स्थानीय

डाल्फिन मजदूरों का आमरण अनशन समाप्त

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पंतनगर/ डाल्फिन मजदूरों का आमरण अनशन और धरना 26 नवम्बर 2024 को भाजपा प्रदेश मंत्री विकास शर्मा द्वारा मीडिया के समक्ष अनशनकारी महिलाओं सहित सभी मजदूरों क

मारुति सुजुकी मजदूरों के धरना स्थल पर स्मरण सभा

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मारुति सुजुकी स्ट्रगल कमेटी के नेतृत्वकारी मजदूर प्रदीप, जो धरना स्थल पर ही रह रहे थे, की 15 नवंबर को सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। 23 नवंबर को मारुति सुजुकी मजदूरों के धरन

बेलसोनिका मजदूरों का समझौता संपन्न, पर छंटनी का खतरा बरकरार

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गुड़गांव/ दिनांक 24 अक्टूबर 2024 को बेलसोनिका मजदूरों का सामूहिक मांग पत्र पर त्रिवार्षिक समझौता (01 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2025 तक) नई यूनियन बेलसोनिका

महिला मजदूरों के शोषण-उत्पीड़न के खिलाफ जंतर-मंतर पर प्रदर्शन

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दिल्ली/ प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र द्वारा महिला-मजदूरों पर बढ़ते शोषण-उत्पीड़न के खिलाफ 10 नवंबर 2024, रविवार, को देश की राजधानी दिल्ली में प्रदर्शन आयोज

17 वर्षीया किशोरी की हत्या पर आक्रोश

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फरीदाबाद/ 30 अक्टूबर की देर रात 2ः00 बजे से 17 वर्षीय किशोरी एसी नगर झुग्गी मजदूर बस्ती फरीदाबाद से संदिग्ध हालत में घर से लापता हो गई थी। परिवारजनों द्व

भोजनमाताओं का उत्पीड़न

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रामनगर/ दिनांक 8 नवम्बर 24 को गोविन्द देवी इंटर कालेज, बैलपोखरा कोटाबाग नैनीताल की प्रभारी प्रधानाचार्य श्रीमती इंदिरा जोशी ने 2 भोजनमाताओं को स्कूल से न

उजाड़े जाने की कोशिशों के विरोध में सामूहिक उपवास

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भाजपा सरकार द्वारा पूछडी, रामनगर (उत्तराखंड) के निवासियों को उजाड़े जाने की कोशिशों के विरुद्ध संयुक्त संघर्ष समिति के नेतृत्व में विगत ढाई-तीन माह से जारी आंदोलन के क्रम

पंतनगर ठेका मजदूरों की नियमितीकरण की मांग

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पंतनगर/ 24 अक्टूबर 2024 को ठेका मजदूर कल्याण समिति पंतनगर द्वारा मुख्यमंत्री उत्तराखंड  सरकार को ज्ञापन भेजकर पंतनगर में कार्यरत ठेका मजदूरों को श्रम निय

आलेख

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इजरायल की यहूदी नस्लवादी हुकूमत और उसके अंदर धुर दक्षिणपंथी ताकतें गाजापट्टी से फिलिस्तीनियों का सफाया करना चाहती हैं। उनके इस अभियान में हमास और अन्य प्रतिरोध संगठन सबसे बड़ी बाधा हैं। वे स्वतंत्र फिलिस्तीन राष्ट्र के लिए अपना संघर्ष चला रहे हैं। इजरायल की ये धुर दक्षिणपंथी ताकतें यह कह रही हैं कि गाजापट्टी से फिलिस्तीनियों को स्वतः ही बाहर जाने के लिए कहा जायेगा। नेतन्याहू और धुर दक्षिणपंथी इस मामले में एक हैं कि वे गाजापट्टी से फिलिस्तीनियों को बाहर करना चाहते हैं और इसीलिए वे नरसंहार और व्यापक विनाश का अभियान चला रहे हैं। 

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कहा जाता है कि लोगों को वैसी ही सरकार मिलती है जिसके वे लायक होते हैं। इसी का दूसरा रूप यह है कि लोगों के वैसे ही नायक होते हैं जैसा कि लोग खुद होते हैं। लोग भीतर से जैसे होते हैं, उनका नायक बाहर से वैसा ही होता है। इंसान ने अपने ईश्वर की अपने ही रूप में कल्पना की। इसी तरह नायक भी लोगों के अंतर्मन के मूर्त रूप होते हैं। यदि मोदी, ट्रंप या नेतन्याहू नायक हैं तो इसलिए कि उनके समर्थक भी भीतर से वैसे ही हैं। मोदी, ट्रंप और नेतन्याहू का मानव द्वेष, खून-पिपासा और सत्ता के लिए कुछ भी कर गुजरने की प्रवृत्ति लोगों की इसी तरह की भावनाओं की अभिव्यक्ति मात्र है। 

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आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था। 

/ameriki-chunaav-mein-trump-ki-jeet-yudhon-aur-vaishavik-raajniti-par-prabhav

ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।

/brics-ka-sheersh-sammelan-aur-badalati-duniya

ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती।