रामनगर/ रामनगर (नैनीताल) उत्तराखंड में नगरपालिका विस्तार के मसले पर विवाद गहरा चुका है। एक ओर चोरपानी, शिवलालपुर पांडे, शिवलालपुर रियूनिआ, गौजानी और कानिया के ग्रामीण उन्हें नगरपालिका में शामिल किये जाने के शासन-प्रशासन के प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं, जबकि दूसरी ओर नगरपालिका की सीमा से सटे आदर्श नगर, शक्ति नगर, कार्बेट नगर, प्यारेलाल कालोनी, रजा कालोनी, फ्रेंड्स कालोनी, शंकरपुर भूल एवं पूछड़ी के निवासी स्वयं को नगरपालिका में शामिल किये जाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि संबंधित प्रस्ताव में घनी आबादी वाले इन क्षेत्रों को नजरअंदाज करना दुर्भावना से प्रेरित है।
दरअसल उत्तराखंड शासन द्वारा जिलाधिकारी नैनीताल के मार्फ़त 23 मार्च, 2023 को भेजे पत्र में स्थानीय प्रशासन से ग्रामीण क्षेत्रों- चोरपानी, शिवलालपुर पांडे, शिवलालपुर रियूनिआ, गौजानी और कानिया के संबंध में जानकारी मांगते हुये इन्हें नगरपालिका में शामिल करने का प्रस्ताव भेजने को कहा गया है। जिस पर अमल करते हुये स्थानीय प्रशासन ने 19 अप्रैल, 2023 को जो प्रस्ताव भेजा है उसमें चोरपानी, शिवलालपुर पांडे और शिवलालपुर रियूनिआ की संपूर्ण ग्राम सभा और गौजानी व कानिया के बड़े हिस्से को नगरपालिका में शामिल करने की बात कही गयी है जिसका ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। गौरतलब है कि इन ग्रामीण क्षेत्रों में सत्तर प्रतिशत कृषि भूमि है।
ग्रामीणों का कहना है कि शासन-प्रशासन ने ग्रामीणों की राय जाने बिना मनमाने तरीके से उन्हें नगरपालिका में शामिल करने का प्रस्ताव भेज दिया, जो कि अलोकतांत्रिक है। उनका कहना है कि नगरपालिका में शामिल होने पर उन पर भवन कर जैसे टैक्सों का बोझ लाद दिया जायेगा। साथ ही आज के भारी बेरोजगारी के आलम में वे मनरेगा एवं अन्य ग्रामीण योजनाओं के तहत मिलने वाली थोड़ी-बहुत राहत से भी वंचित हो जायेंगे। इसके अलावा ग्रामीणों का आरोप है कि पूंजीपतियों की नजर उनकी जमीनों पर है, कि वे होटल-रिजार्ट, रेस्टोरेंट, माल इत्यादि बनाने के लिये उनकी जमीनों पर कब्जा करना चाहते हैं और सरकार ग्रामीणों की कीमत पर पूंजीपतियों के हितों को आगे बढ़ा रही है।
इन ग्राम सभाओं के ग्रामीणों ने 10 मई के दिन उत्तराखंड जन अधिकार संगठन के बैनर तले कानिया से नगरपालिका रामनगर तक जुलूस निकालकर शासन-प्रशासन के उक्त प्रस्ताव के विरोध में प्रदर्शन किया और अपनी मांगों से संबंधित एक ज्ञापन भी अधिशासी अधिकारी, नगरपालिका को सौंपा। ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि उन्हें जोर-जबरदस्ती से नगरपालिका में शामिल किया गया तो वे आंदोलन को बाध्य होंगे।
दूसरी ओर रामनगर से एकदम सटे आदर्श नगर, शक्ति नगर, कार्बेट नगर, प्यारेलाल कालोनी, रजा कालोनी, फ्रेंड्स कालोनी, शंकरपुर भूल एवं पूछड़ी, जो कि ज्यादातर मुस्लिम बहुल इलाके हैं, के निवासियों ने 12 मई को संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले स्वयं को नगरपालिका में शामिल किये जाने की मांग के साथ नगरपालिका एवं उपजिलाधिकारी कार्यालय पर विरोध-प्रदर्शन किया और अधिशासी अधिकारी, नगरपालिका एवं उपजिलाधिकारी, रामनगर को अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा।
इन क्षेत्रों के निवासियों का कहना है कि शासन-प्रशासन एक ओर नगरपालिका की सीमा से चार-छः किलोमीटर दूर के ग्रामीण क्षेत्रों को वहां के निवासियों की मर्जी के विरुद्ध नगरपालिका में शामिल करने की कोशिश कर रहा है, जबकि उनकी कालोनियां नगरपालिका की सीमा से एकदम सटी हुई हैं और ज्यादातर में नाम मात्र को भी कृषि भूमि नहीं बची है और पूरी तरह शहरीकरण हो चुका है और यहां के निवासी नगरपालिका में शामिल होने की मांग भी कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद नगरपालिका विस्तार में उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है जो कि दुर्भावनापूर्ण है।
दरअसल प्रदेश और केंद्र की सत्ता पर विराजमान भाजपा नगरपालिका सीमा विस्तार को भी अपने सांप्रदायिक एजेंडे के अनुरूप करना चाहती है जिसके तहत मुस्लिम बहुल इलाकों को नगरपालिका से बाहर रख और हिंदू बहुल इलाकों को नगरपालिका में शामिल कर वोटरों का सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण किया जा सके और नगरपालिका के चेयरमैन के पद पर किसी भाजपाई को बैठाया जा सके। आज सभी आर एस एस-भाजपा की इस विघटनकारी राजनीति को बखूबी समझ भी रहे हैं जिसने उत्तराखंड ही नहीं पूरे देश के वातावरण को बेहद जहरीला बना दिया है।
ऐसे में आवश्यक है कि जो ग्रामीण क्षेत्र नगरपालिका में शामिल नहीं होना चाहते हैं एवं जो शामिल होना चाहते हैं वे दोनों ही अपने इलाकों के निवासियों के बीच व्यापक एकजुटता कायम करें साथ ही दोनों ही क्षेत्रों के लोग आपस में तालमेल कायम कर हिंदू-मुस्लिम एकजुटता की मिसाल पेश करें और इस सरकार के घृणित मंसूबों को बेनकाब कर विफल कर दें। -रामनगर संवाददाता