इको गार्डन लखनऊ में दिखाई अपनी ताकत
लखनऊ/ दिनांक 24 मई 2023 को उ.प्र. के कई जिलों की रसोइयाकर्मी ईको गार्डन, लखनऊ में एकत्रित हुयीं। इन्होंने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया और उ.प्र. के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित एक ज्ञापन भेजा। प्रदर्शन में बदायूं, शाहजहांपुर, लखीमपुर, सीतापुर, अंबेडकरनगर के रसोइया शामिल हुए। यह प्रदर्शन संयुक्त रसोइयाकर्मी संघर्ष मोर्चा के बैनर पर आयोजित किया गया। इसके घटक संगठन- राष्ट्रीय मध्यान्ह भोजन रसोइयाकर्मी वेलफेयर एसो. भारत, रसोइया जन कल्याण समिति, अखिल भारतीय मध्यान्ह भोजन रसोइयाकर्मी संघ तथा आदर्श रसोइया वेलफेयर एसोसिएशन थे। प्रदर्शन में लगभग 800-1000 रसोइयाकर्मी शामिल हुए।
प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने बताया कि उ.प्र. में मध्यान्ह भोजन योजना के अंतर्गत बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में लगभग 4 लाख महिला/पुरुष रसोइयाकर्मी कार्यरत हैं। विद्यालयों में ये लोग लगभग 6 घंटे काम करते हैं। ये लोग मिड डे मील बनाने, बच्चों को खिलाने से लेकर, बर्तन धुलना, राशन का इंतजाम, रसोईघर, कमरा, बरामदा, स्कूल प्रांगण आदि की साफ-सफाई, झाडू-पोंछा करना तथा पेड़-पौधों, गार्डन, सब्जी की गुड़ाई, सिंचाई आदि कार्य करते हैं। फिर भी इन्हें जीवन जीने लायक न्यूनतम वेतन भी नहीं दिया जाता। इतने महत्वपूर्ण कार्यों का इन्हें सरकार द्वारा 2000 रुपये अल्प मानेदय ही दिया जा रहा है। जबकि उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने केस संख्या 9927/2020 दि. 15 दिसम्बर 2020 को पारित आदेश में कम मानदेय में कार्य कराना बंधुआ मजदूरी बताया तथा सभी रसोइयों को न्यूनतम वेतनमान देने का आदेश सरकार को दिया था जिसका अभी तक पालन नहीं हुआ है। ये भी बताया गया कि उच्च न्यायालय के उक्त फैसले को लागू कराने को कुछ लोगों ने उच्च न्यायालय में याचिका भी डाली जिसे खारिज कर दिया गया। अब सर्वोच्च न्यायालय जाने की तैयारी भी कुछ लोगों द्वारा की गयी है।
इतने अल्प मानदेय में रसोइयाकर्मियों का जीवन बहुत ही कष्टपूर्ण तरीके से गुजर रहा है। रसोइयों की आवाज और मांगां को लगातार अनदेखा किया जा रहा है। इस महंगाई में रसोइयाकर्मी भुखमरी के कगार पर हैं। सरकारों द्वारा रसोइयों को बेहतर जीवन देने के बजाय उनका तरह-तरह से शोषण-उत्पीड़न किया जा रहा है।
शासनादेश संख्या 435 (1)/79-6-10 दि. 24 अप्रैल 2010 के प्रस्तर 3 व 4 के पैरा दो एवं शासनादेश संख्या 1195/68-3-2019 दि. 4 अक्टूबर 2019 के प्रस्तर 3(क) बिन्दु दो में पाल्य पढ़ाने जैसी दोषपूर्ण व्यवस्था होने के कारण हर वर्ष चयन समिति द्वारा रसोइयों को बगैर कोई सूचना/नोटिस दिये बिना कारण मनमाने तरीके से बदल/हटा दिया जाता है। जिससे रसोइयाकर्मी और भी भयंकर बेरोजगारी व भुखमरी की कगार पर पहुंच जाते हैं।
इन्हीं कारणों से परेशान होकर रसोइयाकर्मियों का यह प्रदर्शन ईकोगार्डन, लखनऊ में आहूत किया गया। इसमें उन्होंने जो मांग पत्र मुख्यमंत्री, उ.प्र. को सौंपा उसमें निम्नलिखित मांगें रखी गयीं - एप्रिन, हैंडकेप, ग्लब्स का पैसा सीधे रसोइया के खाते में देने, रसोइया का 5 लाख का स्वास्थ्य चिकित्सा बीमा का लाभ देने, नवीनीकरण में रसोइयों को मनमानेपन से हटाने की व्यवस्था बंद करने, पाल्य पढ़ाने की शर्त/बाध्यता समाप्त कर अच्छे कार्य के आधार पर रसोइयों की सेवा आगे बढ़ाने की घोषणा मा. मुख्यमंत्री उ.प्र. सरकार द्वारा 29 दिसम्बर 2021 को की गयी थी, इसका शासनादेश पारित किया जाए।
इसके अलावा रसोइयों को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का दर्जा देने, न्यूनतम वेतनमान के बराबर 10,000 रुपया प्रति माह मानदेय देने, मानदेय 10 माह की जगह 12 माह देने, जून माह का बकाया तत्काल देने, ड्रेस की राशि 500 से बढ़ाकर 1000 करने, मिड डे मील योजना का निजीकरण बंद करने, आकस्मिक व मातृत्व प्रसूति अवकाश देने, स्वतः नवीनीकरण व छात्र संख्या कम होने पर न हटाये जाने की मांगें की गयीं।
इन मांगों को लेकर एक ज्ञापन मुख्यमंत्री उ.प्र. योगी आदित्यनाथ को भेजा गया। प्रदर्शन में शामिल सभी संगठनों ने एक स्वर में संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया। और सभी ने अखिल भारतीय स्तर पर रसोइयाकर्मियों को मोर्चा बनाए जाने पर जोर दिया। -लखनऊ संवाददाता