मोदी का आस्ट्रेलिया दौरा

कर्नाटक चुनाव की हार के चंद रोज बाद ही प्रधानमंत्री मोदी पहले जी-7 की बैठक के लिए जापान व बाद में आस्ट्रेलिया दौरे पर जा पहुंचे। जापान दौरे से पूर्व ही मोदी सरकार ने 2000 रु. के नोट के बंद होने की घोषणा कर दी थी। कर्नाटक हार व नोटबंदी का मुद्दा पूंजीवादी मीडिया में चर्चा का ज्यादा मुद्दा न बने इसके लिए पहले जी-7 बैठक व फिर आस्ट्रेलिया दौरे के दौरान भारत के बढ़ते कद को मीडिया ने दिन-रात प्रचार का मुद्दा बना दिया। 
    

पूंजीवादी मीडिया में यहां तक बताया गया कि आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एण्टोनी अल्बानीज ने मोदी को बॉस तक कह दिया। सिडनी में 23 मई को भारतवासियों को जुटाकर किये गये आयोजन को पूंजीवादी मीडिया ने इतना प्रचार दिया कि लगने लगा कि आस्ट्रेलिया में मोदी से लोकप्रिय कोई नेता रह ही नहीं गया। 
    

यह बात सच है कि आस्ट्रेलिया में प्रधानमंत्री मोदी का गर्मजोशी से स्वागत हुआ। यह भी सच है कि भले ही संघी संगठनों की मेहनत से ही सही 10-15 हजार भारतवासियों की भीड़ जुटा मोदी का भाषण कराया गया। पर सच और भी है जिन्हें छुपाया गया। 
    

सच यह है कि जिस क्वाड बैठक में हिस्सा लेने मोदी को आस्ट्रेलिया जाना था वह रद्द हो गयी थी फिर भी प्रधानमंत्री मोदी आस्ट्रेलिया गये। सच यह भी है कि आस्ट्रेलिया की संसद में मोदी की यात्रा से ठीक पहले बीबीसी की डाक्यूमेण्ट्री ‘द मोदी क्वेश्चन’ देखी गयी। यह वही डाक्यूमेण्ट्री थी जो भारत में प्रतिबंधित कर दी गयी थी। सच यह भी है कि आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री के मोदी स्वागत में ज्यादा गर्मजोशी दिखाने पर आस्ट्रेलिया में आलोचना हो रही है। सच यह भी है कि मोदी के विरोध में होने वाले कार्यक्रम को वहां की सरकार ने मंजूरी नहीं दी। सच यह भी है कि यात्रा से कुछ समय पूर्व ही सिडनी में चिपके पोस्टर फाड़े गये जिसमें मोदी को हिन्दू आतंकी बताते हुए गिरफ्तार करने वाले को 10,000 डालर इनाम देने की घोषणा की गयी थी। सच यह भी है कि मोदी की यात्रा के दो दिन बाद ही कुछ आस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों ने भारत के कुछ राज्यों के छात्रों को प्रवेश देने से इंकार कर दिया। 
    

उपरोक्त तथ्यों को देखने से पता चलता है कि भारतीय मीडिया मोदी यात्राओं का अर्द्धसत्य ही जनता के सामने पेश कर रहा होता है। पूरा सच नहीं। सच यही है कि दुनिया में मोदी को चाहने वालों से कहीं ज्यादा मोदी से नफरत करने वाले हैं। 

आलेख

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संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।

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आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता। 

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अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं। 
    

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पिछले सालों में अमेरिकी साम्राज्यवादियों में यह अहसास गहराता गया है कि उनका पराभव हो रहा है। बीसवीं सदी के अंतिम दशक में सोवियत खेमे और स्वयं सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी साम्राज्यवादियों ने जो तात्कालिक प्रभुत्व हासिल किया था वह एक-डेढ़ दशक भी कायम नहीं रह सका। इस प्रभुत्व के नशे में ही उन्होंने इक्कीसवीं सदी को अमेरिकी सदी बनाने की परियोजना हाथ में ली पर अफगानिस्तान और इराक पर उनके कब्जे के प्रयास की असफलता ने उनकी सीमा सारी दुनिया के सामने उजागर कर दी। एक बार फिर पराभव का अहसास उन पर हावी होने लगा।

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उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने 27 जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता को लागू कर दिया है। इस संहिता को हिंदू फासीवादी सरकार अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही है। संहिता