मणिपुर में कुकी जनजाति की महिलाओं को मैतेई लोगों की भीड़ द्वारा निर्वस्त्र कर घुमाने का वीडियो वायरल होने के बाद न सिर्फ मणिपुर और पूर्वोतर के राज्यों अपितु पूरे देश में लोगों का गुस्सा सड़कों पर विरोध प्रदर्शनों के रूप में फूट रहा है। लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का इस्तीफा मांग रहे हैं और मणिपुर की राज्य सरकार को बर्खास्त करने की मांग कर रहे हैं।
इसी क्रम में दिल्ली की शाहबाद डेरी में 23 जुलाई को मणिपुर के मुख्यमंत्री का पुतला फूंका गया। इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि पिछले ढाई महीने से मणिपुर जल रहा है और भाजपा की डबल इंजन की सरकार वहां हिंसा को रोकने में पूरी तरह नाकाम रही है। इस हिंसा को रोकने के लिये कोई ठोस कदम उठाने के बजाय हमारे देश के जुमलेबाज प्रधानमंत्री कभी अमेरिका तो कभी फ्रांस तो कभी अरब देशों की यात्रा में व्यस्त हैं।
गुड़गांव में 24 जुलाई के दिन लघु सचिवालय पर विरोध प्रदर्शन किया गया और राष्ट्रपति को एक ज्ञापन प्रेषित कर आर एस एस-भाजपा जैसे हिंदू फासीवादी संगठनों पर सख्ती बरतने की मांग की गई। इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि मणिपुर में पुलिस की मौजूदगी में महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया गया और उनके शरीर को नोंचा गया। 21 साल की बिटिया के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और उसकी रक्षा करने की कोशिश कर रहे उसके पिता और भाई की मौके पर ही हत्या कर दी गई। इतनी हैवानियत के बावजूद प्रघानमंत्री चुप हैं।
फरीदाबाद में 21 जुलाई को केंद्र सरकार का पुतला फूंका गया। इस मौके पर हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि मणिपुर में होने वाली हिंसा प्रायोजित है इसीलिए केंद्र और राज्य सरकार हिंसा को रोकने के कोई प्रयास नहीं कर रही हैं। सभा में वक्ताओं ने आर एस एस-भाजपा के फ़ासीवादी एजेंडे को ध्वस्त करने और इनकी जहरीली विचारधारा से अपने बच्चों को बचाने का आह्वान किया।
कुरुक्षेत्र में जन संघर्ष मंच (हरियाणा) द्वारा 22 जुलाई को मोदी सरकार व मणिपुर सरकार का पुतला दहन किया गया। इस मौके पर हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने और सामूहिक बलात्कार की घटना मानवता को तार-तार कर देने वाली है। देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, महिला एवं बाल विकास मंत्री, राष्ट्रीय महिला आयोग अध्यक्ष इस घटना को पहले से जानते थे लेकिन इन्होंने अपराधियों के पक्ष में चुप्पी लगाये रखी।
हरिद्वार में 21 जुलाई को मणिपुर सरकार का पुतला फूंका गया और प्रधानमंत्री व गृहमंत्री के इस्तीफ़े की मांग की गई। इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि हिंदू फासीवादी ताकतों ने धर्म के नाम पर जो नफरत और हिंसा की राजनीति का बीज बोया है उसी का परिणाम है कि पिछले करीब तीन महीने से मणिपुर जल रहा है। मणिपुर में अब तक 150 से भी अधिक लोग मारे जा चुके हैं और पचास हजार से भी अधिक लोग बेघर हो चुके हैं। मैतेई समुदाय के विरुद्ध कुकी जनजाति को खड़ा करने की राजनीति के पीछे असल मंशा पर्वतीय क्षेत्रों की जमीनों और खनिज सम्पदा को देशी-विदेशी पूंजीपतियों के हवाले करना है।
इसके अलावा 25 जुलाई को क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन द्वारा बादशाहपुर के निकट नसीरकलां मस्जिद चौक पर सभा कर मणिपुर के मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया गया।
रामनगर में 22 जुलाई को इस घटना के विरोध में प्रदर्शन कर राज्य सरकार को भंग करने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह के इस्तीफ़े की मांग की गई। इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि आर एस एस-भाजपा ने मणिपुर के पर्वतीय क्षेत्रों में जमीनों की कारपोरेट लूट और सत्ता की खातिर मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जातीय हिंसा को भड़काया है। आज मणिपुर में जो हो रहा है वह इनकी हिंदू फासीवादी परियोजना का ही हिस्सा है।
रुद्रपुर में 23 जुलाई को केंद्र व मणिपुर सरकार और महिला विरोधी पुरुष मानसिकता का पुतला फूंका गया। इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने मणिपुर की बर्बर घटना पर रोष व्यक्त करते हुए कहा कि जो हालात आज मणिपुर के हैं; आरएसएस-भाजपा के राज में वैसे ही हालात किसी भी दूसरे राज्य के हो सकते हैं। इसके लिये हमें सचेत रहना होगा।
