बदायूं जिले के नगला शर्की गांव के किसान रूम सिंह ने 22 जून 2023 को बदायूं की सदर तहसील के नायब तहसीलदार और लेखपाल के उत्पीड़न से तंग आकर सलफास की गोलियां खा लीं। उनकी बरेली के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान 23 जून 2023 को मौत हो गई। प्रशासनिक अधिकारियों के भ्रष्ट आचरण ने एक निर्दोष किसान की जान ले ली।
क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन का दो सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल घटना की पड़ताल करने रूम सिंह जी के परिजनों से मिलने उनके घर 27 जून को गया।
मामला पैतृक सम्पत्ति को लेकर था। इनकी पैतृक सम्पत्ति में लगभग साढ़े तीन बीघा खेत था जो इनके छोटे भाई के हिस्से में था। रूम सिंह ने अपने भतीजे से इस खेत का इकरारनामा 29 जून 16 को कराया था। लेकिन एग्रीमेंट के समय से पहले ही उनके भतीजे ने एक दूसरे व्यक्ति संजय रस्तोगी को इसी खेत का बैनामा 5 दिसम्बर 16 को कर दिया। और इन्होंने खतौनी में दर्ज भी करवा लिया। लेकिन रूम सिंह ने अपने समय के अनुसार 7 मार्च 17 को उसी खेत का बैनामा कराया तो उनके भतीजे ने ये बिना बताए कि वह किसी और को बैनामा कर चुका है, इन्हें भी बैनामा कर दिया। लेकिन जब ये लोग दाखिल खारिज करने गए तो इन्हें पता चला कि ये खेत तो संजय रस्तोगी के नाम से खतौनी में दर्ज हो चुका है जिसकी तारीख 16 फरवरी 17 है। इसके बाद रूम सिंह ने शिकायत के बाद 21 जून 17 को संजय रस्तोगी के दाखिल खारिज को निरस्त कराने का आदेश कराया। और 6 नवम्बर 17 को यह खेत रूम सिंह के नाम खतौनी में दर्ज हो गया।
खेती में एक फसली वर्ष होता है जिसमें खतौनी में मालिक का नाम और खेत की संख्या बगैरह दर्ज किया जाता है। जब इन्होंने चेक किया तो पता चला खतौनी में ये खेत रूम सिंह के बजाए संजय रस्तोगी के वारिस के तौर पर एकता वार्ष्णेय और ईशान रस्तोगी के नाम दर्ज है जिसकी तारीख 14 अप्रैल 23 है जबकि रूम सिंह ने इसी खेत पर 1,45,000 का के सी सी ऋण भी ले रखा है। ऐसी स्थिति में तो नाम बदलने की संभावना किसी कीमत पर हो ही नहीं सकती। लेकिन जब उन्होंने देखा तो उनके होश उड़ गए। रूम सिंह ने काफी भाग दौड़ की कि ये मसला हल हो जाए। इन्होंने एक वकील की मदद से नायब तहसीलदार आशीष सक्सेना की कोर्ट में केस किया। इन अधिकारी का कहना था कि त्रुटिवश ऐसा हो गया है ठीक हो जाएगा। लेखपाल कुलदीप भारद्वाज ने भी यही कहा कि गलती से हो गया है ठीक हो जाएगा। लेकिन लेखपाल और नायब तहसीलदार इन्हें टहलाते रहे, परेशान करते रहे पर इनका काम नहीं किया।
19-20 जून 2023 को तहसीलदार ने इनसे कहा कि दो तीन दिन बाद आना समाधान हो जाएगा। इसके बाद 22 जून को रूम सिंह तहसील गए वहां क्या हुआ ये बात किसी को नहीं पता। लेकिन तहसील परिसर में ही उन्होंने जहर खा लिया और दो-तीन लाइन का एक सुसाइड नोट लिखा। जिसमें लिखा- मैं रूम सिंह नगला शर्की बदायूं का हूं। मैं लेखपाल, नायब तहसीलदार जगत के अन्याय के कारण अपनी आत्महत्या कर रहा हूं’’। इसके बाद उन्होंने अपने बेटे पुष्पेंद्र को फोन कर पूरी घटना बताई। परिजन बदहवास हालत में तहसील पहुंचे। लेकिन तब तक तहसील के अधिकारियों और लेखपाल ने इन्हें जिला अस्पताल में दाखिल करा दिया। तब परिजन जिला अस्पताल पहुंचे। वहां स्थिति खराब होने पर रेफर करने की बात हुई तो परिजनों ने इन्हें बरेली के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया जहां रात में लगभग 12 बजे इनकी मृत्यु हो गई।
