कल जो वहां आरती उतारी जाएगी,
मैं उस में शामिल नहीं हूंगा
मैं ही नहीं
शामिल तो राम भी नहीं होंगे,
कम से कम कबीर वाला राम।
और जिस राम के गले में रस्सी बांधी गई है
वह तो वोट राम है
या तानाशाह राम
जिसका चेहरा मुंह खून से लथपथ है
जो दंगा फसाद में काम आता है,
या फिर सिंहासन की सीढ़ी के लिए
वहां
निर्दयी और ज़ालम राम की जै जै कार होगी
और फिर
गलियों में हा हा कार होगी
सड़कें लहू से लथ पथ होंगी
चारों तरफ धुआं ही धुआं होगा,
जिन्दा सड़ रहे इंसानों के मांस की गंध होगी
निर्वस्त्र औरतों की चीखें होंगी
उनकी छातियां ही नहीं
पेट भी चीरे जाऐंगे
पल रहे बच्चों की बली देने के लिए
राम लल्ला को खुश करने के लिए
राम तो खुद हैरान हैं
परेशान हैं
लल्ला के प्रगट होने पर।
कबीर का,
वाल्मीकी का,
तुलसी का,
राम तो बहुत पहिले
6 दिसंबर 1992 को ही
कत्ल कर दिया गया था
और, अब जो,
राम लल्ला के रूप में
प्रगट हुआ है
यह मोदी का राम है
या मोदी राम है
या राम ही मोदी है
जो
गोधरा में लहू से खेलना सीखा
कई कस्बों, शहरों से होता हुआ
मनीपुर, नूंह के रास्ते
अयोध्या पहुंचा है
इसे सिंहासन तक जाना है
जन का राम तो
त्रास त्रास करता
छिपा बैठा है कहीं
सिंहासन के लिए
बाप का वध
ब्राहमणी रीत रही है।
इसलिए
कल की आरती में
राम भी गैर हाज़िर रहेगा।
वहां जिस लल्ला की
जै जै कार होगी
वह मोदी राम होगा।
अपने अपने
कस्बों, शहरों, गलियों
का ध्यान रखना
खून की
बारिश
कहीं भी,
कभी भी,
किसी समय
हो सकती है
चूंकि,
इस देश में
राम लल्ला प्रगट हो रहे हैं। -नरभिंदर