थी। कभी रात 12ः00 बजे मजदूरों को खाना मिलता था तो कभी प्रबंधन केवल सूखा खाना यानी पैक खाना अंदर जाने की अनुमति देता था। कभी केले अंदर जाने की अनुमति देता तो कभी मना कर देता। इससे परेशान होकर कंपनी के अंदर हड़ताल पर बैठे मजदूरों ने भूख हड़ताल पर जाने का निर्णय ले लिया।
उसके बाद एस एच ओ का फोन आया कि बिना एप्लीकेशन लिखे खाना खा लीजिए, लेकिन मजदूरों ने खाना खाने से साफ मना कर दिया और तर्क दिया कि हम खाना खाने के लिए हड़ताल पर नहीं आए हैं। जब तक हमारे मांग पत्र पर बात नहीं होगी, तब तक हम खाना नहीं खाएंगे। बाहर धरने पर बैठे सभी मजदूरों ने कंपनी के अंदर हड़ताल पर बैठे मजदूरों का समर्थन किया।
मजदूरों की हड़ताल के 13वें दिन 12 जुलाई को प्रबंधन ने वार्ता नहीं की। प्रबंधन लगातार मजदूरों को थकाने में लगा हुआ है। मजदूर भी संघर्ष को मुकाम तक पहुंचाने के लिए संघर्षरत हैं। 13 जुलाई दोपहर से वार्ता शुरू हुई और शाम तक चली। श्रम विभाग श्रम कानूनों को लागू करने की बजाए मजदूरों को भ्रमित कर रहा है कि तुम सही वर्कर नहीं हो, तुम स्थाई नहीं हो।
मजदूरों के स्थाई न होने में श्रम विभाग और सरकार की नाकामी है, इस बात को डीएलसी भगत प्रताप नहीं बताता। वह मजदूरों को लठ खाकर बाहर निकलने की धमकी देता है। श्रम विभाग पूंजीपतियों का प्रवक्ता बन कर काम कर रहा है। श्रम विभाग और सरकार मिलकर श्रम कानूनों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
मजदूर अपनी सामूहिक एकता के दम पर अपने अधिकार हासिल करने के लिए संघर्षरत हैं। 14 जुलाई को श्रम विभाग में वार्ता है और सिविल कोर्ट में भी स्टे पर सुनवाई है। श्रम विभाग ने सिविल कोर्ट की सुनवाई को भ्रमित करने के लिए उसी समय की वार्ता सुनिश्चित की है ताकि वह कह सके कि अभी वार्ता पेंडिंग है।
बेलसोनिका यूनियन, मारुति सुजुकी गुड़गांव, इंकलाबी मजदूर केंद्र व मजदूर सहयोग केंद्र से साथी आंदोलन में भागीदारी कर रहे हैं।
मजदूरों की एकता मजबूत है। प्रबंधन किसी भी मजदूर को तोड़ने में सफल नहीं हो पाया है। मजदूरों को इस एकता को मजबूत बनाकर रखना होगा। और संघर्ष को आगे बढ़ाना होगा। -मानेसर संवाददाता