पंतनगर में 23 जुलाई को केंद्र और मणिपुर सरकार का पुतला फूंका गया। इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार की सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति के कारण मणिपुर में कानून व्यवस्था ख़त्म हो चुकी है। शर्मनाक है कि ऐसे त्रासद मौके पर भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विदेशी दौरों में व्यस्त हैं या फिर आगामी चुनावों की तैयारियों में जुटे हैं।
बिंदुखत्ता कार रोड पर 22 जुलाई को भाजपा सरकार का पुतला फूंका गया। इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि मणिपुर में 4 मई से ही इंटरनेट बंद है इस कारण ढाई महीने बाद यह वीडियो सोशल मीडिया पर आया है जिसे देख कर सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि वहां जारी जातीय हिंसा में महिलाओं पर किस तरह जुल्म ढाये जा रहे हैं। दरअसल जो भीड़ महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमा रही थी वह पुरुष प्रधान मानसिकता से लैस तो थी ही, साथ ही संघ-भाजपा ने उनका हिंदूकरण कर जो सांप्रदायिकता का बीज बोया है, उससे भी लैस थी।
हल्द्वानी में 22 जुलाई को केंद्र व मणिपुर सरकार का पुतला फूंका गया। इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि मणिपुर में जारी हिंसा के लिये जातीय, नस्लीय और सांप्रदायिक घृणा की राजनीति जिम्मेदार है। महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाये जाने की वीभत्स घटना दंगों के दौरान विरोधी पक्ष की महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार आरएसएस-भाजपा की सोच के ही अनुरूप है। गौरतलब है कि 2002 के गुजरात नरसंहार के दौरान भी बड़े पैमाने पर मुस्लिम महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था।
अल्मोड़ा में उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने नगर में मार्च निकाला और केंद्र व राज्य सरकार का पुतला फूंका और मणिपुर की राज्य सरकार को भंग करने की मांग की। इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने कहा पूरे देश व समाज को लज्जित करने वाली इस घटना पर प्रधानमंत्री की लम्बी चुप्पी से पूरा देश सकते में है। वक्ताओं ने कहा कि 2 अक्टूबर,1994 को हुये मुज्जफरनगर कांड से अपमानित उत्तराखंड के लोग मणिपुर व देश दुनिया में महिलाओं को हथियार बनाने की इस खतरनाक प्रवृति को महसूस कर सकते हैं।
बरेली में बरेली ट्रेड यूनियन फेडरेशन के बैनर तले नगर में कैंडल मार्च निकला गया। इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने एक स्वर में मणिपुर हिंसा के लिये राज्य सरकार को दोषी ठहराते हुये उसे तत्काल भंग करने की मांग की।
मऊ में 25 जुलाई को मणिपुर हिंसा और महिलाओं के जघन्य यौन उत्पीड़न तथा उन्हें निर्वस्त्र घुमाये जाने की घटना के विरोध में कलेक्ट्रेट पर धरना दिया गया और राष्ट्रपति को एक ज्ञापन प्रेषित कर मणिपुर की राज्य सरकार को बर्खास्त करने की मांग की गई।
बदायूं में डा. भीमराव अम्बेडकर जन्मोत्सव समारोह समिति, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन व अन्य सामाजिक संगठनों ने स्थानीय अम्बेडकर पार्क में सभा की और कैंडिल मार्च निकाला। सभा में सभी वक्ताओं ने मणिपुर में महिलाओं के साथ हो रही हिंसा पर रोष व्यक्त किया।
विरोध प्रदर्शन में इंकलाबी मजदूर केंद्र, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन और परिवर्तनकामी छात्र संगठन के कार्यकर्ताओं ने भागीदारी की। इसके अलावा गुड़गांव से मजदूर सहयोग केंद्र, बेलसोनिका यूनियन और संयुक्त किसान मोर्चा (गुड़गांव) के कार्यकर्ताओं, हरिद्वार से भेल मजदूर ट्रेड यूनियन, देव भूमि श्रमिक संगठन (हिंदुस्तान यूनिलीवर), यूरो लाइफ मजदूर कमेटी और राजा बिस्कुट मजदूर संगठन व सामाजिक कार्यकर्ताओं, रामनगर से उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, आइसा से जुड़े कार्यकर्ताओं, रुद्रपुर से मजदूर सहयोग केंद्र, सी पी आई (एम एल), इंटरार्क मजदूर संगठन, डेल्टा एम्प्लॉयीज यूनियन, महिंद्रा कर्मकार यूनियन, एडविक कर्मचारी संगठन, गुजरात अंबुजा कर्मकार यूनियन, करोलिया लाइटिंग एम्प्लोयीज यूनियन, एडियंट कर्मकार यूनियन, आटोलाइन एम्प्लॉयीज यूनियन, वोल्टास एम्प्लॉयीज यूनियन, पी डी पी एल मजदूर, होन्डा यूनियन, यजाकि वर्कर्स यूनियन, समता सैनिक दल एवं आम आदमी पार्टी के लोगों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं, पंतनगर से ठेका मजदूर कल्याण समिति, हल्द्वानी से कांग्रेस कमेटी एस सी विभाग, भाकपा (माले), प्रगतिशील युवा संगठन, ब्लॉक कांग्रेस कमेटी से जुड़े कार्यकर्ताओं, बरेली से प्रगतिशील सांस्कृतिक मंच से जुड़े कार्यकर्ताओं और मऊ से संयुक्त किसान मोर्चा, भाकपा, माकपा, भाकपा (माले), अखिल भारतीय किसान फेडरेशन, एस यू सी आई, किसान संग्राम समिति के कार्यकर्ताओं ने भागीदारी की।
-विशेष संवाददाता