रामपुर के सिलई बड़ागांव में हुए हत्याकांड की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट

(27 फरवरी 2024 को रामपुर के सिलई बड़गांव में दलित बस्ती के निकट घूरे पर अंबेडकर पार्क के बोर्ड हटाने को पुलिस पहुंची। यहां दलित लोग अम्बेडकर पार्क बनाना चाह रहे थे जबकि वर्चस्वशाली कुर्मी इसके विरोध में थे। पुलिस ने वर्चस्वशाली लोगों के दबाव में जबरन बोर्ड हटाने की कार्यवाही शुरू की तो दलित महिलायें बोर्ड के सामने खड़ी हो गईं। तब पुलिस ने बर्बर लाठी चार्ज के साथ गोली चला दी। जिसमें एक दलित छात्र मारा गया व कई घायल हो गये। पुलिस की इस बर्बरतापूर्ण कार्यवाही की जांच हेतु एक टीम उक्त गांव में गयी। यहां उक्त जांच टीम द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के प्रमुख अंश दिये जा रहे हैं -सम्पादक) 
    
उत्तर प्रदेश के रामपुर जनपद में तहसील मिलक है। तहसील से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव सिलई बड़ागांव है। गांव की आबादी लगभग 10,000 है। यह गांव विलासपुर विधानसभा में लगता है। इस गांव में लगभग 3800 वोटर हैं। सबसे ज्यादा वोट कुर्मी बिरादरी के हैं। गांव में जाटव सहित अन्य जातियों की आबादी भी है। मुस्लिम और सिख समुदाय की भी आबादी ठीक ठाक है। गांव वालों के मुताबिक गांव में कभी विभिन्न जातियों या समुदायों के बीच तनाव का माहौल नहीं रहा है। कभी कभार छोटे-मोटे मन-मुटाव हो जाते थे। सामान्यतः गांव में सौहार्द का माहौल रहता है। विभिन्न जातियों व समुदायों के लोग आपस में एक-दूसरे के सुख-दुख में शामिल रहते हैं। 
    
सड़क से गांव की तरफ चलने पर गांव में घुसते ही जाटव बिरादरी के लोगों के घर हैं। इस पूरे मोहल्ले के लोगों के घरों का घूरा डालने की एक जगह थी। यह ग्राम पंचायत की जगह है। जगह में कई गड्डे थे जिनमें खाद जमा की जाती थी। इस जगह को लेकर अतीत में कोई विवाद नहीं रहा है। 22 जनवरी के श्रीराम प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर जब पूरे देश में भांति-भांति के आयोजन हो रहे थे इसी दौरान इस गांव में भी सफाई अभियान चलाया गया। सफाई अभियान में जाटव समाज के लोगों ने ही खुद श्रम दान करके उक्त घूरे की जगह में मिट्टी डाली और साफ-सफाई की। टीम को बताया गया कि इस जगह में केवल जाटव समाज के ही घूरे पड़ते थे। 
    
टीम से बात करते हुए ग्रामवासियों ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा के समय चले सफाई अभियान में जब ये जगह साफ-सुथरी हो गई तो लोगों ने तय किया कि इस जगह पर अंबेडकर पार्क बना दिया जाए। इसमें बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा लगा दी जाए। जैसा कि बताया गया कि इस मसले पर सभी समुदाय के लोगों से बातचीत की गई। किसी की तरफ से विरोध नहीं आया। ग्राम प्रधान से भी बातचीत की गई। उन्होंने भी कोई आपत्ति नहीं की। 10 फरवरी 2024 को सबकी सहमति से खाली भूमि पर अंबेडकर पार्क का बोर्ड जिस पर अंबेडकर साहब की फोटो भी छपी थी, लगा दिया गया। बोर्ड लगते समय जो कार्यक्रम किया गया उसमें तमाम ग्रामीणों के साथ ग्राम प्रधान रंजीत कौर के बेटे सरदार जीता सिंह भी शामिल हुए। बोर्ड लगने के लगभग 10 दिनों तक माहौल शांत रहा। इसके बाद कुर्मी समाज के कुछ लोगों ने इस बोर्ड पर आपत्ति की। जाटव समाज के लोगों ने कहा कि आप लोगों ने उस समय आपत्ति क्यों नहीं की तो उन्होंने कहा पहले नहीं कहा, लेकिन अब हमें आपत्ति है। 
    
