साम्राज्यवाद

पश्चिम एशिया में इजरायल द्वारा युद्ध के दायरे का विस्तार

गाजापट्टी में जारी व्यापक नरसंहार

ईरान में हमास के नेता इस्माइल हानिया की हत्या ने ईरान को इस युद्ध में प्रत्यक्ष तौर पर शामिल होने के लिए उकसावे का कार्य किया है। इजरायल की हुकूमत शुरू से ही इस युद्ध को विस्तारित कर समूचे पश्चिम एशिया तक इसके दायरे को ले जाने की कोशिश करती रही है। उसके हर कुकृत्य को अमेरिकी साम्राज्यवादी बढ़ावा देते रहे हैं। अमरीकी साम्राज्यवादी इस कुतर्क के आधार पर कि इजराइल को अपनी आत्मरक्षा करने का अधिकार है, इजराइल की नरसंहार की कार्यवाहियों का न सिर्फ समर्थन करते रहे हैं, बल्कि वे उसे हर तरह से आधुनिक हथियारों से लैस करके, उसे गोला-बारूद मुहैय्या कराकर वे फिलिस्तीनियों के इस नरसंहार में भागीदार भी रहे हैं।

खोदा पहाड़, निकली चुहिया

मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार के मुखिया बने

इस चुहिया का नाम मोहम्मद यूनुस है। यह सज्जन बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार के मुखिया बने हैं। वे नई अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री नहीं बल्कि मुख्य सलाहकार हैं। नई सरकार के

जी-7 : लुटेरों का जमावड़ा

जी-7 सम्मेलन 13-15 जून 24 को इटली में सम्पन्न होना है। इस बार यह सम्मेलन इटली के दक्षिणी क्षेत्र में आयोजित हो रहा है। जी-7 इटली, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, जापान, यूके और अम

कोरिया युद्ध विराम के 70 वर्ष बाद भी जारी टकराव

27 जुलाई, 1953 में अमरीकी साम्राज्यवादियों के साथ कोरिया लोक गणराज्य (उत्तरी कोरिया) का युद्ध विराम हो गया था। 70 वर्ष के बाद भी अभी युद्ध विराम चल रहा है। उस युद्ध का खा

सूडान में जारी गृहयुद्ध: अंतर्राष्ट्रीय व क्षेत्रीय शक्तियों की भूमिका

सूडान में पिछले तीन महीनों से गृहयुद्ध जारी है। यह गृहयुद्ध सेना प्रमुख जनरल अब्दल फतह अल-बुरहान और रेपिड सपोर्ट फोर्स के मुखिया मोहम्मद हामदान डगालो के बीच सूडान पर वर्च

आलेख

/idea-ov-india-congressi-soch-aur-vyavahaar

    
आजादी के आस-पास कांग्रेस पार्टी से वामपंथियों की विदाई और हिन्दूवादी दक्षिणपंथियों के उसमें बने रहने के निश्चित निहितार्थ थे। ‘आइडिया आव इंडिया’ के लिए भी इसका निश्चित मतलब था। समाजवादी भारत और हिन्दू राष्ट्र के बीच के जिस पूंजीवादी जनतंत्र की चाहना कांग्रेसी नेताओं ने की और जिसे भारत के संविधान में सूत्रबद्ध किया गया उसे हिन्दू राष्ट्र की ओर झुक जाना था। यही नहीं ‘राष्ट्र निर्माण’ के कार्यों का भी इसी के हिसाब से अंजाम होना था। 

/ameriki-chunaav-mein-trump-ki-jeet-yudhon-aur-vaishavik-raajniti-par-prabhav

ट्रंप ने ‘अमेरिका प्रथम’ की अपनी नीति के तहत यह घोषणा की है कि वह अमेरिका में आयातित माल में 10 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक तटकर लगाएगा। इससे यूरोपीय साम्राज्यवादियों में खलबली मची हुई है। चीन के साथ व्यापार में वह पहले ही तटकर 60 प्रतिशत से ज्यादा लगा चुका था। बदले में चीन ने भी तटकर बढ़ा दिया था। इससे भी पश्चिमी यूरोप के देश और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के बीच एकता कमजोर हो सकती है। इसके अतिरिक्त, अपने पिछले राष्ट्रपतित्व काल में ट्रंप ने नाटो देशों को धमकी दी थी कि यूरोप की सुरक्षा में अमेरिका ज्यादा खर्च क्यों कर रहा है। उन्होंने धमकी भरे स्वर में मांग की थी कि हर नाटो देश अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत नाटो पर खर्च करे।

/brics-ka-sheersh-sammelan-aur-badalati-duniya

ब्रिक्स+ के इस शिखर सम्मेलन से अधिक से अधिक यह उम्मीद की जा सकती है कि इसके प्रयासों की सफलता से अमरीकी साम्राज्यवादी कमजोर हो सकते हैं और दुनिया का शक्ति संतुलन बदलकर अन्य साम्राज्यवादी ताकतों- विशेष तौर पर चीन और रूस- के पक्ष में जा सकता है। लेकिन इसका भी रास्ता बड़ी टकराहटों और लड़ाईयों से होकर गुजरता है। अमरीकी साम्राज्यवादी अपने वर्चस्व को कायम रखने की पूरी कोशिश करेंगे। कोई भी शोषक वर्ग या आधिपत्यकारी ताकत इतिहास के मंच से अपने आप और चुपचाप नहीं हटती। 

/amariki-ijaraayali-narsanhar-ke-ek-saal

अमरीकी साम्राज्यवादियों के सक्रिय सहयोग और समर्थन से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन और लेबनान में नरसंहार के एक साल पूरे हो गये हैं। इस दौरान गाजा पट्टी के हर पचासवें व्यक्ति को