23 जून को अस्पताल से छुट्टी के बाद बरेली में ही पोस्टमार्टम हुआ। इसके बाद ही शव को लेकर परिजन अपने घर दोपहर में पहुंचे। मृतक रूम सिंह के परिजन शव को घर में रखकर ही कोतवाली में नायब तहसीलदार और लेखपाल के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराने गए लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट लिखने से मना कर दिया। पुलिस का कहना था कि नामजद के बजाए यह लिखाओ कि तहसीलकर्मियों से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। ये नायब तहसीलदार का नाम हटा दो। लेकिन परिजनों का कहना था कि उनके पास सुसाइड नोट है और अस्पताल का एक वीडियो है जिसमें उन्होंने खुलकर आरोप लगाया है तो नामजद रिपोर्ट क्यों नहीं लिखी जाएगी।
दोपहर से लेकर शाम तक रस्साकशी चलती रही लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट नहीं लिखी। इस गांव में रिवाज है कि अंतिम यात्रा के समय शव कुछ देर मंदिर पर रखा जाता है। वहां बड़ी संख्या में महिलाएं भी थीं। यहीं गांव वालों और परिजनों ने कहा कि रिपोर्ट नहीं लिखी जा रही है तो शव को लेकर कोतवाली चलते हैं। जैसे ही लोग आगे बढ़े तो लगभग 200 मीटर की दूरी पर बरेली-बदायूं रोड पर स्थित जवाहरपुरी पुलिस चौकी पर पुलिस ने भीड़ को रोक दिया आगे नहीं जाने दिया जिस कारण सारे लोग सड़क पर ही बैठ गए और रोड जाम हो गया। पुलिस प्रशासन और पीड़ित जनता के बीच में रिपोर्ट लिखे जाने को लेकर संघर्ष चलता रहा। इस बीच में तमाम नेता भी आए। लेकिन पुलिस रिपोर्ट नहीं लिख रही थी। कह रही थी रिपोर्ट ना लिखने को लेकर ऊपर से दबाव है। पर रात के आठ बजे तक स्थिति ऐसी ही बनी रही रात में भीड़ बढ़ने लगी। अंततः जन दबाव में रात में 8ः30 बजे के बाद रिपोर्ट लिखी गई। इसके बाद रात में ही परिजनों ने अंतिम संस्कार किया। इस पूरे समय अंतिम संस्कार तक बड़ी संख्या में पुलिस बल मौजूद रहा।
लेकिन पुलिस प्रशासन को ये जन दबाव हजम नहीं हुआ और बदले की भावना और सबक सिखाने की नीयत से जो कि इस समय उत्तर प्रदेश सरकार का एक हथकंडा बन चुका है पीड़ित परिवार के लोगों और उनके समर्थन में आए गांव-समाज के कुछ खास लोगों पर पुलिस ने 24 जून 2023 को दिन में कई धाराओं 147, 148, 149, 188, 342, 353, 7 आदि में एफ आई आर दर्ज करवा दी। इसमें 28 लोग नामजद और 250 अज्ञात हैं। पुलिस द्वारा यह कार्यवाही पीड़ित परिवार और ग्रामीणों पर दबाव बनाने और उनका उत्पीड़न करने के उद्देश्य से की गई। आज विभागों में भ्रष्टाचार और अत्याचार की पराकाष्ठा हो गई। यहां आम मेहनतकश जनता को इतना परेशान किया जाता है कि लोग अपनी जीवन लीला ही समाप्त कर ले रहे हैं। और अगर लोग इस उत्पीड़न के खिलाफ लड़ते हैं तो उन्हें दमन का शिकार होना पड़ता है। दमन की कार्रवाहियां लोगों को लड़ने से नहीं रोक पाएंगी। इन कार्यवाहियों से इस पूरी व्यवस्था का पर्दाफाश ही होगा कि यह कितनी जनविरोधी हो चुकी है। मृतक किसान के परिजन इस समय दुखी हैं, हैरान-परेशान हैं और रिपोर्ट की वजह से गांव के लोग भी परेशान हैं। -बदायूं संवाददाता
भ्रष्ट शासन-प्रशासन का शिकार होते किसान : एक रिपोर्ट
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