लगभग 10 दिनों बाद ग्राम समाज की भूमि में जाटव समाज द्वारा भीमराव अंबेडकर का बोर्ड लगाए जाने की शिकायत पुलिस में निर्वेश और ऊदल सिंह आदि द्वारा की गई। इसके बाद गांव में पुलिस ने आकर बोर्ड हटाने को कहा। पुलिस ने कहा कि बोर्ड हटा दिया जाए इसका विरोध हो रहा है। लोगों ने बोर्ड हटाने से मना किया। उनका कहना था कि हम लोग बाबा साहब के अनुयायी हैं। हम लोग बाबा साहब को अपना आदर्श मानते हैं। बाबा साहब ने देश को बहुत कुछ दिया है। इसलिए हम उनके नाम पर पार्क बनाना चाहते हैं। हम लोग बोर्ड नहीं हटाएंगे। ग्रामीणों का यह कहना है कि पुलिस ने बोर्ड ना हटाने पर जेल में डाल देने की धमकी भी दी। इस मामले को लेकर जाटव समाज के लोग भाजपा के जिला पंचायत अध्यक्ष से भी मिले। लेकिन ना जनप्रतिनिधियों के स्तर पर और ना ही गांव के स्तर पर इस मामले को सही तरीके से निपटाने के कोई सार्थक प्रयास हुए। 
    
इन तनावपूर्ण परिस्थितियों में कोई सौहार्दपूर्ण रास्ता निकालने के बजाए, पुलिस प्रशासन ने बलपूर्वक इस मामले को निपटाना चाहा। 27 फरवरी 2024 को पुलिस प्रशासन पूरे दल-बल के साथ शाम लगभग 4 बजे विवादित पार्क पर पहुंच  गया। इस बार बड़ी संख्या में पुलिस बल के साथ पुलिस के आला अधिकारी, एस डी एम और तहसीलदार मौजूद थे। इतने अधिकारियों और पुलिस बल को देखकर ग्रामीण हक्का-बक्का थे। कुछ ग्रामीणों का यह भी कहना था कि पुलिस के आने की सूचना उन्हें कुछ समय पहले मिल चुकी थी। ऐसे में लोगों ने कुछ राजनीतिक लोगों से मुलाकात कर बोर्ड को उखड़ने से रोकने की कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। 
    
ग्रामीणों के मुताबिक पुलिस के पहुंचने के बाद लगभग 40 से 50 की संख्या में महिलाएं और बच्चे इकट्ठे हो गए। पुरुष कम ही थे, इसी दौरान बोर्ड उखाड़ने के लिए बुलडोजर भी मंगा लिया गया। इसके बाद जैसे ही पुलिस प्रशासन के लोग बोर्ड उखाड़ने आगे बढ़े, महिलाओं ने विरोध किया। महिलाएं बोर्ड से चिपक गईं। पुलिस ने काफी कोशिश की, महिलाएं और बच्चे बोर्ड से पीछे नहीं हट रहे थे। तभी पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। टीम की बात कुछ महिलाओं से भी हुई। जिन्होंने बताया कि पुलिस महिलाओं और बच्चों को बेरहमी से पीट रही थी। कुछ महिलाओं को पुलिस ने जबरन गाड़ी में भी ठूंसने की कोशिश की। लेकिन महिलाएं बोर्ड नहीं छोड़ रही थीं। महिलाओं ने यह भी बताया कि जब पुलिस महिलाओं पर लाठी चला रही थी, उन्हें धक्के मारकर धकेल रही थी, उस समय महिला पुलिस नहीं थी। महिला पुलिस बाद में बुलाई गई। लाठी चार्ज के साथ पुलिस ने पत्थर भी मारे और एक आंसू गैस का गोला भी फेंका जो चल नहीं पाया। 
    
इसी दौरान एस डी एम और तहसीलदार की मौजूदगी में ही गोली चला दी गई। गोली चलाने से पहले कोई चेतावनी नहीं दी गई। गोली 17 वर्षीय हाईस्कूल के छात्र सोमेश को लगी। गोली लगने से सोमेश वहीं गिर गया। ग्रामीणों के अनुसार सोमेश के सिर में गोली लगकर गिरने के बाद भी गोलियां चलती रहीं। एक गोली रहीस पाल के पैर में लगी जो एक पैर से पार होकर दूसरे पैर में जा घुसी। इनके अलावा लाठी और पत्थर से रमन बाबू, रोहतास, वीर सिंह, इंद्रा देवी, तेजवती, सरबती, दीपक, संजयवती आदि को काफी चोटें आईं। हमारी टीम जब गांव गई तो उस समय भी कुछ लोगों को चलने-फिरने में दिक्कत हो रही थी। 
    
