कुछ लोग ऐसा सोचते हैं कि वह अगर सांप को श्रीमान सांप कहेंगे तो वह काटेगा नहीं। भला सांप कब से ऐसा करने लगे कि कोई अगर उसके प्रति सम्मान दिखाये या भद्रता-नम्रता का प्रदर्शन करे तो वह उसे अभय दान दे दे।
कुछ धार्मिक अंधविश्वासी तो सांप को इसलिए ही दूध पिलाने लगते हैं ताकि वह सांप तो क्या सांप परिवार का कोई सदस्य उन्हें कभी भी न काटे। ‘सांप को दूध पिलाना’ मुहावरा अपनी सीख अपने आप कह देता है पर कई लोग सांप को दूध पिलाते ही रहते हैं। उन्हें इस वैज्ञानिक ज्ञान से कोई लेना-देना नहीं है कि सांप दूध नहीं पीते वे तो सीधे अपने जहरीले दांतों से मौत बांटते हैं।
सांप तो फिर भी प्राणी जगत का हिस्सा है जो अपने ‘‘धर्म’’ के अनुसार चलता है। इस सांप से तो मनुष्य निपटने की क्षमता विकसित कर चुका है। काटे गये मनुष्य को इलाज तुरन्त मिल जाये तो उसकी जान भी बच सकती है। परन्तु उन मनुष्य रूप धारी सांपों का क्या करेंगे जिनकी पैदावार भारत में काफी बढ़ गयी है। गजब तो ये है कि इन सांपों का एक मुंह नहीं बल्कि कई-कई मुंह हैं। ये मनुष्य रूप धारी सांप एक ऐसा राष्ट्र बनाना चाहते हैं जहां सांपों का राज चलता हो। कुछ भोले या सांपों के ‘‘धर्म’’ से अनजान मनुष्य सोचते हैं कि वे इन्हें ‘‘श्रीमान सांप!’’ कहेंगे तो उन्हें ये काटेंगे नहीं!