
मोहन भागवत जो कि संघ प्रमुख हैं ने घोषणा की कि अगले साल 2025 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अपने शताब्दी वर्ष का जश्न नहीं मनायेगा। उपलब्धियों का ढिंढोरा नहीं पीटेगा।
एक ओर मोहन भागवत ऐसी बातें कर रहे थे और दूसरी तरफ भारत के लोगों को धमका भी रहे थे। कह रहे थेः ‘कुछ बुनियादी गलतियों का इलाज जरूरी’, ‘वर्षों की गुलामी का दिमाग पर गहरा असर है उसका उपचार जरूरी’, देश में धर्म का शासन होना चाहिए। और हिन्दुओं को अपने को गर्व से हिन्दू कहना चाहिए।
भागवत अपने शताब्दी वर्ष में अपनी क्या उपलब्धियां गिनायेंगे। ये कि उन्होंने आजादी की लड़ाई में गद्दारी की थी। कि उन्होंने सौ वर्षों में हजारों-हजार दंगे करवाये। कि ये कि संघ ने कितने आदिवासियों का धर्मांतरण करवाया। कि ये कि संघ प्रमुख कोई दलित, कोई औरत आज तक नहीं हुई।
संघ के लिए अच्छा है कि वह शताब्दी वर्ष न मनाये। न अपनी उपलब्धियों का ढिंढोरा पीटे अन्यथा उसकी पोल दर पोल खुलती जायेगी। क्योंकि उसके शताब्दी वर्ष पर उसकी तारीफ करने को बाकी भी तैयार बैठे हैं।