वैश्विक निवेशक समिट और मोदी

2002 के गुजरात दंगों के आयोजन के बाद गुजरात के तब के मुख्यमंत्री रहे मोदी ने 2003 में वाइब्रेंट गुजरात का आयोजन करवाया था। यह ग्लोबल इन्वेस्टर्स सम्मेलन था जिसमें देशी और
2002 के गुजरात दंगों के आयोजन के बाद गुजरात के तब के मुख्यमंत्री रहे मोदी ने 2003 में वाइब्रेंट गुजरात का आयोजन करवाया था। यह ग्लोबल इन्वेस्टर्स सम्मेलन था जिसमें देशी और
भारत सरकार ने वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही के आंकड़े जारी कर दिये हैं। इन आंकड़ों के अनुसार दूसरी तिमाही (जुलाई-सितम्बर 2023) के लिए भारत की सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर 7.
विगत 8 नवम्बर को नोटबंदी के 7 साल पूरे हो गये। भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, 2016 की 8 नवम्बर को रात 8 बजे अचानक टीवी पर प्रकट होकर की गई नोटबंदी की घोषणा, इससे जुड़े
देश के संघी प्रधानमंत्री ने संघ परिवार के जमीनी प्रचार को यह सीख दी कि वे जाकर जनता को यह बतायें कि यदि आटा महंगा हुआ है तो डाटा उससे भी ज्यादा सस्ता हुआ है। इसलिए संघी स
टमाटर समेत लगभग सभी सब्जियों के आसमान छूते भावों ने गरीब आदमी ही नहीं मध्यमवर्गीय लोगों तक के होश उड़ा दिये हैं। कभी चुनावों के वक्त ‘बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार मोदी
केन्द्र सरकार ने सब्सिडी सम्बन्धी जरूरतों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त सब्सिडी बिल संसद में अनुमति के लिए पेश किया और उसे तत्काल अनुमति मिल गयी।
दुनिया भर में जच्चा-बच्चा की होने वाली मौतों के मामले में भारत की स्थिति अत्यधिक खराब एवं चिंताजनक है। मातृ दिवस के अवसर पर दक्षिण अफ्रीका की राजधानी केपटाउन में हुए ‘अंतर्राष्ट्रीय मातृ नवजात स्वा
सरकार द्वारा घोषित अमृतकाल में हम लोग रह रहे हैं। इस पर सवाल उठना लाजिमी है कि यह तथाकथित अमृतकाल किसके लिए अमृतकाल है और किसके लिए विषकाल?
भारत सरकार द्वारा जारी आंकड़ों की विश्वसनीयता पर पिछले कुछ समय से सवाल उठने शुरू हो गये हैं। आज सरकार अलग-अलग तरह के हेर-फेर के जरिए अपने मनमाफिक आंकड़े जुटाने में लगी रहती है। ऐसा ही कुछ अभी जारी पी
अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं।
पिछले सालों में अमेरिकी साम्राज्यवादियों में यह अहसास गहराता गया है कि उनका पराभव हो रहा है। बीसवीं सदी के अंतिम दशक में सोवियत खेमे और स्वयं सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने जो तात्कालिक प्रभुत्व हासिल किया था वह एक-डेढ़ दशक भी कायम नहीं रह सका। इस प्रभुत्व के नशे में ही उन्होंने इक्कीसवीं सदी को अमेरिकी सदी बनाने की परियोजना हाथ में ली पर अफगानिस्तान और इराक पर उनके कब्जे के प्रयास की असफलता ने उनकी सीमा सारी दुनिया के सामने उजागर कर दी। एक बार फिर पराभव का अहसास उन पर हावी होने लगा।
उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता को लागू कर दिया है। इस संहिता को हिंदू फासीवादी सरकार अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही है। संहिता
इतिहास को तोड़-मरोड़ कर उसका इस्तेमाल अपनी साम्प्रदायिक राजनीति को हवा देने के लिए करना संघी संगठनों के लिए नया नहीं है। एक तरह से अपने जन्म के समय से ही संघ इस काम को करता रहा है। संघ की शाखाओं में अक्सर ही हिन्दू शासकों का गुणगान व मुसलमान शासकों को आततायी बता कर मुसलमानों के खिलाफ जहर उगला जाता रहा है। अपनी पैदाइश से आज तक इतिहास की साम्प्रदायिक दृष्टिकोण से प्रस्तुति संघी संगठनों के लिए काफी कारगर रही है।
1980 के दशक से ही जो यह सिलसिला शुरू हुआ वह वैश्वीकरण-उदारीकरण का सीधा परिणाम था। स्वयं ये नीतियां वैश्विक पैमाने पर पूंजीवाद में ठहराव तथा गिरते मुनाफे के संकट का परिणाम थीं। इनके जरिये पूंजीपति वर्ग मजदूर-मेहनतकश जनता की आय को घटाकर तथा उनकी सम्पत्ति को छीनकर अपने गिरते मुनाफे की भरपाई कर रहा था। पूंजीपति वर्ग द्वारा अपने मुनाफे को बनाये रखने का यह ऐसा समाधान था जो वास्तव में कोई समाधान नहीं था। मुनाफे का गिरना शुरू हुआ था उत्पादन-वितरण के क्षेत्र में नये निवेश की संभावनाओं के क्रमशः कम होते जाने से।