जब गोली लगने से सोमेश की मृत्यु हो गई तो पुलिस उसकी बॉडी को घर वालों को नहीं देना चाहती थी। पुलिस ने जबरन बॉडी को अपने कब्जे में ले लिया और लगभग 11 बजे रात में पोस्टमार्टम को ले गई। सुबह सात बजे पोस्टमार्टम के बाद बॉडी दी गई। लेकिन जब बॉडी गांव लाने का नंबर आया तो पुलिस ने परिवार की गाड़ी के बजाए एंबुलेंस में बॉडी लाने दी। पुलिस बॉडी के अंतिम संस्कार के लिए ईंधन का इंतजाम भी वहीं से अपने साथ करके लाई। पुलिस बॉडी सीधे शमशान ले गई। गांव वालों का कहना था कि पुलिस अधिकारी जल्द ही अंतिम संस्कार का दबाव डाल रहे थे। लोगों को मिलने नहीं दे रहे थे। मृतक के रिश्तेदार आने थे जिसकी वजह से परिजन थोड़ा रुककर अंतिम संस्कार करना चाहते थे। लेकिन पुलिस प्रशासन ने उनकी एक ना सुनी। और ये भी पता चला कि विरोध को देखते हुए पुलिस ने शमशान पर भी लोगों के ऊपर लाठीचार्ज किया। इससे भीड़ कम हो गई। इसके बाद पुलिस ने जबरन बिना रिश्तेदारों के आए लगभग 2 बजे अंतिम संस्कार कर दिया। 
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28 फरवरी 2024 को दोपहर 2 बजे के बाद पीड़ित पक्ष की ओर से वादी गेंदन लाल की तरफ से विभिन्न धाराओं एस सी/एस टी एक्ट के अलावा भारतीय दण्ड संहिता की धाराएं 147, 148, 149, 323, 302 में एफ आई आर दर्ज कराई गई। एफ आई आर थाना मिलक, रामपुर में दर्ज की गई।  एफ आई आर का नंबर 0091 है। एफ आई आर में 25 लोग नामजद हैं। इनमें कुछ पुलिसकर्मी भी हैं। हालांकि ग्रामीणों का कहना था कि वे एस डी एम और तहसीलदार को भी एफ आई आर में रखना चाहते थे। लेकिन रिपोर्ट में उनका नाम नहीं लिखा गया। 
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फैक्ट फाइंडिंग टीम की मांगें
1. दलित छात्र सोमेश की पुलिस की गोली से हुई मृत्यु तथा सम्पूर्ण घटना की जांच हाईकोर्ट के सेवानिवृत जज के नेतृत्व में बनी उच्चस्तरीय कमेटी से कराई जाए। 
2. मृतक के परिवार को उचित मुआवजा दिया जाए एवम् घायल के इलाज की व्यवस्था की जाए। 
3. घटना में दोषी पुलिस एवं प्रशासनिक लोगों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाए। 
4. इस घटना में राजनीतिक शक्तियों की संलिप्तता की जांच की जाए। 
5. गांव व इलाके में शांति व सद्भाव बनाए रखने हेतु न्यायप्रिय लोगों के साथ मिलकर प्रशासन उचित कदम उठाने की जिम्मेदारी सुनिश्चित करे। 
6. शांतिपूर्ण जनांदोलनों का पुलिस प्रशासन द्वारा दमन तत्काल बंद किया जाए। 
7. देशभर में दलितों, अल्पसंख्यकों एवं कमजोर वर्गों के उत्पीड़न की घटनाओं पर रोक लगाई जाए। तथा इन्हें उकसाने वाली राजनीतिक ताकतों को प्रतिबंधित किया जाए। 

जारीकर्ता : ख्फैक्ट फाइंडिंग टीम के सदस्यः प्रेमपाल सिंह, चरन सिंह यादव (जनहित सत्याग्रह मोर्चा), सतीश बाबू, फैसल, ललित (क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन), हर्षवर्धन (राष्ट्रीय दलित पिछड़ा अल्पसंख्यक महासंघ), हरिगोविंद (इंकलाबी मजदूर केंद्र), सुरेंद्र सोनकर, डा. हीरा लाल, डा. एम पी सिंह, (प्रबुद्ध मैत्रीय संघ),

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