बीते दिनों अमेरिका में एक दिलचस्प वाकया घटित हुआ। 4 दिसम्बर को यूनाइटेड हेल्थ केयर के सीईओ ब्रायन थाम्पसन की मैनहट्टन में निवेशकों की एक बैठक में जाते समय गोली मारकर हत्या कर दी गयी। इस हत्या के आरोप में पुलिस ने 26 वर्षीय युवक लुइगी मंगियोन को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के अनुसार यह युवक स्वास्थ्य सेवा निगमों के प्रति आक्रोश से प्रेरित था। उसके बैग में रखी एक घोषणा में लिखा था ‘‘अमेरिका में सबसे महंगी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली है और फिर भी हम जीवन प्रत्याशा में दुनिया में 42वें स्थान पर हैं। यह महज जागरूकता का मुद्दा नहीं है बल्कि स्पष्ट रूप से सत्ता का खेल है। जाहिर है मैं इस तरह की क्रूर ईमानदारी के साथ इसका सामना करने वाला पहला व्यक्ति हूं।’’
थाम्पसन की मौत पर अमेरिकी जनता की प्रतिक्रिया दिलचस्प थी। जब यूनाइटेड हेल्थ केयर ने थाम्पसन के निधन पर फेसबुक पर शोक जताने वाला संदेश पोस्ट किया तो 42,000 लोगों ने इस पर हंसते हुए प्रतिक्रिया दी, कुछ ने चुटकुले तक प्रतिक्रिया में लिखे। कुछ ने लिखा ‘‘दुर्भाग्य से मेरी संवेदनायें नेटवर्क से बाहर हैं’’।
इसके उलट युवक लुइगी मंगियोन को एक नायक के बतौर समर्थन वाली प्रतिक्रियायें दी गयीं। यह स्थिति दिखाती है कि मंगियोन की तरह ही लाखों अमेरिकी स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के व्यवहार से बेहद क्षुब्ध हैं और आक्रोशित हैं।
अमेरिका में महंगी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली मौजूद है। नागरिक इस सेवा का इस्तेमाल तरह-तरह के स्वास्थ्य बीमा कराके ही कर पाते हैं। इस स्वास्थ्य बीमा हेतु कुछ लोगों को सरकारी मदद मिलती है पर बड़ी आबादी स्वास्थ्य बीमा का प्रीमियम खुद भरने को मजबूर है। निजी बीमा कंपनियां बीमा करवाते वक्त तो तरह-तरह का सब्जबाग बेहतर सुविधाओं का दिखाती हैं पर जब व्यक्ति बीमार होकर अस्पताल पहुंच जाता है तो वे इलाज का खर्च देने में तरह-तरह का रोड़ा अटकाने ही नहीं लगतीं बल्कि अपने मुनाफे को बनाये रखने की खातिर इलाज ही प्रभावित करने लगती हैं।
बीमा कंपनियों द्वारा इलाज का क्लेम खारिज करने की प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है। कुछेक कंपनियां 20 प्रतिशत तक क्लेम खारिज कर दे रही हैं। वहीं कुछ कंपनियां क्लेम की राशि में कटौती के लिए नये-नये प्रावधान कर रही हैं। किसी आपरेशन का क्लेम देने वाली कंपनी एनीस्थिसिया के खर्च से इंकार कर रही है तो कोई आपरेशन के बाद भर्ती रहने की सुविधा का खर्च घटा रही है।
ये स्वास्थ्य बीमा कंपनियां इतनी विशालकाय हैं कि ये अस्पतालों से सांठ-गांठ कर कम क्लेम के लिए डाक्टरों को इलाज बदलने तक को मजबूर कर दे रही हैं। इस सबका ही परिणाम है कि अमेरिकी जनमानस इन बीमा कंपनियों को लुटेरी कम्पनियों के बतौर देख रहा है और जब इस कंपनी का एक शीर्ष अधिकारी मारा जाता है तो वह उसके प्रति कोई संवेदना नहीं रखती। यूनाइटेड हेल्थकेयर को जनता की नकारात्मक प्रतिक्रिया को देखते हुए अंततः फेसबुक से शोक संदेश हटाना पड़ा।
