
भारत सरकार ने वर्ष 2025 के लिए सात लोगों को पद्म विभूषण देने का एलान किया है। इन सात लोगों में सुजुकी मोटर कम्पनी के पूर्व चेयरमैन ओसामू सुजुकी का भी नाम है। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने दिनांक 28 अप्रैल को राष्ट्रपति भवन में भारत का दूसरा सम्मानित अवार्ड ‘पद्म विभूषण’ देकर मरणोपरान्त इन्हें सम्मानित किया। इससे पूर्व 2007 में ये पद्म भूषण पुरूस्कार भी प्राप्त कर चुके थे।
भारत सरकार का तर्क है कि यह सम्मान ओसामू सुजुकी को भारत में व्यापार व औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए दिया गया है। मारूति सुजुकी ने भारत में कारों का उत्पादन किया और यहां का औद्योगिक विकास किया। मारूति सुजुकी ने भारत में 1984 में कारों का उत्पादन करना शुरू किया था। मारूति सुजुकी का भारत के कार बाजार पर लम्बे वक्त तक लगभग एकाधिकार रहा है। हर वर्ष मारूति सुजुकी लाखों कारों का उत्पादन करती है। शुरूआत में इस कारखाने में भारत सरकार की हिस्सेदारी लगभग 74 प्रतिशत थी और सुजुकी की 26 प्रतिशत हिससेदारी थी। धीरे-धीरे करके भारत सरकार ने अपनी हिस्सेदारी कम की और वर्ष 2007 में सुजुकी ने पूरे शेयर खरीद कर भारत सरकार की हिस्सेदारी को खत्म कर दिया।
वर्तमान में मारूति सुजुकी के भारत में चार प्लांट हैं जिसमें कारों का उत्पादन होता है। इसके अतिरिक्त एक प्लांट रिसर्च और डेवलपमेंट का है। निवेश के नाम पर भारत सरकार ने मारूति सुजुकी का पूरा सहयोग किया है। यहां तक कि अलग-अलग समय पर मारूति मजदूरों के यूनियन बनाने को लेकर हुए आंदोलन का दमन किया है। वर्ष 2000 व वर्ष 2011-12 में हुए मारूति मजदूरों के आंदोलन का दमन भारत सरकार ने निर्लज्ज होकर किया।
वर्ष 2011-12 में मानेसर में यूनियन बनाने के आंदोलन के दमन में पूरी राज्य मशीनरी खुल कर सुजुकी के साथ खड़ी नजर आई। मजदूरों के इस यूनियन बनाने के आंदोलन को षडयंत्र (प्लांट में आगजनी व एक मैनेजर की मौत) कर एक बड़ी घटना को अंजाम देकर कुचला गया और मजदूरों को ही जेलों में ठूंस दिया गया था। तब लगभग 150 मजदूरों को जेलों में डाल दिया गया था और यूनियन नेतृत्व को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी थी।
आज मारूति सुजुकी के तीन प्लांटों में मजदूरों की स्थिति यह है कि तीनों प्लांटों में लगभग 16 प्रतिशत ही स्थाई मजदूर कार्यरत हैं। बाकी 84 प्रतिशत मजदूरों में ठेका, फिक्स टर्म के नाम पर ज्ॅए ब्ॅ क्रमशः 7 व 9 महीने के लिए, प्रशिक्षण के नाम पर स्टूडेंट ट्रेनिंग इत्यादि मजदूरों की संख्या बड़ी है। इन सभी अस्थाई मजदूरों से मुख्य उत्पादन का काम कराया जाता है।
संवैधानिक पद पर विराजमान राष्ट्रपति, मजदूरों के श्रम को लूटने वाले साम्राज्यवादी जापान के लुटेरों को पद्म विभूषण से सम्मानित कर रही है और वहीं दूसरी तरफ सरकार अपने संवैधानिक अधिकारों के तहत यूनियन बनाने वाले मजदूरों को जेल की कठोर यातनाएं दे रही है। मोदी सरकार ने तो 44 केन्द्रीय श्रम कानूनों को खत्म कर सुजुकी जैसे विदेशी लुटेरों के लिए मजदूरों के श्रम को लूटने की राह और आसान कर दी है। मोदी सरकार ने सुजुकी की थाली में मजदूरों के श्रम की लूट को सजा कर परोस दिया है। जो लुटेरे मजदूरों का खून चूस रहे हैं उन्हीं लुटेरों को मोदी सरकार पद्म विभूषण से सम्मानित कर उनको मजदूरों के श्रम को लूटने की ओर ज्यादा खुली छूट दे रही है।
हर वर्ष मारूति सुजुकी लाखों की संख्या में कारों का उत्पादन करती है। इन कारों के उत्पादन में लगे अस्थाई मजदूरों की स्थिति यह है कि मजदूरों को जहां 20-22 हजार रुपए वेतन के रूप में मिलते हैं तो वहीं मारूति के अधिकारियों की तनख्वाह लाखों में है। मजदूरों और अधिकारियों की तनख्वाहों में 100 गुने का अंतर दिखाता है कि भारत सरकार ने सुजुकी को मजदूरों के श्रम को लूटने के लिए अपनी नीतियों को सुजुकी के मालिक के अनुरूप बना दिया है। रोजगार देने के नाम पर मारूति सुजुकी जैसी बड़ी-बड़ी कम्पनियां मजदूरों के श्रम की खुली लूट करती आ रही हैं और भारत सरकार लगातार इन देशी-विदेशी पूंजीपतियों के मुनाफे में आने वाली बाधाओं को हटाकर उन्हें श्रम की लूट के साथ-साथ सम्मानित भी कर रही है।
मजदूरों को यह सब समझना होगा कि उनकी दासता की जिम्मेदार सरकार और उनकी पूंजीपरस्त नीतियां हैं जो मजदूरों के श्रम को लूटने के लिए इन पूंजीपतियों के आगे परोस रही है और लूटने वालों को ही सम्मानित कर रही है। जो न भारत के संविधान को मानते हैं और न भारत के श्रम कानूनों को मानते हैं, उन्ही लुटेरों को संवैधानिक पद पर बैठे लोग पद्म विभूषण से नवाज रहे हैं। हम मजदूरों को इस गठजोड़ को समझना होगा और इन लुटेरों शासकों और सरकारों के खिलाफ मोर्चा खोलना होगा।