राज्य द्वारा जनता की स्वास्थ्य की जिम्मेदारी से पीछे हटकर लुटेरी कंपनियों के हवाले स्वास्थ्य सेवायें सौंपने का पूंजीवाद में यही परिणाम होना था कि लोग अधिकाधिक बीमा कंपनियों के हाथों का खिलौना बन जायें। उदारीकरण-निजीकरण के दौर में यही प्रक्रिया दुनिया के ज्यादातर देश अपनाकर जनता के इलाज के हक पर डाका डाल रहे हैं।
अमेरिकी लुटेरी स्वास्थ्य बीमा कंपनियां
राष्ट्रीय
आलेख
फिलहाल सीरिया में तख्तापलट से अमेरिकी साम्राज्यवादियों व इजरायली शासकों को पश्चिम एशिया में तात्कालिक बढ़त हासिल होती दिख रही है। रूसी-ईरानी शासक तात्कालिक तौर पर कमजोर हुए हैं। हालांकि सीरिया में कार्यरत विभिन्न आतंकी संगठनों की तनातनी में गृहयुद्ध आसानी से समाप्त होने के आसार नहीं हैं। लेबनान, सीरिया के बाद और इलाके भी युद्ध की चपेट में आ सकते हैं। साम्राज्यवादी लुटेरों और विस्तारवादी स्थानीय शासकों की रस्साकसी में पश्चिमी एशिया में निर्दोष जनता का खून खराबा बंद होता नहीं दिख रहा है।
यहां याद रखना होगा कि बड़े पूंजीपतियों को अर्थव्यवस्था के वास्तविक हालात को लेकर कोई भ्रम नहीं है। वे इसकी दुर्गति को लेकर अच्छी तरह वाकिफ हैं। पर चूंकि उनका मुनाफा लगातार बढ़ रहा है तो उन्हें ज्यादा परेशानी नहीं है। उन्हें यदि परेशानी है तो बस यही कि समूची अर्थव्यवस्था यकायक बैठ ना जाए। यही आशंका यदा-कदा उन्हें कुछ ऐसा बोलने की ओर ले जाती है जो इस फासीवादी सरकार को नागवार गुजरती है और फिर उन्हें अपने बोल वापस लेने पड़ते हैं।
इजरायल की यहूदी नस्लवादी हुकूमत और उसके अंदर धुर दक्षिणपंथी ताकतें गाजापट्टी से फिलिस्तीनियों का सफाया करना चाहती हैं। उनके इस अभियान में हमास और अन्य प्रतिरोध संगठन सबसे बड़ी बाधा हैं। वे स्वतंत्र फिलिस्तीन राष्ट्र के लिए अपना संघर्ष चला रहे हैं। इजरायल की ये धुर दक्षिणपंथी ताकतें यह कह रही हैं कि गाजापट्टी से फिलिस्तीनियों को स्वतः ही बाहर जाने के लिए कहा जायेगा। नेतन्याहू और धुर दक्षिणपंथी इस मामले में एक हैं कि वे गाजापट्टी से फिलिस्तीनियों को बाहर करना चाहते हैं और इसीलिए वे नरसंहार और व्यापक विनाश का अभियान चला रहे हैं।
कहा जाता है कि लोगों को वैसी ही सरकार मिलती है जिसके वे लायक होते हैं। इसी का दूसरा रूप यह है कि लोगों के वैसे ही नायक होते हैं जैसा कि लोग खुद होते हैं। लोग भीतर से जैसे होते हैं, उनका नायक बाहर से वैसा ही होता है। इंसान ने अपने ईश्वर की अपने ही रूप में कल्पना की। इसी तरह नायक भी लोगों के अंतर्मन के मूर्त रूप होते हैं। यदि मोदी, ट्रंप या नेतन्याहू नायक हैं तो इसलिए कि उनके समर्थक भी भीतर से वैसे ही हैं। मोदी, ट्रंप और नेतन्याहू का मानव द्वेष, खून-पिपासा और सत्ता के लिए कुछ भी कर गुजरने की प्रवृत्ति लोगों की इसी तरह की भावनाओं की अभिव्यक्ति मात्र है।